अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के कूटनीतिकों के दिमाग में शायद कश्मीर के अलावा और कोई शब्द नहीं आता। जब भी उन्हें अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के सामने बोलने का मौका मिलता है, वे कश्मीर का राग अलापकर दुष्प्रचार हो हवा देने में लग जाते हैं।
संयुक्त राष्ट्र संघ की वैश्विक मंच वाली भूमिका को भूलकर पाकिस्तानी कूटनीतिकों ने उसे भी दुष्प्रचार का एक मंच जैसा मान लिया है। संभवत: इसी क्रम में एक बार फिर, पाकिस्तान ने इस मंच से कश्मीर पर सिर्फ दुष्प्रचार ही नहीं किया है बल्कि दुनिया को एक तरह की धमकी दे डाली कि कश्मीर हल हुए बिना शांति कायम नहीं हो सकती।
पाकिस्तान के संयुक्त राष्ट्र में प्रतिनिधि ने एक बार फिर मंच का दुरुपयोग करते हुए भारत पर झूठे आरोप लगाने की जुर्रत की। उसने कहा कि 'भारत कश्मीर में अत्याचार कर रहा है'। इतना ही नहीं पाकिस्तान ने अपने स्थायी प्रतिनिधि मुनीर अकरम से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और महासचिव गुतेरेस से 'कश्मीर मामले को फौरन हल' करने की अपील की 'अन्यथा यह क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए खतरा बना रहेगा'।
विदेश मामलों के जानकारों का कहना है कि 'क्या इस बयान के माध्यम से पाकिस्तान यह संकेत करना चाहता है कि ….तब तक वह कश्मीर में आतंकवाद सुलगाए रखेगा'? यानी 'एक प्रकार से आतंक का प्रयोजक भारत का पड़ोसी स्वीकार कर रहा है कि कश्मीर में जिहाद को वही हवा देता आ रहा है'?
इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत का यह इस्लामी पड़ोसी कश्मीर को लेकर पूरी दुनिया में अपनी बेइज्जती करवा चुका है। लेकिन बेशर्मी से बार बार इसी विषय को उठाकर अपनी अपरिपक्वता का परिचय देता है। पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि मुनीर अकरम के कश्मीर पर इस ताजे बयान को पूरी दुनिया को दी गई धमकी जैसा माना जा रहा है। उनके हिसाब से, 'कश्मीर क्षेत्रीय तथा वैश्विक शांति के लिए खतरा है'!
अकरम ने अपने वक्तव्य में कहा कि 'संयुक्त राष्ट्र के कामों के मूल में है कि शांति और सुरक्षा बनी रहे। हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और महासचिव से जम्मू—कश्मीर विवाद के शीघ्र तथा शांतिपूर्ण हल को बढ़ावा देने और कश्मीरी लोगों के विरुद्ध भारतीय शासन के आतंक को समाप्त करने के लिए अपने पर्याप्त अधिकार का इस्तेमाल करने की अपील करते हैं।'
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