– डॉ. आनंद पाटील
सेक्युलरिज़्म के नाम पर चयनित अल्पसंख्यकों को खुली छूट देने की धारणा विकसित करने वाले लेफ्ट और लिबरल मीडिया में एक नैरेटिव चलता रहा है कि भारत का मुसलमान डरा हुआ है और उसकी 'लिंचिंग' हो रही है, जबकि संघ के प्रचारकों पर निरंतर होने वाले हमले और सुनियोजित हत्याएं मुख्यधारा के मीडिया में कभी चर्चा, चिंता और चिंतना का विषय नहीं बनतीं। 7 जनवरी 2022 को संघ के पदाधिकारी रविकुमार पर तमिलनाडु के कम्बम (तेनी) में दो बाइक पर आये 4 नकाबपोश लोगों ने प्राणघाती हमला किया, जिसमें 45 साल के रविकुमार गंभीर रूप से घायल हुए। वे तमिलनाडु के तेनी जिले में धर्म जागरण प्रमुख का दायित्व निर्वाह कर रहे हैं। आजीविका के लिए वे कम्बम कुमुली रोड पर ऑटोमोबाइल स्पेयर पार्ट्स की दुकान चलाते हैं। 7 जनवरी की सुबह वे बाइक से अपनी दुकान खोलने जा रहे थे। उसी समय 4 अज्ञात नकाबपोश लोगों ने उन्हें रोका और गालियां देते हुए रॉड और ‘अरुवल’ से हमला कर दिया।
‘अरुवल’ केरल और तमिलनाडु में एक प्रकार का कृषि उपकरण है और इसका उपयोग हथियार के रूप में भी होता है। ज्यादातर इसका उपयोग गैंगस्टर करते हैं। हमलावरों ने रविकुमार के सिर पर अरुवल से ही 5-6 बार प्रहार किया और मृत समझकर मौके से फरार हो गए। किसी तरह पुलिस को इस घटना की सूचना मिली और उत्तमपालयम की पुलिस उपाधीक्षक श्रेया गुप्त पुलिस की एक टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचीं और उन्हें कम्बम सरकारी अस्पताल भेज दिया गया। पुलिस रविकुमार पर हमला करने वाले चारों आरोपियों की तलाश कर रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि 2 जनवरी को रविकुमार और अब्दुल रज्जाक के बीच झगड़ा हुआ था। वास्तव में अब्दुल रज्जाक ने गौमांस का अपशिष्ट रविकुमार के खेत में फेंका था। रविकुमार ने इसकी शिकायत की तो अब्दुल रज्जाक ने उनके साथ हाथापाई की थी। घटना के तुरंत बाद रविकुमार ने अब्दुल रज्जाक के विरुद्ध कम्बम पुलिस स्टेशन (उत्तर) में शिकायत दर्ज कराई थी। उसके बाद 7 जनवरी का यह हमला हुआ है। स्थानीय लोगों को आशंका है कि हमला 2 जनवरी को हुए झगड़े से जुड़ा होना है। इसी सूत्र के आधार पर घटनाओं को जोड़कर जांच की जा रही है। पृथमदृष्टया प्रतीत होता है कि गौमांस अपशिष्ट फेंककर विवाद का मुद्दा खड़ा किया और रविकुमार को मारने का षडयंत्र रचा गया। सर्वविदित है कि केरल-तमिलनाडु में संघ के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है।
संघ के स्वयंसेवक पर हमले के कारण स्थानीय लोगों में भय का वातावरण है। उस क्षेत्र में पुलिस बल तैनात किया गया है। ध्यातव्य है कि द्रमुक सरकार ने अभी अपने कार्यकाल का एक वर्ष भी पूर्ण नहीं किया है। संघ-भाजपा कार्यकर्ता और राष्ट्रवादियों पर इस प्रकार हो रहे हमले इस बात की ओर संकेत करते हैं कि हमलावरों का उद्देश्य रीलिजनिस्ट और मजहबियों के उग्रवाद के विरुद्ध उठने वाली आवाज़ को दबाना-कुचलना है। इस घटना से स्थानीय लोग गहरे सदमे में हैं और उन्हें संदेह है कि इस तरह की घटनाओं को या तो सत्ताधारी पार्टी का समर्थन प्राप्त है या ऐसी घटनाओं की अनदेखी की जा रही है। उल्लेखनीय है कि द्रमुक अल्पसंख्यक समर्थक सरकार है। उसे प्राप्त अल्पसंख्यकों का खुला समर्थन जगजाहिर है।
सूचना का एक सूत्र यह भी है कि खेत में गोमांस अवशिष्ट फेंकने को लेकर पुलिस में की गई शिकायत के उपरांत रविकुमार को एसडीपीआई (सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया) के गुंडों ने धमकी दी थी। उल्लेखनीय है कि उनकी धमकी के बाद यह प्राणघाती हमला हुआ है। केरल के बाद तमिलनाडु में संघ के कार्यकर्ता रीलिजनिस्ट और मजहबियों के निशाने पर हैं। तथाकथित लिबरल मीडिया की दृष्टि में संभवतः इसे लिंचिंग नहीं कहा जा सकता। क्योंकि ऐसे मामले उनके मापदंडों में नहीं बैठते। रविकुमार की स्थिति अभी गंभीर बनी हुई है।
टिप्पणियाँ