समाज में व्याप्त अश्पृश्यता यानी छुआछूत या आपसी भेदभाव का अंत कर एक समरस समाज की स्थापना के लिए विश्व हिन्दू परिषद ने अब कमर कस ली है। पिछले 14 जनवरी से 10 दिन के इस देशव्यापी अभियान के अंतर्गत 21 जनवरी को विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय समरसता प्रमुख श्री देवजी भाई रावत ने नई दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि वाल्मीकि समाज एक धर्म योद्धा समाज है, जिसके कारण हिंदू समाज की रक्षा हुई। इस समाज ने चाहे मैला ढोना स्वीकार किया, किंतु स्वधर्म नहीं छोड़ा और सतत रूप से हिंदू समाज, हिंदू जीवन—मूल्यों और हिन्दू संस्कृति की रक्षा के लिए कार्य किया। हमें इस पर गर्व है।
उन्होंने कहा कि विश्व हिंदू परिषद का संकल्प है कि देश के अंदर से किसी भी प्रकार के छुआछूत का हम समूल नाश करके रहेंगे। सामाजिक विषमता का अंत करेंगे और जो पिछड़े और वंचित समाज के हमारे बंधु-बांधव हैं, अनेक कार्यक्रमों के माध्यम से उनको आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक रूप से विकसित करेंगे। ये सभी धर्म योद्धा हमारे लिए पूजनीय हैं। किसी भी तरह का भेदभाव या छुआछूत हम स्वीकार नहीं करेंगे।
दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित भगवान श्री वाल्मीकि मंदिर में आयोजित सामाजिक समरसता संकल्प सभा को संबोधित करते हुए विश्व हिंदू परिषद के प्रांत अध्यक्ष श्री कपिल खन्ना ने कहा कि 'एक कुआं, एक श्मशान और एक मंदिर' प्रत्येक गांव में सबके लिए समान रूप से खुले होंगे, हम किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होने देंगे, यह हमारा संकल्प है। समरस समाज की पुनर्स्थापना हेतु हमने कमर कस ली है।
अपने आशीर्वचन के रूप में मंदिर के महंत पूज्य श्री विवेक नाथ जी महाराज ने कहा कि वाल्मीकि समाज को भारत की स्वतंत्रता के 70 वर्ष बाद भी वह न्याय नहीं मिल पा रहा जिसकी अपेक्षा थी। हमें आशा है कि विश्व हिंदू परिषद का यह प्रयास सार्थक होकर संपूर्ण हिंदू समाज को एकाकार करने में मील का पत्थर साबित होगा। वाल्मीकि समाज के श्री दिनेश हितैषी और श्री रुपेश महवा वाल्मीकि ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।
कार्यक्रम के उपरांत एक समरसता भोज का भी आयोजन किया गया, जिसमें सभी ने मंदिर प्रांगण में एक साथ बैठकर के भोजन प्रसाद ग्रहण किया और एक संकल्प के साथ सभी लोग विदा हुए कि अब समरस समाज की स्थापना करेंगे।
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