'रस्सी गई जल, पर न गया बल'। यह कहावत आजकल पाकिस्तान पर खरी उतरती दिख रही है। कंगाल, बेहाल पाकिस्तान के नेता और मौलाना बेमतलब ही अपनी अकड़ और अक्खड़पन में डूबे रहते हैं। जबकि असलियत दुनिया जानती है कि पाई पाई को मोहताज इस देश के प्रधानमंत्री हर एक अमीर देश के सामने कटोरा लिए घूमते हैं कि कहीं से कोई दान या कर्जा मिल जाए।
पाकिस्तान के बड़बोलेपन और अक्खड़पन के लिए बदनाम विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी की एक गलत हरकत पर दुनिया भर में उन्हें लानतें भेजी जा रही हैं, कोसा जा रहा है, सलीका सीखने की सलाहें दी जा रही हैं। सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर लोग जी भरकर गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। कुरैशी को जबरदस्त ट्रोल किया जा रहा है।
महमूद शाह कुरैशी हाल ही में सऊदी राजदूत से मिले थे। उस मुलाकात की तस्वीर में उनके बैठने के अंदाज से अक्खड़पन और ठसक दिखाने की मंशा जाहिर हो रही है। इस तस्वीर को सोशल मीडिया पर देखते ही दुनियाभर से कुरैशी को सलीका सीखने की नसीहतें दी जा रही हैं। किसी की तरफ जूता करके बैठने का मतलब ही है सामने वाले को अपने से कमतर और बेऔकात समझना।
कुरैशी की गलत हरकत पर दुनिया भर में उन्हें लानतें भेजी जा रही हैं, कोसा जा रहा है, सलीका सीखने की सलाहें दी जा रही हैं। सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर लोग जी भरकर गुस्सा जाहिर कर रहे हैं।
कर्ज में ढूबे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और मंत्रियों की ऐसी अकड़ अक्सर सामने आती रही है। लेकिन लोग हैरान हैं कि इस बार पाकिस्तान के इस मंत्री शाह महमूद कुरैशी की अकड़ किसी दुश्मन देश के नेता के सामने नहीं, बल्कि 'इस्लामी भाईचारे' के नाम पर उसे गाहे—बगाहे कर्जे दे—देकर उबारते आ रहे देश सऊदी अरब के एक ओहदेदार अधिकारी के सामने दिखाई। सोशल मीडिया में विदेश मंत्री कुरैशी की वायरल हो रही इस तस्वीर में उनका सऊदी राजदूत के सामने अपमानजनक तरीके से अकड़ बैठना साफ देखा जा सकता है।
इस्लामाबाद में बातचीत में कुरैशी ने अपना जूता सऊदी राजदूत नवाफ बिन सैद अल मलकी के सामने किया हुआ था। ये अकड़ लोगों को रास नहीं आई। इसलिए पाकिस्तान के विदेश मंत्री सोशल मीडिया पर खूब ट्रोल हो रहे हैं। खासकर सऊदी अरब के लोग तो पाकिस्तानी मंत्री की इस हरकत से बेहद गुस्से में हैं।
A Delhi based journalist with over 25 years of experience, have traveled length & breadth of the country and been on foreign assignments too. Areas of interest include Foreign Relations, Defense, Socio-Economic issues, Diaspora, Indian Social scenarios, besides reading and watching documentaries on travel, history, geopolitics, wildlife etc.
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