मीम अलिफ हाशमी
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को कुर्सी से उतारने की प्रमुख विपक्षी दलों की फिर कोशिशें तेज हो गई हैं। एक तरफ विपक्ष दलों का संयुक्त मोर्चा पाकिस्तान डेक्रेटिकव मूवमेंट में आफिस अली जरदारी की पार्टी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी यानी पीपीपी को दोबारा शामिल करने के प्रयास तेज हो गए हैं। वहीं, संसद में विश्वास प्रस्ताव लाकर सरकार को गिराने से पहले शक्ति प्रदर्शन के लिए 'लांच मार्च' आयोजित करने की योजना बनी है। जलसा, जुलूस और लांग मार्च कर पाकिस्तानी जनता को यह समझाने की कोशिश की जाएगी कि महंगाई, बेकारी, बेरोजगारी और गिरती कानून व्यवस्था अब असहनीय हो गई है। इमरान खान जब तक सरकार में रहे, तब तक विकराल होती इन समस्याओं से पाकिस्तानी जनता को छुटकारा दिला पाना संभव नहीं, इसलिए वे भी उनके आंदोलनों में शामिल होकर इमरान सरकार को गद्दी से उतारने में मदद करें। इस बीच यह खबर भी आ चुकी है कि सेना इमरान खान सरकार के रवैये से नाराज है और मियां नवाज शरीफ की ताजपोशी की तैयारी चल रही है। अभी मियां साहब लंदन में निर्वासित जीवन बिता रहे हैं।
बहरहाल, इमरान खान को सत्ताच्युत करने के मुद्दे पर बुधवार को पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष शहबाज शरीफ और पीडीएम प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान की इस्लामाबाद में मुलाकात हुई। उनके बीच लंबी चली बैठक के बाद बताया गया कि उन्होंने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव और सदन में समर्थन देने में अपनी भूमिका को फिर से कंडीशन किया है। शाहबाज शरीफ ने कहा कि इस बार विपक्षी दलों का मानना है कि इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव सफल होगा। संख्यात्मक बहुमत के साथ हमें इस बात पर भरोसा होना चाहिए कि श्रेष्ठता कैसे प्राप्त जाती है। बता दें कि इससे पहले सदन में इमरान खान के खिलाफ आए विश्वास प्रस्ताव के दौरान विपक्ष में दरार पड़ गई थी।
मौलाना फजलुर रहमान के आवास पर दोनों नेताओं की हुई बैठक में मौलाना ने कहा कि बैठक में 27 फरवरी को पीपीपी के लॉन्ग मार्च की घोषणा से पहले बिलावल भुट्टो ने उन्हें एक संयुक्त लॉन्ग मार्च में आमंत्रित किया है, लेकिन मैंने यह कहते हुए मना कर दिया कि जब आप पीडीएम में नहीं लौटना चाहते हैं, तो हम उनके मेले को सजाने के लिए संयुक्त लंबा मार्च क्यों करें। हम महंगाई के खिलाफ मार्च करेंगे। दरअसल, इस तरह की बातें कर मौलाना पीपीपी पर दबाव बनाना चाहते हैं ताकि यह विपक्षी दलों के संयुक्त मोर्चा पीडीएम के कार्यक्रमों के साथ आ जाएं। सूत्रों के मुताबिक, बैठक में पीडीएम में पीपीपी की वापसी को लेकर आसिफ अली जरदारी के हालिया बयान पर भी चर्चा हुई। जरदारी के उक्त बयान के बाद ही फजलुर रहमान ने शाहबाज शरीफ से संसद में पीपीपी के साथ अपना सहयोग जारी रखने की मंशा जताई है। बैठक में दोनों नेताओं ने कुछ गैर-राजनीतिक मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया, ताकि दोनों पक्षों की बीच भरोसा प्रगाढ़ हो सके।
बताते हैं कि मौलाना के कुछ सवालों के लिए शाहबाज शरीफ ने लीग के साथियों से सलाह-मशविरा कर जवाब देने का समय मांगा है। इसके बाद ही 25 जनवरी को आयोजित पीडीएम शिखर सम्मेलन की रूप-रेखा तय की जाएगी। इस बार विपक्षी दल ऐसा कोई छिद्र नहीं छोड़ना चाहता जिसकी मदद से इमरान खान सरकार में बने रह सकें। बैठक के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन से इतर मीडिया से बात करते हुए मौलाना फजलुर रहमान ने मेजबानी के अपने अधिकार का पूरा फायदा उठाया। ज्यादातर सवालों के जवाब खुद ही दिए, जबकि शहबाज शरीफ इस मौके पर राजनीतिक अतिथि के तौर पर नजर आए। जब शहबाज पर इमरान खान को सरकार में बने रहने में मदद करने को लेकर सवाल पूछा गया तो वह वहां से उठकर चले गए। दूसरी ओर अवामी नेशनल पार्टी भी सरकार के खिलाफ जनता के विरोध को भुनान, लांग मार्च में भाग लेने और अपनी भूमिका निभाने की तैयारी में है। बता दें कि आसिफ जरदारी और बिलावल भुट्टो ने इच्छा व्यक्त की है कि एएनपी लांग मार्च में पूरी क्षमता के साथ भाग ले। बता दें कि पीपीपी का 27 फरवरी को सरकार के खिलाफ लांग मार्च है।
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