तीन पीढ़ियों के महाबलिदानी : गुरु गोबिंद सिंह जी
Saturday, May 21, 2022
  • Circulation
  • Advertise
  • About Us
  • Contact Us
Panchjanya
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
SUBSCRIBE
No Result
View All Result
Panchjanya
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
No Result
View All Result
Panchjanya
No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • संघ
  • Subscribe
होम भारत

तीन पीढ़ियों के महाबलिदानी : गुरु गोबिंद सिंह जी

WEB DESK by WEB DESK
Jan 9, 2022, 04:04 pm IST
in भारत, दिल्ली
गुरु गोबिंद सिंह जी

गुरु गोबिंद सिंह जी

Share on FacebookShare on TwitterTelegramEmail
धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपनी तीन पीढ़ियों का बलिदान कर दिया था। पढ़ें उनकी जयंती पर विशेष लेख  

– विनोद बंसल

दुनिया में देश व धर्म की रक्षार्थ अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले महापुरुष तो अनेक मिलेंगे किन्तु अपनी तीन पीढ़ियों, बल्कि यों कहें कि अपने पूरे वंश को इस पुनीत कार्य हेतु बलिदान करने वाले विश्व में शायद एकमेव महापुरुष गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज ही होंगे। दिल्ली के चाँदनी चौक के प्रसिद्ध गुरुद्वारे का तो नाम ही शीशगंज गुरुद्वारा इसीलिए पड़ा कि वहां पर मुगलों ने गुरु तेगबहादुर के शीश को इसी स्थान पर उनके धड़ से अलग कर दिया था, क्योंकि वे किसी भी कीमत पर धर्मांतरण को तैयार नहीं थे।
पिता (गुरू तेगबहादुर जी) का दिन-रात देश और समाज का चिन्तन तथा धर्म रक्षा का संकल्प बालक के मन को अन्दर तक छू रहा था। एक दिन गुरु तेगबहादुर जी कश्मीरी पंडितों पर हुए मुगलों के अमानवीय अत्याचारों की कथा सुनते-सुनते कहने लगे— इस समय धर्म रक्षा का एक ही उपाय है कि कोई बड़ा धर्मात्मा पुरुष बलिदान दे। यह बात बालक गोबिंद बड़े ध्यान से सुन रहे थे। सभी लोग विषय की गम्भीरता को देख मौन थे। अचानक बालक गोबिंद बोल पड़ा, ''पिताजी, आज के समय में आपसे बढ़कर दूसरा महात्मा व धर्मात्मा पुरुष और कौन हो सकता है।'' नौ वर्षीय बालक के इस उत्तर पर गुरु तेगबहादुर बहुत प्रसन्न हुए।
      मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी सन् 1675 को पिता के बलिदान के पश्चात बालक गोबिंद नौ वर्ष तक आनन्दपुर साहिब में रहे, जहाँ उन्होंने अपनी भावी जीवन की योजना बनाई। अपने बलिदान से पूर्व गुरु तेगबहादुर ने यहीं पर उन्हें गुरुता गद्दी प्रदान करते हुए देश, धर्म व दुखी जनता का उद्धार करने का आशीर्वाद दिया। बालक गोबिंद से गुरु गोविन्द बने दशम गुरु ने सिख समुदाय को हुक्मनामे भेज-भेज कर अस्त्र, शस्त्र और धन एकत्रित किया तथा सामाजिक धारा को क्रांतिकारी रूप देने के लिए एक छोटी सेना भी बनाई।
      भारत में मुगल शासकों के निरन्तर बढ़ते आक्रमणों से देश और धर्म को बचाने के लिए सन् 1699 में बैसाखी के दिन गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने अनुयाइयों की एक विशाल सभा बुलाई जिसे सम्बोधित करते हुए उन्होंने हाथ में नंगी तलवार लेकर प्रश्न किया, “है कोई, जो धर्म के लिए अपने प्राण दे सके?” उनकी इस प्रेरणादायक ललकार को सुनकर बारी-बारी से दयाराम खत्री(लाहौर), धर्मदास जाट(दिल्ली), मोहकत चंद धोबी(द्वारिका), हिम्मत सिंह रसोइया(जगन्नाथ पुरी) तथा साहब चंद नाई(बिहार) आगे आए। फ़िर क्या था, सारा निश्तेज समाज ऊर्जावान होकर उठ खड़ा हुआ। उन्होंने यहीं पर जात-पात के भेदभाव में बिखरे हिन्दू समाज को संगठित कर खालसा के रूप में खड़ा किया और इस प्रकार 13 अप्रैल, 1699 ई को पंजाब के आनन्दपुर साहिब में खालसा पंथ की स्थापना हुई।
