आर्थिक संकट से गुजर रहे पड़ोसी देश पाकिस्तान का चालू खाता घाटा मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में नौ अरब डॉलर (करीब 670 अरब रुपये) को पार कर चुका है। जो उसके सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.7 फीसदी है। चालू खाता घाटा पर चिंता जताते हुए विशेषज्ञों ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि अगर घाटा इसी तरह बढ़ता रहा तो पाकिस्तान कर्ज के जाल में और भी बुरी तरह से फंस जाएगा।
एक रिपोर्ट के अनुसार, स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने शनिवार को आंकड़े जारी करते हुए बताया कि देश का चालू खाता घाटा 9.09 अरब डॉलर पहुंच चुका है, जो अर्थव्यस्था के लिए बड़ा झटका है। देश का कुल आयात जब निर्यात से अधिक हो जाता है तो उसे चालू खाता घाटा कहा जाता है। गत वर्ष नवंबर (1.89 अरब डॉलर) व दिसंबर (1.93 अरब डॉलर) में सीएडी लगभग बराबर था। जुलाई से दिसंबर 2021 तक का घाटा एक साल पहले की उसी अवधि के सरप्लस 1.24 अरब डालर (जीडीपी का 0.9 फीसदी) के बिल्कुल विपरीत रहा।
पाकिस्तान की सबसे बड़ी वजह आयात है, जो जुलाई से दिसंबर के दौरान 53 फीसद की वृद्धि के साथ 41.66 अरब डॉलर हो गया। देश की दूसरी तिमाही का सीएडी पहली तिमाही से काफी ज्यादा था। वित्तीय वर्ष 2019-20 व 2020-21 में पाकिस्तान का सीएडी जीडीपी का क्रमश: 1.7 व 0.6 फीसदी रहा था। इमरान सरकार का तर्क है कि आधुनिक मशीनरी के आयात के कारण सीएडी में इजाफा हुआ है, लेकिन यह अर्थव्यस्था में वृद्धि की निशानी है। हालांकि, सरकार का तर्क विशेषज्ञों के गले नहीं उतरता। उनका मानना है कि बढ़ता सीएडी आर्थिक वृद्धि के बजाय बड़ी समस्या पैदा कर सकता है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने माना की देश की जनता भीषण महंगाई का सामना कर रही है। खाने-पीने की चीजों से लेकर पेट्रोल तक की कीमतों में इजाफा हुआ है। एक ऑनलाइन कार्यक्रम में इमरान ने कहा कि देश में बढ़ती महंगाई की वजह से उन्हें रातों में नींद नहीं आती, लेकिन यह एक वैश्विक त्रासदी है। उन्होंने कहा कि जब वह सरकार में आए, तब खजाना पूरी तरह खाली था। उन्हें वित्तीय घाटे का सामना करना पड़ा, जिससे आयात पर लागत में इजाफा हुआ।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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