भारत में जनतंत्र
May 10, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

भारत में जनतंत्र

by WEB DESK
Jan 18, 2022, 02:01 am IST
in भारत, साक्षात्कार, दिल्ली
मानवेंद्रनाथ

मानवेंद्रनाथ

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail
पाञ्चजन्य ने हमेशा पत्रिका को लोकतंत्र का मंच बनाए रखने का यत्न किया। इसमें सभी विचारों को स्थान मिलता रहा। इस क्रम में कांग्रेसी, राष्ट्रवादी, समाजवादी, वामपंथी सभी विचारकों के आलेखों को पाञ्चजन्य ने प्रकाशित किया। श्री मानवेन्द्रनाथ राय (1887-1954) भारत के स्वतंत्रता-संग्राम के क्रान्तिकारी तथा विश्वप्रसिद्ध राजनीतिक सिद्धान्तकार थे। उनका मूल नाम ‘नरेन्द्रनाथ भट्टाचार्य’ था। वे मेक्सिको और भारत दोनों की कम्युनिस्ट पार्टियों के संस्थापक थे। वे कम्युनिस्ट इंटरनेशनल के कांग्रेस के प्रतिनिधिमण्डल में भी सम्मिलित थे। पाञ्चजन्य ने अपने 26 अक्तूबर, 1953 के अंक में मानवेंद्रनाथ राय के आलेख को प्रकाशित किया। भारत में जनतन्त्र विषयक अपने आलेख में मानवेंद्रनाथ लिखते हैं —

 

  • भारत के सम्बन्ध में अब तक जो अमेरिकी विवरण प्रकाशित हुए हैं, वे या तो ऊपर-ऊपर से देखी हुई बातों के परिणास हैं या उनके इच्छित विचारों के। उन्होंने भारत को एक बहुत बड़ा जनतंत्र कहा है और भारतीय जनतन्त्र के विधान के अंतर्गत हुए पहले ग्राम चुनाव को जनतंत्र का एक महान प्रयोग बतलाया है। क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत निश्चय ही एक बहुत बड़ा देश है और पहले आम चुनाव में जितनी बड़ी संख्या में जनता ने भाग लिया, सचमुच वह एक बहुत बड़ा प्रयोग था। पर अभी भी यह कहना असामयिक होगा कि भारत एक जनतंत्र है और पिछला आम चुनाव सही मानो में लोकतंत्र की प्रथा के अनुसार ही ही हुआ था।

मानवेंद्रनाथ पहले आम चुनाव के लगभग एक वर्ष बाद भी भारतीय जनतंत्र के विधान को दिखावे का विधान मानते रहे और उसके कार्यान्वयन को महत्वपूर्ण मानते थे। उनका विचार था कि कार्यान्वयन इस तरह हो कि विरोध या संघर्ष हो। यहां वामपंथ की विभाजनकारी रेखाओं पर राजनीति करने की प्रवृत्ति दिखाई देती है। मानवेंद्रनाथ लिखते हैं – 

  • भारतीय जनतंत्र का विधान देखने में जनतांत्रिक विधान अवश्य है। पर जितना आसान एक अच्छा विधान तैयार कर लेना है, उसे कार्यान्वित करना उतना ही कठिन है, क्योंकि वैसा कर सकना कई बातों पर निर्भर करता है। हां, हम ऐसा कह सकते हैं कि एक अच्छा विधान तैयार कर तथा उसे बाकायदा कार्यरूप देकर भारत को जनतंत्र बनाने के कार्य का आसान हिस्सा पूरा कर लिया गया है। अब हमें इसे सही मानों में असली रूप देने का कठिन कार्य करना है। इस दिशा में हमें स्वभावतया इस तरह बढ़ना है कि विरोध या संघर्ष हो।

आलेख में आगे जनतंत्र के टिकाऊ और योग्य होने पर शंका जताई गई। और, इसका उत्तर ढूंढने के लिए देश के सामाजिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक वातावरण का अध्ययन करने की बात कही गई।

  • इस समय तो स्थिति यह है कि भारत में बाकायदा जनतांत्रिक शासन की स्थापना तो हो गई है, पर वह न तो अच्छी है, न योग्य और टिकाऊ ही। पर जो आदमी केवल इसके ऊपरी ढांचे को ही देखता है, वह इस असंदिग्ध और प्रत्यक्ष सत्य को स्वीकार नहीं करता। चूंकि भारत में अभी जनतन्त्र अपनी शैशवावस्था में है, अत: शायद यह स्थिति अनिवार्य हो। पर प्रश्न तो यह है कि क्या भारतीय जनतंत्र इन प्रारम्भिक कठिनाइयों का सफलतापूर्वक सामना कर सकेगा! इसका उत्तर देने के लिए हमें देश के सामाजिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक वातावरण का जरा बारीकी से अध्ययन करन होगा।
     