खालसा का अर्थ है “खालिस” अर्थात “शुद्ध”। इसके लक्षण पूछने पर दशमेश गुरु ने कहा कि खालसा वह है जिसने काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार पर काबू पा लिया हो तथा अभिमान, पर-स्त्री गमन, पर-निन्दा तथा मिथ्या विश्वासों के भ्रमजाल से सदा दूर रहता हो। जो दीन दु:खियों की सेवा व दुर्जन-दुष्टों का विनाश कर निरन्तर श्रध्दापूर्वक प्रभु नाम के जप में लीन रहता हो। खालसा को चरित्रवान व पराक्रमी बनाये रखने के लिए उन्होनें पांच ककार धारण करने के लिए कहा। ये हैं: 1. कृपाण 2. केश 3. कंघा, 4. कच्छा व 5. कड़ा।
      पौष शुक्ल सप्तमी को पटना साहिब में प्रकट हुए गुरु गोबिं सिंह जी एक बड़े समाज सुधारक थे। सती प्रथा, कन्या वध, अस्पृश्यता (छूआ-छूत) इत्यादि सामाजिक बुराइयों से दूर समानता पर आधारित सामाजिक संरचना के वे पक्षधर थे। वीरता व पराक्रम में उनका मुकाबला नहीं था।
औरंगजेब समर्थक, पंजाब के पर्वतीय नरेशों को, भंगाणी के युध्द में पराजित किया और 1703 में उन्होंने चमकौर के युध्द में केवल 40 सिखों की सहायता से मुगलों की विशाल सेना के छक्के छुड़ा दिए थे। इसमें गुरु गोबिंद सिंह के दो बड़े पुत्रों अजीत सिंह व जुझार सिंह के साथ पांच प्यारों में से तीन प्यारे शहीद हो गए।
सन् 1703 में सरहिन्द के नवाब वजीर खाँ ने उनके दो छोटे पुत्रों जोरावर सिंह और फतेह सिंह को, इस्लाम स्वीकार न करने के कारण दीवार में जीवित चिनवा दिया। चारों पुत्रों और पत्नी की क्रूर हत्या होने के बावजूद गुरुजी एक महान योगी की तरह बिल्कुल भी विचलित नहीं हुए, 1706 में उन्होंने खिदराना का युध्द लड़ा।
वे महान योद्धा तो थे ही, संगीत, साहित्य व कला के क्षेत्र में भी उनकी गहरी रुचि थी। वे रचनाकार कवि भी थे। उनके द्वारा रचित दशम ग्रन्थ हैं जिसमें – जापु साहेब, अकाल स्तुति, विचित्र नाटक, चण्डी चरित्र, चण्डी दीवार, जफरनामा, चौबीस अवतार, ज्ञान प्रबोध आदि प्रमुख हैं। उनके दरबार में 52 कवि थे। उन्होंने अपने बाद श्री गुरु ग्रन्थ साहेब को गुरु मानने का आदेश देकर गुरुता गद्दी पर आसीन किया। सन् 1666 में पटना में जन्मे प्रकाश पुंज(गुरुजी) ने सन् 1708 में नांदेड़ में गोदावरी के तट पर देह त्याग कर स्वर्ग की ओर प्रस्थान किया। उनके द्वारा जलाई गई स्वतन्त्रता की ज्योति तथा अन्याय के विरुद्ध लड़ने की भावना आज भी विश्व के लिए प्रेरणास्रोत है। गऊ रक्षा के लिए उनका मत था
'यही दे हु आज्ञा तुरकन गहि खपाऊं, गऊ घात का दोख जगसों मिटाऊं। -उग्रदन्ती
अर्थात्, हे मां भवानी, मुझे आशीर्वाद और आदेश दे कि धर्म विरोधी अत्याचारी तुर्कों को चुन-चुनकर समाप्त कर दूं और इस जगत से गौ हत्या का कलंक मिटा दूं। वे देवी दुर्गा भवानी के अनन्य उपासक थे। 'खालसा' सृजन से पहले उन्होंने शक्ति यज्ञ का अनुष्ठान किया था। उनकी इच्छा थी कि “सकल जगत मो खालसा पंथ गाजै, जगै धरम हिन्दुक तुरक दुंद भाजै।”                                               -उग्रदन्ती
अर्थात्, सारे जगत में खालसा पंथ की गूंज हो, हिन्दू धर्म का उत्थान हो तथा तुर्कों द्वारा पैदा की गई विपत्तियां समाप्त हों।
अपने नाम के तीनों शब्द ‘गुरु’, ‘गोबिंद’ व ‘सिंह’ को शब्दश: चरितार्थ कर देश, धर्म, इतिहास, संस्कृति व स्वाभिमान की रक्षार्थ ज्ञान के भण्डार एक श्रेष्ठ गुरु, गोबिंद की राह के पथ प्रदर्शक तथा सिंह गर्जना के साथ शत्रुओं के छक्के छुड़ा देने वाले गुरु गोविन्द सिंह जी यदि नहीं होते तो मुगलों के अत्याचार के आगे विवश समस्त हिन्दू समाज इस्लाम स्वीकार कर स्वधर्म, स्वराज व स्वाभिमान को सदा के लिए तिलांजलि दे चुका होता। ऎसी महान  विश्वात्मा को उनकी 355वीं जयंती पर शत् शत् नमन।

