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लबादा नया, जिहाद पुराना

Ashwani Mishra by Ashwani Mishra
Jan 12, 2022, 07:30 pm IST
in भारत, जम्‍मू एवं कश्‍मीर
अराजकता फैलाने की हरसंभव कोशिश में जुटे हैं कश्मीर में उग आए नए आतंकी संगठन

अराजकता फैलाने की हरसंभव कोशिश में जुटे हैं कश्मीर में उग आए नए आतंकी संगठन

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हाल के वर्षों में जम्मू-कश्मीर में कुछ नए आतंकी संगठन उग आए हैं, जिनके नाम में ‘इस्लाम’ लिखा नजर नहीं आता। यह पाकिस्तान और आतंकी आकाओं की दुनिया की आंख में धूल झोंकने की गहरी साजिश है। पड़ताल करते ही उजागर हो जाता है कि ये लश्कर और जैश के मुखौटा आतंकी ही हैं 

जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बल आतंकियों पर काल बनकर टूट रहे हैं। चुन-चुनकर घाटी से आतंकियों का सफाया किया जा रहा है। हालत यह है कि कुख्यात आतंकी संगठनों की कमर टूट चुकी है। जम्मू—कश्मीर पुलिस द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक 2021 में 100 से अधिक आपरेशन हुए हैं, जिनमें 182 आतंकियों को मार गिराया गया। इनमें 44 शीर्ष आतंकी थे, जो पाकिस्तान और आतंकी आकाओं के इशारों पर कश्मीर में हत्या व अन्य आतंकी वारदातों को अंजाम देकर दहशत फैलाने का काम कर रहे थे। मारे गए 44 दुर्दांत आतंकियों में 26 लश्कर-ए-तैयबा, 10 जैश-ए-मुहम्मद, हिज्बुल मुजाहिदीन के सात और अलबदर का एक आतंकी शामिल था। घाटी में इस तरह की ताबड़तोड़ कार्रवाई से आतंकी संगठनों ने अपनी रणनीति बदली है। हाल के कुछ वर्षों में पांच ऐसे आतंकी संगठन घाटी में उग आए, जिनके नाम में कहीं भी इस्लाम का असर नजर नहीं आता। वे खुद को पूरी तरह से स्थानीय बताने की कोशिश में लगे हैं। जम्मू—कश्मीर मामलों के जानकार मानते हैं कि पाकिस्तान और कुख्यात आतंकी संगठन इस तरह की हरकतों से दुनिया की आंख में धूल झोंकने की कोशिश कर रहे हैं। इसके जरिए वह यह दिखाना चाहते हैं कि कश्मीर में जो भी खून—खराबा हो रहा है, उसमें न तो पाकिस्तान का हाथ, न तो शीर्ष आतंकी संगठनों का। कश्मीर के युवा ही यह लड़ाई भारत से लड़ रहे हैं। जबकि हकीकत यह है कि घाटी में उग आए नए आतंकी संगठन दुर्दांत आतंकी संगठनों के मुखाौटा ही हैं, जो सीमा पार बैठे आकाओं के इशारों पर कश्मीर की आबोहवा में जहर घोलने का काम कर रहे हैं।

घाटी में आतंकियों का काल बने सुरक्षा बल

गहरी साजिश
दक्षिण कश्मीर स्थित बिजबेहड़ा के अरवनी में बीते दिनों सीआरपीएफ के बंकर पर ग्रेनेड हमले की जिम्मेदारी नए आतंकी संगठन कश्मीर फ्रीडम फोर्स (केएफएफ) ने ली थी। पांच अगस्त, 2019 के बाद जम्मू—कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठनों की जमात में यह पांचवा नया संगठन है, जो घाटी में सिर उठाए हुए है। खासबात यह है कि अन्य चार संगठनों की तरह इसके नाम में भी इस्लाम का असर नजर नहीं आता। द रजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ), पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट (पीएएफएफ), कश्मीर टाइगर्स (केटी), युनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट (यूएलएफ) और कश्मीर फ्रीडम फोर्स (केएफएफ) सुरक्षाबलों के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आए हैं। इस मामले पर राज्य के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह कहते हैं कि पाकिस्तान और आतंकी संगठनों का मकसद सिर्फ कश्मीर में जारी आतंकी हिंसा को इस्लामिक आतंकवाद के दायरे से किसी तरह से दूर रखना है और यह बताना है कि कश्मीर में आतंकी हिंसा नहीं बल्कि कश्मीरियों की भारत के खिलाफ आजादी की जंग है।

