'नए पाकिस्तान' के प्रधानमंत्री इमरान खान की मुसीबतें कम होने की बजाय बढ़ती जा रही हैं। उनके और उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीके इंसाफ यानी पीटीआई के लिए नई नई मुश्किलें खड़ी होती जा रही हैं। ताजा मामला पार्टी को मिले बेहिसाब विदेशी चंदे का है, जिसकी जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद विशेषज्ञ मान रहे हैं कि इस मुद्दे पर इमरान बुरी तरह घिर गए हैं। सरकार के 'पापों' को उजागर कर रहे विरोधी दलों को अब एक और मुद्दा मिल गया है।
उल्लेखनीय है कि इमरान की पार्टी पीटीआई 2014 में पहली बार विदेशी चंदे से जुड़े मामले में फंसी थी, इस पर मामला दर्ज किया गया था। तमाम बहसों के बाद 2018 में इसके लिए जांच समिति गठित की गई। पता चला है कि इस समिति ने डेढ़ सौ से अधिक मामलों की जांच पूरी की है। जबकि सामने यह भी आया है कि पीटीआई की तरफ से जांच में बार बार अड़ंगे डालने की कोशिशें की गईं, कम से कम 54 बार जांच को रोकने की अपील दायर की गई।
जांच समिति की अब आई रिपोर्ट से प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए एक नई परेशानी खड़ी हो गई है। बता दें कि उक्त जांच समिति का गठन निर्वाचन आयोग ने किया था, और इसी समिति ने पुष्टि की है कि इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीके इंसाफ (पीटीआई) ने विदेशी लोगों और कंपनियों से चंदा लिया था। लेकिन लिए गए पैसे की जानकारी सरकारी एजेंसियों को नहीं दी गई।
रिपोर्ट बताती है कि पीटीआई ने अपने कार्यकर्ताओं को अपने खातों में पैसे डालने की अनुमति दी थी। उल्लेखनीय है कि निर्वाचन आयोग ने 4 जनवरी को पीटीआई को विदेशी चंदे मिलने के मामले की सुनवाई शुरू की थी। लेकिन उसी दौरान जांच समिति की रिपोर्ट मीडिया में पहुंच गई।
हाल में पाकिस्तान में संपन्न हुए स्थानीय निकाय चुनावों में पीटीआई पार्टी को भारी हार देखनी पड़ी थी। उधर पाकिस्तान में पैसे की तंगी और ढहती अर्थव्यवस्था को संभालने में भी इमरान सरकार असफल साबित हो रही है। ऐसे में जांच समिति का यह नया मुद्दा इमरान खान के लिए एक नई और कहीं बड़ी चुनौती खड़ी कर रहा है।
पाकिस्तान के सुप्रसिद्ध अंग्रेजी दैनिक द डॉन की खबर है कि पाकिस्तान निर्वाचन आयोग की जांच समिति द्वारा सौंपी गई इस रिपोर्ट के अनुसार पीटीआई ने 2009-10 से लेकर 2012-13 तक दूसरे देशों से मिले 31 करोड़ 20 लाख रुपये की जानकारी छुपाई थी। अकेले 2012-13 में ही पार्टी को विदेशों से साढ़े 14 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे, जिसे उसने एजेंसियों से छुपाया था। रिपोर्ट में पीटीआई के खातों की जांच रिपोर्ट से जुड़े दस्तावेजों को लेकर भी कई सवाल उठे हैं। ये दस्तावेज इमरान खान के हस्ताक्षरों से निर्वाचन आयोग को दिए गए थे।
रिपोर्ट बताती है कि पीटीआई ने अपने कार्यकर्ताओं को अपने खातों में पैसे डालने की अनुमति दी थी। उल्लेखनीय है कि निर्वाचन आयोग ने 4 जनवरी को पीटीआई को विदेशी चंदे मिलने के मामले की सुनवाई शुरू की थी। लेकिन उसी दौरान जांच समिति की रिपोर्ट मीडिया में पहुंच गई। बता दें कि जांच समिति को पीटीआई खातों की जांच में करीब चार साल का वक्त लगा है।
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद पीटीआई सरकार में मंत्री बचाव में उतर आए हैं। सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने प्रेस कांफ्रेंस में रिपोर्ट को ‘गलत’ बताते हुए मांग की कि सभी पार्टियों की जांच हो कि किसको कितना विदेशी चंदा मिला है। मंत्रियों ने दावा किया कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) तथा पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी को प्राप्त हुए विदेशी चंदों की भी जांच होनी चाहिए।
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