चीन को कहीं पूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा की कीमत न चुकानी पड़ जाए। अपनी रक्षा पर बेतहाशा पैसा खर्च करना कहीं चीन के लिए बहुत महंगा न साबित हो। इन शब्दों में चीन की सरकार को चेतावनी देने वाला कोई और नहीं, वहीं के एक वरिष्ठ विदेश सलाहकार हैं।
विदेश नीति से जुड़े विषयों के गहन जानकार और चोटी के सलाहकार जिया किंग्गुओ ने चीन को सावधान किया है कि पूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा के पीछे पड़े रहने की धुन में रक्षा मद में बेलगाम खर्च चीन के लिए भारी पड़ सकता है। इसकी कीमत इतनी महंगी हो सकती है कि चीन सोवियत संघ की तरह बिखर सकता है। यह चीन के पतन की वजह बन सकता है।
चीन के विदेश नीति सलाहकार की यह चेतावनी सीधे जिनपिंग सरकार के लिए है। जिया पीपुल्स पॉलिटिकल कंसल्टेटिव कॉन्फ्रेंस के सदस्य हैं इसलिए उनकी कही बात को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। उनका स्पष्ट कहना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर जिस तरह अकूत पैसा खर्च किया जा रहा है इससे कहीं ऐसा न हो कि चीन अलग अलग होकर बिखर जाए। जिया ने इस संदर्भ मे सोवियत संघ का उदाहरण भी दिया है। जिया के अनुसार, लंबे काल तक की सुरक्षा सुनिश्चित करने की बजाय फौज का विस्तार करते जाने से क्या नुकसान होता है, उसका सबूत हम सबके सामने है।
'साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट' ने 23 जनवरी को एक समाचार प्रकाशित किया है, जिसमें जिया का बयान उद्धृत किया गया है। पीकिंग विश्वविद्यालय में इंटरनेशनल रिलेशंस स्कूल के डीन रह चुके जिया ने यह कहा है कि पूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा की बेलगाम तलाश लागत में बहुत ज्यादा वृद्धि लाएगी जिससे लाभ बहुत हद तक घटते जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि सोवियत कम्युनिस्ट पार्टी के शासन वाले सोवियत संघ का कैसे पतन हुआ, यह चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के नामी स्कूलों में विशेष तौर पर पढ़ाया जाता है। इसका उद्देश्य यही है कि ऐसी वजहों को पैदा न होने दिया जाए जिससे किसी तरह के पतन के आसार बनें।
बता दें कि हांगकांग से छपने वाले अखबार 'साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट' ने 23 जनवरी को एक समाचार प्रकाशित किया है, जिसमें जिया का बयान उद्धृत किया गया है। समाचार के अनुसार, पीकिंग विश्वविद्यालय में इंटरनेशनल रिलेशंस स्कूल के डीन रह चुके जिया ने यह कहा है कि पूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा की बेलगाम तलाश लागत में बहुत ज्यादा वृद्धि लाएगी जिससे लाभ बहुत हद तक घटते जाएंगे।
जिया चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की स्थायी समिति के सदस्य है। उन्होंने 'जर्नल ऑफ इंटरनेशनल सिक्योरिटी स्टडीज' के ताजा अंक में लिखा है कि दूसरों के मुकाबले सुरक्षा के संतुलित आकलन को अनदेखा करना और इसे बेसुध होकर आगे बढ़ाते रहना वैसा ही होगा जैसे देश की सुरक्षा में कहीं कमी आना। इसमें पैसा बहुत ज्यादा खर्च होता है लेकिन पूर्ण सुरक्षा प्राप्त नहीं हो पाती।
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