जम्मू—कश्मीर पुलिस द्वारा 2021 में 100 से अधिक आपरेशन किए गए, जिनमें 182 आतंकियों को मार गिराया गया। इनमें 44 शीर्ष आतंकी थे, जो पाकिस्तान और आतंकी आकाओं के इशारों पर कश्मीर में दहशत फैलाने का काम कर रहे थे।

 

टीआरएफ, पीएएएफ या इन जैसे जो नए संगठन सामने आए हैं, वह सिर्फ नाम के लिहाज से नए हैं। ये जैश, लश्कर और हिज्बुल ही नए लबादों में है। आतंकी संगठनों के नाम से हमें कोई फर्क नहीं पड़ता, जो यहां हिंसा फैलाएगा, देश की एकता और अखंडता के खिलाफ काम करेगा, मारा जाएगा।

 

जम्मू—कश्मीर के पूर्व पुलिस महानिदेशक एस.पी.वैद्य भी इस मामले पर विस्तार से बताते हैं कि हाल के वर्ष में घाटी में उग आए नए आतंकी संगठन पाकिस्तान और सीमा पार बैठे आतंकी संगठनों की साजिश का एक बड़ा हिस्सा हैं।

वे कहते हैं, ‘जो नए आतंकी संगठन घाटी में दिखाई दे रहे हैं, उनके नाम स्थानीय दिए जा रहे हैं, ताकि दुनिया को भ्रमित किया जा सके। जबकि ये लश्कर और जैश के मुखौटा आतंकी हैं। दरअसल इसके पीछे दो मकसद हैं। पहला, स्थानीय लोगों को कश्मीर के नाम पर भड़काना—जोड़ना। दूसरा, पाकिस्तान पर आज दुनिया का दबाव है कि वह आतंकियों को पनाह देना बंद करे। अभी तक उसे एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में रखा गया है।

 

बड़े हमलों को दिया अंजाम

5 अक्तूबर, 2021 : श्रीनगर के इकबाल पार्क क्षेत्र में दवा व्यवसायी कश्मीरी हिन्दू माखनलाल बिंद्रूको आतंकियों ने उनके मेडिकल स्टोर में घुसकर गोली मार दी थी। बिंद्रू पर हमले के बाद अवंतीपोरा में आतंकियों ने बिहार के वीरेंद्र पासवान की हत्या कर दी थी। इसके थोड़ी देर बाद बांदीपोरा के मोहम्मद शफी लोन को भी निशाना बनाया था।

7 अक्तूबर, 2021 : श्रीनगर के ईदगाह इलाके में स्थित स्कूल में घुसकर आंतकियों ने दो शिक्षकों को मार डाला। इनकी पहचान सुपिंदर कौर और दीपक चंद के रूप में हुई। सुपिंदर सिख समुदाय से तो दीपक चंद कश्मीरी हिन्दू थे। आतंकियों ने दोनों के आईडी कार्ड देखने के बाद गोलियों से भूना था।

16 अक्तूबर, 2021 : श्रीनगर के ईदगाह इलाके में बिहार के रहने वाले अरविंद कुमार साह की हत्या कर दी। दूसरी घटना पुलवामा में हुई, जहां उत्तर प्रदेश के निवासी सगीर अहमद की हत्या कर दी।

17 अक्तूबर, 2021  : कुलगाम के वनपोह इलाके में बिहार के कामगार राजा ऋृषि, जोगिंदर ऋृषि की आतंकियों ने नृशंस हत्या कर दी थी।

