गुजरात सरकार भूमि कब्जा (रोकथाम) कानून पर जल्द ही अध्यादेश लाएगी। राज्य के महाधिवक्ता ने गुजरात उच्च न्यायालय में यह बात कही। सख्त सजा के प्रावधानों वाले इस कानून के विरुद्ध उच्च न्यायालय में करीब 100 याचिकाएं दाखिल की गई हैं।
गुजरात के महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने मंगलवार को उच्च न्यायालय को बताया कि राज्य सरकार अगले दो-तीन दिनों में गुजरात भूमि कब्जा (रोकथाम) कानून पर अध्यादेश लाएगी। इससे पहले उन्होंने न्यायालय में अध्यादेश का अंश प्रस्तुत करते हुए कहा कि इस कानून में यह प्रावधान किया गया है कि आरोपी अपील कर सकते हैं। साथ ही, कहा कि राज्य सरकार वनवासियों के कब्जे वाले भूखंडों के नियमितीकरण पर भी ध्यान दे रही है। इस कानून में अदालतों को झूठी शिकायतों को खारिज करने का अधिकार भी देने का प्रावधान किया गया है। इससे पहले 23 दिसंबर को राज्य सरकार की ओर से दाखिल हलफनामे में महाधिवक्ता ने कहा था कि सरकार नए साल से पहले अध्यादेश लाएगी। नवंबर 2021 में मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सरकार के वकील से कानून में संशोधन पर विचार करने का सुझाव दिया था। इसके लिए अदालत ने कुछ बिंदु भी सुझाए थे।
राज्य सरकार ने जमीन पर कब्जा रोकने के लिए एक कड़े प्रावधानों वाला एक कानून बनाया है, जिसमें आरोपी को 10 से 14 साल तक सजा का प्रावधान किया गया है। ऐसे मामलों का निपटारा छह माह में करने के लिए विशेष अदालतें गठित करने का भी प्रावधान किया गया है। इन अदालतों को भूमि कब्जे से जुड़े मामले में स्वत: संज्ञान लेने का अधिकार होगा। मुकदमे के शीघ्र निपटारे के लिए सरकार विशेष लोक अभियोजक भी नियुक्त करेगी। यही नहीं, भूमि पर कब्जा करने वालों पर संबंधित जमीन की सरकारी कीमत के बराबर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। इस कानून के दायरे में सार्वजनिक एवं निजी स्वामित्व, दोनों तरह की भूमि आएगी।
टिप्पणियाँ