पदोन्‍नति में आरक्षण पर सर्वोच्‍च न्‍यायालय का फैसला, राज्‍य तय करे इसे कैसे लागू करेंगे
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पदोन्‍नति में आरक्षण पर सर्वोच्‍च न्‍यायालय का फैसला, राज्‍य तय करे इसे कैसे लागू करेंगे

by WEB DESK
Jan 28, 2022, 05:18 am IST
in भारत, दिल्ली
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सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति  और अनुसूचित जनजाति को पदोन्‍नति में आरक्षण मुद्दे पर सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने कहा कि इसके लिए अदालत कोई पैमाना तय नहीं करेगी और न पूर्व के फैसलों में कोई बदलाव करेगी। आरक्षण कैसे देना है यह तय करना राज्‍यों का काम है। 

 

सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) को पदोन्‍नति में आरक्षण पर सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने शुक्रवार को फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने 2018 में दिए जरनैल सिंह से संबंधित विवाद में जो सवाल उठे थे उस पर जवाब देते हुए कहा कि पदोन्‍नति आरक्षण के लिए अपर्याप्त प्रतिनिधित्व का डेटा तैयार करने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है। इसके लिए अदालत न कोई पैमाना तय नहीं कर सकती है और न ही पूर्व के फैसलों के मानकों में बदलाव कर सकती है।

न्‍यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव, न्‍यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्‍यायमूर्ति बी.आर. गवई की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि वे एम. नागराज मामले में संविधान पीठ के फैसले में बदलाव नहीं कर सकते हैं। पिछले साल 26 अक्‍तूबर को न्‍यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की अगुवाई वाली पीठ ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह उस फैसले को दोबारा विचार नहीं करेगी, जिसमें कहा गया है कि एससी-एसटी को आरक्षण में पदोन्‍नति दिया जाएगा। यह राज्‍यों को तय करना है कि वे इसे कैसे लागू करेंगे। 

केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल का तर्क था कि करीब 75 साल बाद भी एससी-एसटी से संबंधित लोगों को अगड़े वर्गों के समान योग्‍यता के स्‍तर पर नहीं लाया गया। एससी और एसटी के लिए समूह ‘अ’ श्रेणी की नौकरियों में उच्च पद प्राप्त करना अधिक कठिन है। समय आ गया है कि रिक्तियों को भरने के लिए शीर्ष अदालत को एससी, एसटी और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए कुछ ठोस आधार देना चाहिए। इस मुद्दे पर विभिन्न राज्यों की कुल 133 याचिकाएं शीर्ष अदालत में लंबित थीं। 
 

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