कर्नाटक में विपक्ष नेता सिद्धारमैया ने कहा है कि राज्य में 2023 में विधानसभा चुनाव हैं, अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो एक सप्ताह के भीतर प्रस्तावित कन्वर्जन रोधी विधेयक को रद्द कर देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार द्वारा लाए जा रहे ‘कर्नाटक धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार संरक्षण विधेयक 2021' संविधान विरोधी और क्रूर है।
सिद्धरमैया ने कहा, 'हम इसे 100 फीसदी निरस्त कर देंगे, हम सत्ता में आने के एक हफ्ते के अंदर ऐसा करेंगे। हम इसे प्रथम सत्र में ही निरस्त कर देंगे।' इसके साथ ही उन्होंने कहा, 'मैंने भी जबरन कन्वर्जन का विरोध किया था और जबरन कन्वर्जन को रोकने के लिए संविधान में प्रावधान हैं, तो इसके लिए अलग कानून लाने की क्या जरूरत थी? सभी समझदार लोगों को कन्वर्जन विरोधी विधेयक का विरोध करना चाहिए।' बता दें कि बोम्मई सरकार द्वारा लाए जा रहे विधेयक ‘कर्नाटक धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार संरक्षण विधेयक, 2021' को कर्नाटक विधानसभा में बीते गुरुवार को विपक्षी दलों के विरोध के बीच पारित किया था। उस दौरान सीएम बसवराज बोम्मई ने कहा था कि विधेयक संवैधानिक और कानूनी दोनों है और इसका मकसद कन्वर्जन की समस्या से छुटकारा पाना है।
कैसा है प्रस्तावित कानून
धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार की सुरक्षा करने के लिए लाए गए इस कन्वर्जन रोधी विधेयक में झूठ बोल कर, छल-बल, धोखाधड़ी, अनुचित प्रभाव, प्रलोभन देकर (नौकरी या आर्थिक मदद का लालच) या विवाह के जरिये कन्वर्जन पर रोक लगाई गई है। यानी कोई भी व्यक्ति इन तरीकों से या जबरन विवाह करके किसी का कन्वर्जन नहीं कराएगा और न ही किसी को उकसाएगा या साजिश करेगा। यदि किसी परिवार में कन्वर्जन हो रहा है तो परिवार के सदस्य या जिसका कन्वर्जन हो रहा है, उससे संबंधित व्यवक्ति इसकी शिकायत कर सकता है। कोई मजहब या मत दूसरे धर्म के खिलाफ अपना महिमामंडन नहीं करेगा।
सजा का प्रावधान
इसके अलावा, विधेयक में सामान्य श्रेणी के लोगों का कन्वर्जन कराने वाले को 3 से 5 साल तक की सजा और कम से कम 25,000 रुपये जुर्माना, जबकि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, नाबालिग, महिला और मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति का कन्वर्जन करने पर 3 साल से 10 साल तक की सजा और कम से कम 50,000 रुपये जुर्माने का प्रावधान है। सामूहिक कन्वर्जन के आरोपियों को 3 से 10 साल तक कैद और 1 लाख रुपये जुर्माना और कन्वर्जन का आरोप साबित होने पर दोषी को पीड़ित को 5 लाख रुपये तक मुआवजा देना होगा। अगर शादी सिर्फ कन्वर्जन के लिए किया गया तो उसे भी रद्द करने का प्रावधान है।
आसान नहीं होगा कन्वर्जन करना या कराना
अगर कोई व्यक्ति स्वेच्छा से कन्वर्जन करना चाहता है तो उसे दो माह पहले इसकी सूचना अपने जिले के उपायुक्त कार्यालय को देनी होगी। इसके बाद उपायुक्त पुलिस से इसकी पुलिस जांच कराएंगे और अगर वजह सही पाई गई तो उसे कन्वर्जन की अनुमति दी जाएगी। यही नहीं, जो कन्वर्जन की प्रक्रिया को अंजाम देगा उसे भी एक माह पहले डीसी कार्यालय में इसकी लिखित सूचना देनी होगी।
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