 

पाकिस्तान पर कई आर्थिक पाबंदियां लगी हुई हैं। ऐसे में पाकिस्तान नहीं चाहता कि उसका कहीं भी नाम आए और दुनिया में और उसकी फजीहत हो। लेकिन पीछे रहकर वह साजिश रचने से बाज नहीं आता। कश्मीर का माहौल खराब रहे, इसके लिए वह नए—नए आतंकी संगठनों को आगे करता है, जिनके नाम में इस्लाम का जिक्र नहीं है। जबकि असल में यह कुख्यात आतंकी संगठनों के मुखौटे हैं और सीमा पार से संचालित हो रहे हैं।’ आईएसपीआर की साजिश का जिक्र करते हुए वह बताते हैं ‘कश्मीर में अराजकता फैलाने के लिए वह हर समय कुछ न कुछ करती रहती है। वह जब चाहती है तो घाटी में आतंक का स्तर बढ़ जाता है और जब चाहती है तो कम हो जाता है। निश्चित रूप से इस पर लगाम कसना सुरक्षा एजेंसियों और जम्मू—कश्मीर पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती है। कुल मिलाकर हमारा ध्यान यह होना चाहिए कि सीमा पार से किसी भी स्थिति में हथियार और विदेशी आतंकी न आने पाएं। स्थानीय जिहादी युवाओं को आतंक के रास्ते पर ले जाने में कामयाब न हों। हमें हर स्तर पर बड़ी संजीदगी से काम करना होगा। यह सब हो भी रहा है।’

नई चुनौती ‘हाइब्रिड’ आतंकी
पाकिस्तान से संचालित हो रहे लश्कर-ए-तैयबा, हिज्बुल मुजाहिद्दीन, जैश-ए-मोहम्मद, हरकत-उल-मुजाहिद्दीन और अल-बद्र जैसे आतंकी संगठन कश्मीर समेत भारत में आतंकी हमले की फिराक में ही रहते हैं। लेकिन अब ये नए तरीके से आंतक को अंजाम दे रहे हैं। लिहाजा घाटी में सुरक्षा बल आतंकवाद के मोर्चे पर नित नई चुनौतियों का सामना करते हैं। अब उन्हें ‘हाइब्रिड’ आतंकियों की मौजूदगी की वजह से काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।

 

‘हाइब्रिड आतंकी’ को यह नहीं पता होता है कि उसे काम किसने सौंपा है और हथियार किसने मुहैया कराया। बस उसे निशाना किसे बनाना या क्या घटना अंजाम देनी है, यह पता होता है। इसमें साजिश यह होती है कि किसी भी तरह से पहचान उजागर न हो।

दरअसल हाईब्रिड आतंकवादी पेशेवर आतंकी नहीं होते हैं। यही वजह होती है कि सुरक्षा एजेंसियों के पास इनकी कोई जानकारी नहीं होती है। सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार इसमें उन लड़कों को जाल में फंसाया जाता है, जो पहले आतंकियों की किसी तरह मदद करते रहे या उनके प्रति सहानभूति रखते हैं। आतंकी आका इनको हथियार मुहैया कराने के साथ टास्क देते हैं। इस दौरान ‘हाइब्रिड आतंकी’ को यह नहीं पता होता है कि उसे काम किसने सौंपा है और हथियार किसने मुहैया कराया। बस उसे निशाना किसे बनाना या क्या घटना अंजाम देनी है, यह पता होता है। इसमें साजिश यह होती है कि किसी भी तरह से पहचान उजागर न हो। आतंकी संगठन इस तरह के आतंक से घाटी में दहशत फैलाने और लोगों में डर पैदा करने का काम कर रहे हैं।

