केंद्रीय अधिकार प्राप्त गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) ट्रिब्यूनल ने इस्लामिक प्रचारक जाकिर नाइक की संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) को समन जारी किया है। ट्रिब्यूनल अगले साल 28 जनवरी को इस पर फैसला सुनाएगा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा आईआरएफ को गैरकानूनी घोषित करने के लिए पर्याप्त कारण है या नहीं।
ट्रिब्यूनल ने इस महीने की शुरुआत में नाइक की संस्था को दो अलग-अलग समन भेजे हैं। इसमें आईआरएफ को अपना रखने के लिए प्रतिनिधि को भेजने का निर्देश दिया गया है। दोनों समन मुंबई स्थित संस्था के अलग-अलग पतों पर भेजे गए हैं। केंद्र सरकार ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम-1967 (यूएपीए) की धारा 5(1) के तहत बीते 13 दिसंबर को दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीएन पटेल की अगुवाई में इस ट्रिब्यूनल का गठन किया था। ट्रिब्यूनल के गठन के कुछ दिन बाद ही गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) ट्रिब्यूनल के रजिस्ट्रार कार्यालय द्वारा ये समन जारी किए गए हैं। इसमें 30 दिनों के भीतर लिखित रूप में कारण बताने के लिए कहा गया है कि इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) को गैरकानूनी संस्था घोषित करने के लिए एक और आदेश क्यों नहीं दिया जाना चाहिए।
बता दें कि इस साल 15 नवंबर को गृह मंत्रालय ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम-1967 की धारा 3(1) के तहत जारी गजट अधिसूचना में आईआरएफ को फिर से पांच वर्षों के लिए ‘अधिसूचना की तारीख से गैरकानूनी संस्था’ घोषित किया है। इससे पहले केंद्र ने यूएपीए के तहत 17 नवंबर, 2016 को पांच साल के लिए आईआरएफ को गैरकानूनी संस्था घोषित किया था। यह प्रतिबंध इस साल 16 नवंबर को समाप्त होने वाला था। मंत्रालय ने अधिसूचना में यह भी कहा कि नाइक के भाषण और बयान भारत और विदेशों में मजहब विशेष के युवाओं को आतंकी गतिविधियों के लिए प्रेरित करते हैं। मंत्रालय ने प्रतिबंध को बढ़ाते हुए कहा कि नाइक के बयान और भाषण आपत्तिजनक, विध्वंसक और नफरत को बढ़ावा देते हैं।
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