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श्रीलंका को जकड़ता चीनी कर्ज का शिकंजा, डॉलर की कमी से बंद हो रहे तीन दूतावास

by Alok Goswami
Dec 29, 2021, 06:30 pm IST
in विश्व, दिल्ली
प्रतीकात्मक चित्र

प्रतीकात्मक चित्र

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चीन के कर्जे में दबा श्रीलंका मुसीबत भरी स्थिति से गुजर रहा है। डॉलर की उसके यहां इतनी तंगी है कि खर्चा बचाने के लिए उसे अपने तीन दूतावासों पर ताले लटकाने की नौबत आ गई है

 

श्रीलंका को अब समझ आ रहा है कि चीन से कर्ज लेने के क्या मायने होते हैं। अफ्रीका के अनेक देशों की तरह एशिया के भी कई देश चीन के दिए पैसे से अपने यहां विनिर्माण योजनाएं चला रहे हैं। शुरू में तो चीन की कर्जे की शर्तें उन्हें कुछ खास नहीं लगतीं, लेकिन वक्त बीतने के साथ चीनी शिकंजा कसता चला जाता है और अर्थव्यवस्था डगमगाने लगती है। आज श्रीलंका इस मुसीबत भरी स्थिति से गुजर रहा है। डॉलर की उसके यहां इतनी तंगी हो रही है कि खर्चा बचाने के लिए उसे अपने तीन दूतावासों पर ताले लटकाने की नौबत आ गई है। 

विदेशी मुद्रा भंडार के भारी संकट से जूझते श्रीलंका ने अपने देश के तमाम बैंकों को आदेश जारी किया है कि अपनी कमाई से एक चौथाई डॉलर सरकार के खजाने में जमा कराएं। 27 दिसम्बर को श्रीलंका ने अपने तीन विदेशी दूतावासों को बंद करने की घोषणा की है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि उसका विदेशी मुद्रा भंडार लगातार नीचे जा रहा है। उसे थामे रखने के लिए श्रीलंका को मजबूरन यह कदम उठाना पड़ा है। देश के केंद्रीय बैंक ने इन हालात में जरूरी डॉलर को नियंत्रित करने की बात की है। श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने बताया है कि नाइजीरिया में श्रीलंका के उच्चायोग के साथ ही जर्मनी तथा साइप्रस में वाणिज्य दूतावास पर आगामी जनवरी से ताले लगा दिए जाएंगे।

 

सरकार की तरफ से आदेश दिया गया है कि सभी कारोबारी बैंक अपनी डॉलर की कमाई का एक चौथाई सरकार को सौंपें। एक आंकड़े के अनुसार, पिछले माह के अंत तक श्रीलंका के पास सिर्फ 1.58 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था, जबकि यही 2019 में राष्ट्रपति राजपक्षे के कुर्सी संभालने के समय 7.5 अरब डॉलर था।

 

कोरोना के नई लहर की आहट के बीच श्रीलंका का आर्थिक संकट बढ़ता जा रहा है। इधर चीन का बढ़ता कर्ज उसे परेशान किए हुए है। पिछले साल के मुकाबले इस साल के शुरू के सात महीनों में श्रीलंका के तेल का व्यय 41.5 प्रतिशत बढ़कर दो अरब डॉलर हो गया है। खबर है कि अपनी ढुलमुल आर्थिक हालत को सहारे के लिए श्रीलंका ने भारत से सहायता की गुहार की है। 

श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करके कहा कि यह डॉलर का पुनर्गठन देश के बेहद आवश्यक विदेशी मुद्रा भंडार को बचाने और श्रीलंका के विदेशी दूतावासों के रखरखाव में होने वाले खर्च को घटाने के लिए किया गया है। खबर यह भी है कि भारत श्रीलंका को चीन के कर्ज के शिकंजे से मुक्त कराने के लिए उसकी सहायता करने को तैयार है। इसके लिए एक 'राहत पैकेज' देने की बात है। 

उल्लेखनीय है कि श्रीलंका की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा भाग पर्यटन के भरोसे रहता है। लेकिन पिछले करीब डेढ़ साल से चायनीज वायरस कोरोना की महामारी ने पर्यटन में पलीता लगाया हुआ है। इसका सीधा असर श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पर पड़ना ही था। सरकार द्वारा गत वर्ष मार्च में विदेशी मुद्रा भंडार को पुष्ट करने के लिए आयात प्रतिबंध लगाया गया था, इससे वहां ईंधन तथा चीनी जैसी आवश्यक वस्तुओं की किल्लत हो गई थी। श्रीलंका के तीन विदेशी दूतावासों को बंद करने का निर्णय ऐसे समय में लिया जा रहा है जब देश के सेंट्रल बैंक ने स्थानीय नागरिकों के लिए डॉलर पर रोक लगा दी है।

सरकार की तरफ से आदेश दिया गया है कि सभी कारोबारी बैंक अपनी डॉलर की कमाई का एक चौथाई सरकार को सौंपें। इसका सीधा अर्थ है कि बैंक अब व्यापारियों को डॉलर में उतना भुगतान नहीं कर पाएंगे। एक आंकड़े के अनुसार, पिछले माह के अंत तक श्रीलंका के पास सिर्फ 1.58 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था, जबकि यही 2019 में राष्ट्रपति राजपक्षे के कुर्सी संभालने के समय 7.5 अरब डॉलर था।
 

Alok Goswami
Journalist at Bahrat Prakashan | Website

A Delhi based journalist with over 25 years of experience, have traveled length & breadth  of the country and been on foreign assignments too. Areas of interest include Foreign Relations, Defense, Socio-Economic issues, Diaspora, Indian Social scenarios, besides reading and watching documentaries on travel, history, geopolitics, wildlife etc.

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