गत 30 दिसंबर को बिहार सरकार ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी आमिर सुबहानी को राज्य का मुख्य सचिव बना दिया। इस तरह लगभग 30 साल बाद कोई मुसलमान अधिकारी बिहार का मुख्य सचिव बना है। एक योग्य और वरिष्ठ अधिकारी, चाहे वह किसी भी मत—मजहब का हो, को कोई भी दायित्व देने में किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। लेकिन यह बात शायद आमिर पर पूरी तरह लागू नहीं होती है। इसके कई कारण हैं। इनमें एक कारण है बिहार की गिरती कानून—व्यवस्था। बता दें कि आमिर 2009 से जनवरी, 2021 तक बिहार के गृह सचिव रहे हैं। यानी वे लगभग 12 वर्ष तक गृह सचिव रहे। सामान्यत: कोई अधिकारी इतने वर्ष तक एक पद पर नहीं रहता है। माना जाता है कि भाजपा के विरोध के कारण ही उन्हें जनवरी, 2021 में गृह सचिव के पद से हटाकर विकास आयुक्त बनाया गया था। अब उन्हें मुख्य सचिव बनाया गया है। बिहार के लोगों के बीच यह धारणा है कि नवंबर, 2005 में नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने के बाद राज्य में कानून—व्यवस्था एक तरह से पटरी पर लौट आई थी। लेकिन 2009 में आमिर के गृह सचिव बनने के बाद ही राज्य में कानून—व्यवस्था गिरने लगी। इस दौरान अनेक दंगे हुए। राज्य के कई हिस्सों में 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगे। यही नहीं, आमिर के गृह सचिव रहते हुए ही बिहार में आतंकवादी गतिविधियां बढ़ीं। 2013 में पटना के गांधी मैदान में नरेंद्र मोदी की जनसभा के दौरान बम विस्फोट हुए थे। इसके बाद गया में भी विदेशी अतिथियों के रहते हुए ही बम विस्फोट किया गया था।
2016 में एक आईपीएस अधिकारी मोहम्मद मंसूर अहमद ने आमिर पर प्रताड़ित करने का लगाया था। मोहम्मद मंसूर अहमद ने एक बेवसाइट से बातचीत के दौरान कहा था कि किस तरह फर्जी जांच में फंसाकर दर्जनों आईपीएस अधिकारियों की पदोन्नति रोकी गई है। हालांकि इस मामले को सरकार व गृह विभाग द्वारा किसी तरह दबा दिया गया था।
लोक जन चेतना मंच के संयोजक मिथिलेश सिंह ने बताया कि सुबहानी जब आरा के डीएम थे, तब उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। इस मामले को लेकर उन दिनों मिथिलेश सिंह और लतफाश हुसैन ने आरा के गोपाली चौक पर सभा की थी। इसके बाद आमिर ने इन दोनों को मिलने के लिए अपने कार्यालय बुलाया और वहीं गिरफ्तार कर जेल भेजवा दिया। यानी आमिर के साथ अनेक विवाद जुड़े रहे हैं। इसके बावजूद सेकुलर मीडिया में उनके बारे में लिखा जा रहा है कि आमिर एक निर्विवादित अधिकारी हैं। दरअसल, सेकुलर मीडिया को लगता है कि इस समय आमिर के खिलाफ कुछ लिखने का मतलब है बिहार सरकार के विज्ञापनों से हाथ धो लेना।
वहीं दूसरी ओर अनेक संगठन हैं, जो बरसों से आमिर पर आरोप लगाते रहे हैं, लेकिन न जाने किस मजबूरी के कारण नीतीश कुमार उन्हें 12 साल तक एक ही पद पर रखते रहे। 2020 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के खाते में केवल 43 सीटें आईं दूसरी ओर भाजपा की सीटें बढ़कर 74 हो गईं। इसके बावजूद भाजपा ने बड़ा दिल दिखाते हुए नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया। मुख्यमंत्री बनने के लगभग दो महीने बाद उन्होंने भाजपा की मांग को स्वीकार करते हुए आमिर को गृह सचिव के पद से हटा दिया। लेकिन इस बार नीतीश ने आमिर पर इतना आशीर्वाद उढेला कि वे मुख्य सचिव बन गए। उल्लेखनीय है कि आमिर 1987 बैच के अधिकारी हैं। उन्होंने संघ लोकसेवा आयोग की परीक्षा में सांख्यिकी और फारसी विषय को लिया था। फारसी में उन्हें 100 प्रतिशत अंक मिले थे और इस तरह वे संघ लोकसेवा आयोग की परीक्षा में सबसे अधिक अंक प्राप्त कर सर्वोच्च स्थान पर पहुंचे थे यानी टॉपर हुए थे। आमिर सिवान जिले के बरहरिया गांव के रहने वाले हैं।
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