आतंकी हरकतों पर पैनी नजर रखने वाले राज्य के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि कुछ दिन पहले एक नैरेटिव चलाया गया कि जम्मू—कश्मीर का जनसांख्यिक परिवर्तन किया जाएगा। कश्मीरी हिन्दू फिर से घाटी में बसाएं जाएंगे। उसी समय देखने में आया कि अचानक से घाटी में खून—खराबा बढ़ गया। लोगों को निशाना बनाया जाने लगा। दरअसल, तब दहशतगर्दों ने संदेश दिया कि कोई भी इस तरह की हिमाकत करने की न सोचे, जो सोचेगा, वह मारा जाएगा। कुल मिलाकर कहें तो कश्मीर का तालिबानीकरण करने की आतंकियों की ये कोशिशें हैं। लेकिन राज्य की पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां आतंक की कमर तोड़ने में लगी हुई हैं। चुन—चुनकर उनका सफाया किया जा रहा है। ऐसे में बौखलाए आतंकी नए—नए तरीकों से सामने आते हैं। पर अंत सबका एक ही जैसा होता है।

छटपटाता पाकिस्तान
भारतीय सेना की आक्रामक कार्रवाई के चलते सीमा पार से घुसपैठ के आंकड़ों में जहां कमी आई है तो वहीं घाटी के अंदर पनपते आतंकियों का समूल नाश किया जा रहा है। ऐसे में पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। पाकिस्तानी सेना और इमरान सरकार पर आवाम का भारी दबाव है कि वह कश्मीर में कुछ करके दिखाए। तो दूसरी तरफ लश्कर, जैश, हिजबुल जैसे आतंकी संगठन और उनके सरगना भी कानूनी शिकंजों से बचना चाहते हैं। भारत सहित अमेरिका ने इन्हें शीर्ष आतंकी सूची में डाल रखा है। ऐसे हालात में वह अपने संगठनों को लो प्रोफाइल रखते हुए नए संगठनों के जरिए आतंकी हिंसा को जारी रखने की साजिश कर रहा है।

 सुरक्षा एजेंसियों के सामने नई चुनौती बनकर उभरे हैं ‘हाइब्रिड’ आतंकी 

श्रीनगर के निवासी एवं जम्मू—कश्मीर पंचायत राज मूवमेंट के अध्यक्ष सोफी यूसुफ कहते हैं ‘पाकिस्तान कश्मीर को लेकर छटपटा रहा है। वह घाटी में जो करना चाहता, उसमें उसे सफलता नहीं मिल रही। लिहाजा वह नई—नई साजिशें रचता है। आईएसआई के साथ मिलकर कुख्यात आतंकी संगठन स्थानीय स्तर पर छोटे छोटे नए आतंकी संगठन तैयार कर रहे हैं। इन संगठनों में दो चार नए लड़कों के साथ लश्कर, जैश और इन जैसे किसी पुराने आतंकी संगठन का काडर भी रहता है।

घाटी में सुरक्षा बल आतंकवाद के मोर्चे पर नित नई चुनौतियों का सामना करते हैं। अब उन्हे  ‘हाइब्रिड’ आतंकियों की मौजूदगी की वजह से काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।

 

वे बताते हैं कि इनके आंतकी मंसूबे कभी कामयाब नहीं होने वाले। यह कितने ही रूप बदलकर आएं, कश्मीर की आवाम उन्हें पहचानती है और उनका कभी भी साथ नहीं देने वाली। यही कारण है कि कोई भी अच्छा कश्मीरी इनका साथ नहीं दे रहा। तभी सुरक्षा बल इनका सफाया करने में कामयाब हो रहे हैं।’

सोशल मीडिया पर भी हैं सक्रिय
खबरों के अनुसार ये नए आतंकी समूह सोशल मीडिया पर बहुत सक्रिय हैं। लोगों तक पहुंचने के लिए टेलीग्राम चैनल बनाए गए हैं। वेब ब्लॉग पोस्ट किए हैं और घाटी में पीडीएफ तक शेयर की गईं। इसके जरिए जिहादी घाटी के युवाओं को बहकाते हैं और आतंकी रास्ते पर आने के लिए उकसाते हैं। हालांकि पुलिस की इन सभी गतिविधियों पर कड़ी नजर रहती है।                 

 

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