ताजा समाचार हैं कि म्यांमार की सेनाएं अपने यहां से भारत विरोधी कार्रवाइयों में लगे विद्रोही संगठनों के विरुद्ध सैन्य अभियान चलाए हुए हैं। म्यांमार सरकार के सूत्रों के अनुसार, पता यह भी चला है कि म्यांमार की सेनाएं म्यांमार की धरती पर स्थित शिविरों से संचालित भारत विरोधी हथियारबंद गुटों के विरुद्ध अभियान चला रही हैं।
म्यांमार से संचालित पीपु्ल्स लिबरेशन आर्मी जैसे विद्रोही गुटों के विरुद्ध म्यांमार सेना के अभियान में काफी कामयाबी मिल रही है। यह वही गुट है, जिसने पिछले साल असम राइफल्स के एक कर्नल रैंक के अधिकारी और उनके परिवार पर हमला करके उनकी हत्या कर दी थी। तबसे भारत की सुरक्षा एजेंसिया म्यांमार सेना से संपर्क बनाए हुए है और इस गुट के विरुद्ध निर्णायक कार्रवाई में सहयोग दे रही हैं। भारतीय सेना का भी म्यांमार सरकार से संपर्क बना हुआ है। अभी तक इस हिंसक गुट के पांच विद्रोहियों को भारत की एजेंसियों के हवाले किया जा चुका है। इन सबको भारत लाया जाएगा।
13 नवंबर को मणिपुर में विद्रोही गुट के हमले में असम राइफल्स के कमांडिंग अफसर सहित पांच जवान शहीद हुए थे। घात लगाकर किए गए इस हमले को भारत-म्यांमार सीमा के पास अंजाम दिया गया था। इस जानलेवा हमले में 46 असम राइफल्स के कमांडिंग अफसर कर्नल विप्लव त्रिपाठी, उनकी पत्नी, 8 साल के पुत्र सहित चार जवान शहीद हुए थे।
उल्लेखनीय है कि गत वर्ष 13 नवंबर को मणिपुर में विद्रोही गुट के हमले में असम राइफल्स के कमांडिंग अफसर सहित पांच जवान शहीद हुए थे। घात लगाकर किए गए इस हमले को भारत-म्यांमार सीमा के पास अंजाम दिया गया था। इस जानलेवा हमले में 46 असम राइफल्स के कमांडिंग अफसर कर्नल विप्लव त्रिपाठी, उनकी पत्नी, 8 साल के पुत्र सहित चार जवान शहीद हुए थे।
इसके अलावा मणिपुर के जिला चूराचांदपुर में भी जवानों पर एक हमला हुआ था जिसमें चार सैनिक बुरी तरह जख्मी हुए थे। बता दें कि इन घटनाओं से पहले डोगरा रेजिमेंट बटालियन के विरुद्ध घात लगाने में शामिल देश विरोधी विद्रोही गुटों के विरुद्ध भार की ओर से सर्जिकल स्ट्राइक की गई थी। इस कार्रवाई में करीब 20 सैनिक शहीद हुए थे।
अभी इस बात की पुख्ता जानकारी नहीं मिली है कि भारत विरोधी हिंसक विद्रोही गुटों के विरुद्ध म्यांमार की सेना के इस अभियान में कितने विद्रोही मारे जा चुके हैं।
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