अपनी विस्तारवादी नीति के तहत चीन ने अरुणाचल प्रदेश के कुछ स्थानों के नाम बदल कर चीनी भाषा में रख दिए हैं। इस पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा। चीन द्वारा अरुणाचल के कुछ हिस्सों के नए नाम रखने से सच्चाई नहीं बदल जाएगी।
चीन की इस नई करतूत का खुलासा सरकारी नियंत्रण वाले अखबार ग्लोबल टाइम्स ने गुरुवार को किया। इसमें चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय के हवाले से प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि उसने अरुणाचल प्रदेश, जिसे चीन अपनी भाषा में जांगनान कहता है, के 15 स्थानों का नामकरण चीनी, तिब्बती और रोमन वर्णमाला में किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये नाम चीन की कैबिनेट स्टेट काउंसिल द्वारा भौगोलिक नामों पर जारी नियमों के अनुसार हैं।
अक्षांश और देशांतर नामों वाले इन 15 स्थानों के आधिकारिक नामों में 8 रिहायशी इलाके, 4 पहाड़, 2 नदियां और एक पहाड़ी दर्रा है। भारतीय हिस्से का नामकरण उसके आक्रामक विस्तारवादी नीतियों का हिस्सा है। ऐसा करके वह भारतीय हिस्से पर अपने दावे को मजबूत करना चाहता है। अपने दावे की पुष्टि के लिए चीन शीर्ष भारतीय नेताओं और अधिकारियों के अरुणाचल प्रदेश के दौरे का हमेशा से विरोध करता रहा है। भारत और चीन सीमा 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) साझा करते हैं, जिसे लेकर दोनों के बीच विवाद है। बता दें कि हाल के महीनों में चीन द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गांव बसाने और स्थायी निर्माण की खबरें भी आई हैं।
इन 15 स्थानों का नामकरण
ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने जिन 8 रिहायशी इलाकों के नाम बदले हैं, उनमें शन्नान प्रांत के कोना काउंटी में सेंगकेजोंग व दागलुंगजोंग, न्यिंगची के मेडोग काउंडी में मनीगांग, डुडिंग व मिगपेन, न्यिंगची के जायू काउंटी के गोलिंग व डांबा तथा शन्नान प्रांत के लुंझे काउंटी का मेजाग शामिल है। जिन चार पहाड़ों के नाम बदले गए हैं, वे हैं- वामो री, डेउ री, लुंझुब री और कुनमिंगशिंगजे फेंग। वहीं, दो नदियां शेन्योग्मो ही और डुलैन ही हैं, जबकि कोना काउंटी के पहाड़ी दर्रे का नाम से ला रखा गया है।
चीन की ढिठाई, दूसरे स्थानों के नाम भी बदलेंगे
रिपोर्ट में बीजिंग स्थित चीन तिब्बत विज्ञान अनुसंधान केंद्र के विशेषज्ञ लियान शिंगमिल के हवाले से दावा किया गया है कि ये नाम सैकड़ों सालों से अस्तित्व में हैं और इनका नामकरण राष्ट्रीय सर्वेक्षण का एक हिस्सा है। चीनी विशेषज्ञ ने इस कदम को वैध करार देते हुए कहा है कि चीन अपने आधिपत्य वाले स्थानों का नामकरण कर सकता है। आने वाले समय में इस क्षेत्र में अन्य स्थानों के नामकरण की घोषणा की जाएगी।
भारत का जवाब- अरुणाचल भारत का अभिन्न अंग
चीन की इस हरकत पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। चीनी दावे को सिरे से खारिज करते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है। विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ‘‘हमने ऐसी रिपोर्ट देखी है। यह पहला अवसर नहीं है, जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश के स्थानों का नाम बदलने का प्रयास किया है। चीन ने अप्रैल 2017 में भी इसी तरह नाम बदलने का प्रयास किया था। अरुणाचल प्रदेश हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है और रहेगा। अरुणाचल प्रदेश में स्थानों के आविष्कृत नाम रखने से तथ्य नहीं बदल जाएंंगे।’’
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