मथुरा अब अगले विधानसभा चुनाव में राजनीति का केंद्र बिंदु में आने वाला है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि की चर्चा जैसे ही बीजेपी ने शुरू की, उसके बाद सपा और कांग्रेस नेता भी बयानबाजी पर उतर आए। उधर श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले को लेकर संत समाज भी मुखर हो गया है।
भगवान श्रीकृष्ण अपनी लीला के लिए जाने जाते हैं। अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बन रहा है। काशी में भोले नाथ की नगरी संवर गयी है। ऐसे में गिरधर गोपाल कहां पीछे रहते। पिछले साल दिसंबर की पहली तारीख को यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के एक ट्वीट ने मथुरा को राजनीतिक चर्चाओं में ला दिया। उपमुख्यमंत्री मौर्य ने कहा कि अयोध्या काशी हो गया, अब मथुरा की बारी है। उनके इस ट्वीट ने खूब सुर्खियां बटोरी। इसके बाद राज्यसभा सदस्य हरनाथ सिंह ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर मथुरा का भी जीणोद्धार करने की गुजारिश की। मथुरा दौरे के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने सांसद हेमा मालिनी ने जब काशी की तरह मथुरा को सजाने संवारने की मांग की, तब सीएम योगी ने कहा था कि मथुरा तीर्थ का भी विकास होगा। बीजेपी नेताओं का मथुरा पर बयान आते ही सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव भी कहने लगे कि मुझे रात सपने में भगवान कृष्ण आये थे और कहने लगे कि मथुरा का विकास हमे करना है। उधर कांग्रेस के पूर्व विधान मंडल नेता प्रदीप ठाकुर ने बयान दिया कि मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर बना हुआ है, यहां और मंदिर यदि कोई बनाना चाहे तो बना ले, जन्मभूमि को लेकर सम्प्रदाय तनाव नहीं करें।
प्रदीप ठाकुर के इस बयान पर संत समाज में तीखी प्रतिक्रिया हुई और श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास की बैठक में श्री ठाकुर से इस बयान को वापस लेने और माफी मांगने की मांग की गई। महामंडलेश्वर ज्ञानचंद जी महाराज, पीठाधीश्वर राजेन्द्र दास महाराज आदि ने कहा कि ईदगाह में विवादित भवन ही श्री कृष्ण जन्मस्थान है भव्य मंदिर वहीं बनना चाहिए। न्यास के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह और पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय आदि ने भी यह मांग की, कि अब वक्त आ गया है सरकार श्रीकृष्ण जन्मभूमि को ईदगाह कमेटी से मुक्त करवाकर भव्य मंदिर बनाने का मार्ग प्रशस्त करे। विधानसभा चुनावों से पहले मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुद्दे को लेकर चर्चा कहीं नहीं थी। केदारनाथ और काशी में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम के बाद से ये चर्चा यूपी की राजनीति के केन्द्र में आनी शुरू हुई। अयोध्या और काशी नगरी की भव्यता को देख हर किसी के मन में खास तौर पर कृष्ण भक्तों के भीतर ये आस जगी कि कृष्ण नगरी मथुरा और वृन्दावन की भी काशी-अयोध्या की तरह कायाकल्प होना चाहिए। सम्भवतः इसी भावना के साथ सबसे पहले उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट किया।
सीएम योगी आदित्यनाथ भी मथुरा में बार-बार आकर श्रीकृष्ण मंदिर में पूजा करना, ये संदेश देता रहा कि बीजेपी सरकार अब मथुरा को अपने एजेंडे में लेने जा रही है। यही वजह रही कि अखिलेश यादव भी कहने लगे कि भगवान कृष्ण उनके सपने में आये। मोदी और योगी सरकार के हिंदुत्व एजेंडे ने यह तो तय कर दिया है कि अब हर राजनीतिक दल को हिंदुत्व पर हिन्दू हितों पर बात करनी पड़ेगी। जातिवाद की राजनीति करने वाले विपक्षी दल इस बदलते राजनीतिक माहौल को भांप चुके हैं कि यदि तुष्टीकरण की राजनीति फिर से छेड़ी तो वो हाशिये पर चले जाएंगे। राजनीतिक दल यह बात पहले से भी जानते रहे होंगे कि अयोध्या-काशी के बाद मथुरा ही बीजेपी के एजेंडे पर होगी। इसलिए उनके बयान भी मथुरा को केंद्र में रखकर आने लगे, उन्हें पता है कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि का विरोध करना ब्रज प्रान्त में सबसे बड़े जोखिम का काम है। करोड़ों लोगों की आस्था बांके बिहारी से जुड़ी है और वो सभी जानते हैं कि ईदगाह श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद का हल भी मोदी सरकार के पास ही है। बहरहाल यूपी विधानसभा चुनाव में मथुरा भी अयोध्या-काशी की तरह राजनीतिक एजेंडे में शामिल होने लगा है। जिसे अनदेखा करना किसी भी पार्टी के बस की बात नहीं।
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