बरेली ज़ोन में पिछले तीन सालों में सक्रिय ड्रग तस्करों के इतिहास खंगाले गए हैं, जिनमें 220 तस्कर चिन्हित हुए हैं। जांच पड़ताल में 204 ड्रग सौदागर उत्तराखंड के भी सामने आए हैं, जिनकी सूची यूपी पुलिस ने उत्तराखंड पुलिस को सौंपकर इन पर निगाह रखने को कहा है।
बरेली जिला इस वक्त देश के सबसे बड़े स्मैक उत्पादक क्षेत्र के रूप में जाना जाने लगा है, पिछले तीन सालों में यहां से ड्रग्स का कारोबार यूपी से बाहर उत्तराखंड, हरियाणा, हिमांचल और नेपाल तक जा पहुंचा है। यूपी में योगी सरकार ने पिछले दो सालों में यहां ड्रग्स माफिया के खिलाफ की सख्ती की है। पुलिस ने सफेमा, गैंगस्टर, गुंडा एक्ट में दर्जनों ड्रग्स माफिया को चिन्हित करके जेल भेजा है। कई आरोपियों के अवैध सम्पत्तियो को जब्त किया गया है और कई अवैध इमारतों को बुलडोजर चला कर गिराया भी है। बरेली ज़ोन की पुलिस ने शाहजहांपुर, बरेली और पीलीभीत जिलों के 220 ड्रग्स के सौदागरों को चिन्हित किया है जोकि पिछले तीन सालों से मादक पदार्थो के धंधे में लिप्त होकर जेल गए और जमानत पर रिहा हुए।
बरेली ज़ोन के आईजी रमित शर्मा के अनुसार इन सभी तस्करों को पुलिस ने अपनी निगरानी पर रखना शुरू कर दिया है। आईजी जोन ने उत्तराखंड पुलिस के 204 ड्रग्स माफिया को भी चिन्हित किया है, जो कि पिछले तीन सालों में यूपी के बरेली जोन में मादक पदार्थो के साथ जेल गए थे, जिनमे सीमावर्ती उधमसिंहनगर जिले के 146, देहरादून जिले के 20, नैनीताल के 15, हरिद्वार के 21 चम्पावत, पौड़ी के एक-एक तस्कर शमिल है। यूपी पुलिस ने इन सभी के बारे में उत्तराखंड पुलिस को जानकारी दी है कि ये सभी जमानत पर छूट गए है और अब क्या कर रहे हैं, इस बारे में उन्हें इनकी जांच पड़ताल करने चाहिए।
उत्तराखंड में भी पिछले कुछ सालों मे स्मैक की तस्करी ज्यादा बढ़ गयी है और पुलिस को रोजाना स्मैक तस्करों के साथ नशे की बरामदगी भी बराबर हो रही है। उत्तराखंड पुलिस के डीजीपी अशोक कुमार बताते है यूपी और उत्तराखंड पुलिस मिलकर स्मैक और अन्य ड्रग माफिया के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं, एक दूसरे को सूचनाओं को साझा किया जा रहा है। इसके सार्थक परिणाम सामने आए है।
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