भुवनेश्वर में राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री राहत कोष से मिशनरी ऑफ चैरिटी संस्था को 78 लाख 67 हजार रुपये की सहायता राशि प्रदान किये जाने की घोषणा का विरोध बढ़ता जा रहा है। राज्य सरकार के इस निर्णय के खिलाफ बुधवार को अनेक संगठनों के पदाधिकारी राज्यपाल प्रोफेसर गणेशीलाल से मिले और उन्हें ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में मुख्यमंत्री के इस संविधान विरोधी निर्णय को वापस लेने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की गई है। साथ ही राज्यपाल से अनुरोध किया है कि आने वाले दिनों में इस तरह के संविधान विरोधी कदम सरकार न उठाए, यह सुनिश्चित करें।
ज्ञापन में कहा गया है कि मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने मुख्यमंत्री राहत कोष से 78 लाख रुपये देने की घोषणा की है। अपने आप को साफ सुथरा व सेकुलर बोलने वाले मुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री राहत कोष से यह राशि प्रदान करने की घोषणा कर अपने हिन्दू विरोधी व एक खास संप्रदाय को प्रोत्साहन देने की मानसिकता को स्पष्ट कर दिया है। ज्ञापन में कहा गया है कि मुख्यमंत्री राहत कोष से गरीब लोगों को असुविधा की स्थिति में पैसे प्रदान किये जाने का प्रावधान है या फिर आपदा के समय इस धन का उपयोग होता है, लेकिन यहां पर बिना किसी आवेदन के ईसाई मिशनरी संस्था को धनराशि प्रदान किया जाना अस्वीकार्य है।
ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि मुख्यमंत्री का व्यवहार सभी धर्मों के प्रति एक जैसा होना चाहिए, लेकिन मुख्यमंत्री ने हिन्दू संगठन द्वारा संचालित विद्यालयों को राशन बंद कर रहे हैं और मिशनरी संस्थाओं द्वारा संचालित संस्थाओं को लाखों रुपये दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि कंधमाल जिले के जलेशपेटा आश्रम स्कूल राज्य सरकार ने राशन बंद कर दिया है। राज्य सरकार हिंदू विशेषकर जनजाति समाज द्वारा संचालित संस्थाओं के प्रति संवेदनहीन है। ज्ञापन में राज्यपाल से मांग की गई है कि इस विषय में स्वयं हस्तक्षेप करें। इस प्रतिनिधिदल में विहिप के प्रदेश अध्यक्ष डॉ प्रफुल्ल मिश्र, प्रदेश संगठन मंत्री आनंद कुमार पाण्डेय, हिन्दू जागरण मंच के अध्यक्ष अजीत पटनायक व वनवासी कल्याण आश्रम के प्रदेश महासचिव चंद्रकांत नाथ शामिल थे।
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