केंद्रीय मंत्री डॉ. संजीव बालियान ने कहा कि राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया और उनकी पत्नी के ट्वीट से स्पष्ट है कि चुनाव के पहले ही उन्हें हार दिखने लगी है और चुनाव में उन्हें हिंदू-मुस्लिम की याद आ रही है. तुष्टीकरण की राजनीति कर रही समाजवादी पार्टी और रालोद का असली चेहरा सबके सामने आ गया है. जाट समाज कभी अपने अपमान को नहीं भूलेगा इसीलिए जगह-जगह विरोध हो रहा है.
उन्होंने कहा कि जाट समाज की अनदेखी पर सपा-रालोद गठबंधन के घोषित उम्मीदवारों का विरोध तेज हो गया है. चुनाव से पहले ही इनके प्रत्याशियों को जनता ने नकार दिया है. इस कारण से रालोद मुखिया को समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करें और क्या न करें. अब वह अपनी खीझ जाट समाज के नेताओं पर निकाल रहे हैं. मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि जब मुजफ्फरनगर में दंगे हुए थे, उस समय वह कहां थे? उनकी पार्टी कहां थी ?
उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में हार और प्रत्याशियों के विरोध को देखते हुए रालोद बैकफुट पर है. इस कारण रालोद को अपने प्रत्याशियों को भी बदलना पड़ा इसीलिए चुनाव में हिंदू-मुस्लिम की बात कर रहे हैं. रालोद प्रमुख की पत्नी ने ट्विटर पर ईमोशनल कार्ड खेला है, लेकिन इस बार इमोशनल कार्ड नहीं, सुशासन चलेगा.
उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार ने पश्चिमी यूपी के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी है. विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है. विपक्ष सिर्फ जनता को बरगलाने का प्रयास कर रहा है, लेकिन जनता ने भी तय कर लिया है कि इस बार वोट सिर्फ सुशासन को जाएगा.
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