उत्तराखंड में हरीश रावत को अब अपनी पार्टी के भीतर ही विरोध का सामना करना पड़ रहा है, दिनों दिन कमजोर होती कांग्रेस के इस बुजुर्ग नेता ने अपने आप को ही मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर दिया है। हालात ये है कि रामनगर सीट को लेकर हरीश रावत का कार्यकारी अध्यक्ष रंजीत रावत से ही मन मुटाव जग जाहिर हो गया है।
उत्तराखंड में कांग्रेस ने 70 में से 64 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम घोषित कर दिए है, हरीश रावत का नाम रामनगर सीट से सामने आया, जबकि इस सीट पर कार्यकारी अध्यक्ष रंजीत रावत पिछले पांच सालों से मेहनत कर रहे थे और उनके समर्थन में कई बड़े नेता खड़े थे। रंजीत रावत को हरीश रावत सल्ट सीट पर धकेलने में लगे हैं, जहां इस वक्त बीजेपी का दबदबा है। रंजीत रावत का विरोध लेकर हरीश रावत रामनगर से चुनाव जीत पाएंगे? इसे लेकर खुद कांग्रेस में चर्चा है। रंजीत रावत के समर्थन में रामनगर के चेयरमैन और अन्य बड़े नेताओं ने हरीश रावत के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है।
हरीश रावत को पहले भी कांग्रेस हाई कमान ने अपनी हद में रहने की हिदायतें समय-समय पर दी है। इसके बावजूद वो अपने आप को खुद ही मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने में लगे हैं। जिसपर नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह नाराजगी जता चुके हैं। कांग्रेस के टिकट वितरण में भी पार्टी हाई कमान ने प्रीतम सिंह और राज्य प्रभारी देवेन्द्र यादव की ज्यादा सुनी है।
कांग्रेस में एक धड़ा प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल का भी है जो कि हरीश रावत के इशारे पर चलता है। लेकिन टिकट बंटवारे में गोदियाल को एक किनारे रख कर हरीश रावत ने अपनी चलाने की कोशिश की, जिसे प्रीतम गुट ने चलने नहीं दिया। कांग्रेस में भुवन कापड़ी, तिलक राज बेहड़, जोत सिंह भी कार्यकारी अध्यक्ष है, जिनके अपने-अपने आका और गुट हैं और ये सब भी अपने-अपने सुर में गाते नजर आ रहे हैं। कुल मिलाकर कांग्रेस अपने आपसे झगड़ो में ही उलझ कर रह गयी है और इसके पीछे मुख्य वजह हरीश रावत का महत्वाकांक्षी होना है।
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