 

ShareTweetSendShareSend
Previous News

सपा सांसद शफीकुर्रहमान का विवादित बयान, कहा- मुसलमानों को डराने के लिए खोला एटीएस ट्रेनिंग सेंटर

Next News

नावेद ने किडनैप कर नाबालिग का किया कन्वर्जन, फिर किया बलात्कार और निकाह

संबंधित समाचार

‘सत्य के साथ साहसी पत्रकारिता की आवश्यकता’

‘सत्य के साथ साहसी पत्रकारिता की आवश्यकता’

गेहूं के निर्यात पर लगाया गया प्रतिबंध, खाद्य सुरक्षा को लेकर सरकार ने उठाया कदम

खाद्य सुरक्षा से समझौता नहीं

अफ्रीकी देश कांगो में मंकीपॉक्स से 58 लोगों की मौत

अफ्रीकी देश कांगो में मंकीपॉक्स से 58 लोगों की मौत

मंत्री नवाब मलिक के दाऊद इब्राहिम से संबंध के साक्ष्य मिले, कोर्ट ने कहा- कार्रवाई जारी रखें

मंत्री नवाब मलिक के दाऊद इब्राहिम से संबंध के साक्ष्य मिले, कोर्ट ने कहा- कार्रवाई जारी रखें

इकराम, समसुल, जलाल और अख्तर समेत पांच डकैत गिरफ्तार

ज्ञानवापी : शिवलिंग को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाला इनायत खान गिरफ्तार

शिमला में पत्रकारों का सम्मान

शिमला में पत्रकारों का सम्मान

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

‘सत्य के साथ साहसी पत्रकारिता की आवश्यकता’

‘सत्य के साथ साहसी पत्रकारिता की आवश्यकता’

गेहूं के निर्यात पर लगाया गया प्रतिबंध, खाद्य सुरक्षा को लेकर सरकार ने उठाया कदम

खाद्य सुरक्षा से समझौता नहीं

अफ्रीकी देश कांगो में मंकीपॉक्स से 58 लोगों की मौत

अफ्रीकी देश कांगो में मंकीपॉक्स से 58 लोगों की मौत

मंत्री नवाब मलिक के दाऊद इब्राहिम से संबंध के साक्ष्य मिले, कोर्ट ने कहा- कार्रवाई जारी रखें

मंत्री नवाब मलिक के दाऊद इब्राहिम से संबंध के साक्ष्य मिले, कोर्ट ने कहा- कार्रवाई जारी रखें

इकराम, समसुल, जलाल और अख्तर समेत पांच डकैत गिरफ्तार

ज्ञानवापी : शिवलिंग को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाला इनायत खान गिरफ्तार

शिमला में पत्रकारों का सम्मान

शिमला में पत्रकारों का सम्मान

‘हिंदुत्व भारत का मूलदर्शन और प्राणतत्व है’

‘हिंदुत्व भारत का मूलदर्शन और प्राणतत्व है’

10 से 10 तक : दर्दनाक हादसे में 9 लोगों की मौत, 4 घायल

बलरामपुर : बारातियों से भरी बोलेरो की ट्रैक्टर ट्रॉली से टक्कर, 6 लोगों की मौत

  • About Us
  • Contact Us
  • Advertise
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • संघ
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • Vocal4Local
  • विज्ञान और तकनीक
  • खेल
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • साक्षात्कार
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • श्रद्धांजलि
  • Subscribe
  • About Us
  • Contact Us
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies