महाराष्ट्र के मालेगांव ब्लास्ट मामले में गवाह ने बड़ा खुलासा किया है। NIA कोर्ट में उसने आतंकवाद निरोधी दस्ते यानि ATS पर गंभीर आरोप लगाए हैं। गवाह ने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों ने उस पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, स्वामी असीमानंद और इंद्रेश सहित चार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं का नाम लेने का दबाव बनाया था। गवाह ने यह भी कहा कि उसके परिवार को परेशान किया गया था, जिस वजह से मजबूरी में उसने योगी आदित्यनाथ का नाम लिया था। इस मामले में अब तक कुल 15 गवाह इस मामले में कोर्ट के सामने अपने पहले के दिए बयान से मुकर चुके हैं।
इस मामले में बीजेपी विधायक राम कदम ने कहा कि अब तो साफ हो गया है कि कांग्रेस की सरकार ने हिंदुओं को बदनाम करने का काम किया था। यह हिंदुओं को फंसाने की बड़ी साजिश थी। उन लोगों ने योगी आदित्यनाथ और अन्य संघ कार्यकर्ताओं को इस मामले में गलत तरीके से फंसाया था। कांग्रेस की ओर से उस समय हिंदू आतंकवाद तक बोला गया था। इस मामले में शिवसेना को अपना स्टैंड साफ करना चाहिए। इधर संघ कार्यकर्ता इंद्रेश कुमार ने कहा है कि यूपीए सरकार ने सोची समझी साजिश को जन्म दिया था। जांच एजेंसियों का गलत उपयोग करके हमें आरोपी बनाने की कोशिश की गई। उन्होंने कहा कि आज राहुल गांधी खुद को हिंदू बताते हैं। उस समय हिंदू को आतंकवाद तक बोला गया था।
वहीं इस मामले में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कांग्रेस ने देश में सर्वाधिक समय तक शासन किया। उस समय ये कैसे BJP कार्यकर्ता, नेता, RSS नेता, हिंदू नेताओं को झूठे मुकदमे में फंसाने का काम करते थे। आपने मालेगांव विस्फोट में देखा होगा। कांग्रेस की शरारत देश के खिलाफ अपराध है और कांग्रेस को मांफी मांगनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस पहले जब सत्ता में थी तो आतंकियों को प्रेरित और प्रोत्साहित करती थी और ये हिंदू संगठनों पर झूठे मुकदमे दर्ज करते थे और आज जब सत्ता से बाहर है तो हर उस कार्य का विरोध करते हैं, जो कार्य जनता के हित के लिए हो।
कब हुआ था मालेगांव ब्लास्ट
महाराष्ट्र के मालेगांव में 29 सितंबर 2008 की रात करीब साढ़े 9 बजे शकील गुड्स ट्रांसपोर्ट कंपनी के सामने बम धमाका हुआ था, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई थी और 101 लोग घायल हो गए थे। यह धमाका एक बाइक में हुआ था। घटना के बाद 30 सितंबर 2008 को मालेगांव के आजाद नगर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था। इस मामले की जांच महाराष्ट्र सरकार ने ATS को सौंपी थी। ATS ने 20 जनवरी 2009 को पहली चार्जशीट दायर की थी। इसमें 11 लोगों को गिरफ्तार और 3 लोगों को फरार दिखाया गया था। उसके बाद 11 अप्रैल 2011 में ATS ने इस मामले में सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की थी।
220 गवाहों के बयान दर्ज
मालेगांव ब्लास्ट मामले में 220 गवाहों के बयान अदालत में दर्ज हो चुके हैं, इनमें से 15 गवाह अपने बयान से पलट चुके हैं।
टिप्पणियाँ