  •  मसल मशहूर है कि किसी भी देश को वैसा ही शासन मिलता है, जिसका कि वह पात्र होता है। पार्लियामेंटरी जनतंत्र प्रणाली के अनुसार पार्टी-सरकारें ही विधान को कार्यान्वित करती हैं। और जनतंत्रवादी विधान पर संतोषजनक रूप से अमल तभी हो सकता है, जब कि उसे चलाने वाली पार्टी पर जनता का नियन्त्रण हो। पर आज हमारे देश में स्थिति यह है कि जो सत्तारूढ़ पार्टी भारतीय जनता का प्रतिनिधित्व करने का दावा करती है, उस पर जनता का बहुत बड़ा अंश नियंत्रण रखने की क्षमता ही नहीं रखता। इसके बदले में आज कांग्रेस दल का नियंत्रण होता है

    मुट्ठी भर दल-राजनीतिज्ञों द्वारा। आज कांग्रेस-दल की आवाज का मतलब है एक व्यक्ति की आवाज। यद्यपि कांग्रेस दल के सदस्यों की संख्या लाखों में बतलाई जाती है, पर इसके निर्णयों में कहीं भी नेहरुजी को छोड़कर और किसी की आवाज सुनाई नहीं देती। सैद्धांतिक रूप से नेहरूजी जनतंत्रवादी हैं और बकौल एक विशिष्ट अमेरिकी राजनेता के भारतीय जनतंत्र उनके हाथों में सुरक्षित है। जहां तक नेहरू जी के विचारों और इरादों का संबंध है, शायद यह बात सच भी हो। पर कांग्रेस दल को किसी भी माने में जनतांत्रिक व्यवस्था की स्थापना का साधन नहीं माना जा सकता। नेहरू जी अमर नहीं हैं और आज देशभर में यही चर्चा है कि जिस दिन वे नहीं रहेंगे, उनका स्थान लेने वाला दूसरा कोई नहीं है।

    पाञ्चजन्य में प्रकाशित मानवेंद्रनाथ राय का एक आलेख

     

मानवेंद्रनाथ अपने आलेख में बहुत बारीकी से दो बातें कहते हैं। पहले उपरोक्त हिस्से में वह कहते हैं कि जनतंत्रवादी विधान पर संतोषजनक रूप से अमल तभी हो सकता हे, जब कि उसे चलाने वाली पार्टी पर जनता का नियन्त्रण हो। वहीं, नीचे लिखे पैराग्राफ में कहते हैं कि राजनीतिक जनतंत्र की स्थापना जिसका चरम लक्ष्य होता है एक स्वतंत्र और स्वस्थ जनतंत्रात्मक समाज की स्थापना। पहले में जनतंत्र के लिए राजनीतिक दल पर समाज का नियंत्रण जरूरी है, दूसरे हिस्से में राजनीतिक जनतंत्र का लक्ष्य समाज को जनतांत्रित बनाना है। यह पहले मुर्गी आई या अंडा जैसा द्वंद्व है। भारत में क्रांति (वामपंथी लक्ष्य के अनुरूप) न होने को वे दुर्भाग्य मानते हैं।

  • राजनीतिक जनतंत्र की स्थापना जिसका चरम लक्ष्य होता है एक स्वतंत्र और स्वस्थ जनतंत्रात्मक समाज की स्थापना जनता की उस राजनीतिक चेतना और जहनियत पर निर्भर करती है, जो सांस्कृतिक परम्पराओं द्वारा निर्धारित होती है। कुल मिलाकर हम जीवनका कैसा व्यापक रूप सोचते और चाहते हैं, इसी का परिणाम होते हैं हमारे राजनीतिक आदर्श और सामाजिक सिद्धांत। यूरोप में 16वीं और 17वीं शताब्दी में हुए बौद्धिक और सांस्कृतिक आंदोलनों जिन्होंने जनसाधारण के जीवन दर्शन में क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिए के परिणामस्वरूप ही समाज के जनतन्त्रवादी जीवन का विचार पैदा हुआ। दुर्भाग्यवश भारत में अभी इस तरह का कोई क्रान्तिकारी परिवर्तन नहीं हुआ है।

आलेख के अगले हिस्से में वे भारत को, भारत के समाज के बारे में क्या राय रखते हैं, इसका दर्शन होता है। 

  •  कुछ गिने-चुने व्यक्ति भले ही मध्य-युगीन अधिनायकतन्त्री मनोवृत्ति से आंशिक अथवा पूर्णरूप ऊपर उठ सके हों; किंतु व्यापक और सामूहिक रूप से तो भारतीय संस्कृति अभी तक भी मध्य-युगीन और अधिनायकतन्त्री मनोवृत्ति की ही है। अज्ञान, अन्धविश्वास, अंध श्रद्धा और रूढ़ियों को यहां अब भी गुण माना जाता है। सच तो यह है कि किसी भी देश का सांस्कृतिक और बौद्धिक वातावरण उसी सीमा तक जनतन्त्र के जन्म के लिए अनुकूल होता है, जिस सीमा तक कि वह अज्ञान, अंधविश्वास, अन्धानुकरण और अधिनायकतंत्री मनोवृत्ति से हटकर जीवन के प्रति एक समान मानवतावादी दृष्टिकोण को अपनाता है।

पाञ्चजन्य जहां भारतीय संस्कृति को समस्याओं के समाधान का माध्यम मानता है, वहीं मानवेंद्रनाथ भारतीय समाज को अज्ञानी मानते हैं। यह उनका पश्चिम से आयातित वैचारिक दृष्टिकोण है। परंतु पाञ्चजन्य के लिए यह आवश्यक था कि पत्रिका लोकतंत्र का मंच बने इसके लिए सभी तरह के विचारों को पत्रिका में स्थान मिले और पाञ्चजन्य ने अपनी इस भूमिका का निर्वाह किया।     

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

‘अच्छा इसलिए झुका पाकिस्तान’… : जानिए India Pakistan Ceasefire के पीछे की कहानी

पाकिस्तानी गोलाबारी में JCO बलिदान, 6 की मौत और 20 से अधिक घायल

मऊ में ट्रिपल तलाक का सनसनीखेज मामला : रिजवाना को छोड़कर अशरफ ने रचाया दूसरा निकाह, पीड़िता ने SP से लगाई गुहार

उत्तराखंड : जमरानी बांध पहुंचे सांसद अजय भट्ट- 2029 तक कार्य पूर्ण करने के निर्देश, ग्रामीणों को मिलेगा रोजगार

उत्तराखंड : केदारनाथ के लिए हेलीकॉप्टर सेवा फिर शुरू, चारधाम यात्रा जारी

प्रतीकात्मक तस्वीर

Fact Check: नगरोटा एयर बेस पर हमले का फेक वीडियो वायरल, पीआईबी के फैक्ट चेक में सच सामने आया

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

‘अच्छा इसलिए झुका पाकिस्तान’… : जानिए India Pakistan Ceasefire के पीछे की कहानी

पाकिस्तानी गोलाबारी में JCO बलिदान, 6 की मौत और 20 से अधिक घायल

मऊ में ट्रिपल तलाक का सनसनीखेज मामला : रिजवाना को छोड़कर अशरफ ने रचाया दूसरा निकाह, पीड़िता ने SP से लगाई गुहार

उत्तराखंड : जमरानी बांध पहुंचे सांसद अजय भट्ट- 2029 तक कार्य पूर्ण करने के निर्देश, ग्रामीणों को मिलेगा रोजगार

उत्तराखंड : केदारनाथ के लिए हेलीकॉप्टर सेवा फिर शुरू, चारधाम यात्रा जारी

प्रतीकात्मक तस्वीर

Fact Check: नगरोटा एयर बेस पर हमले का फेक वीडियो वायरल, पीआईबी के फैक्ट चेक में सच सामने आया

India And Pakistan economic growth

India Pakistan Ceasefire Deal : 12 मई को फिर होगी DGMO स्तर की वार्ता

प्रतीकात्मक तस्वीर

Fact Check: IAF विमान दुर्घटना का फर्जी वीडियो वायरल, ये है पूरा सच

Donald trump want to promote Christian nationalism

भारत-पाकिस्तान में Cease Fire : जानिए क्या बोले राष्ट्रपति Donald Trump..?

कुछ भी बोलने से पहले ये जरूर सोचना चाहिए कि दुश्मन आपके बयान को एजेंडा न बना ले

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies