विश्व हिंदू परिषद कन्वर्जन पर विराम लगाकर घरवापसी अभियान चलाएगी। यह निर्णय 26 दिसंबर को जूनागढ़ में आयोजित बैठक में लिया गया। विहिप के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने बैठक में कहा कि हमारे कार्यकर्ता देश को कन्वर्जन के अभिशाप से मुक्ति दिलाने हेतु जुट गए हैं। जो लोग किसी कारणवश अपने पूर्वजों से कटकर मतांतरित हो गए थे, अब हम उन सभी के लिए एक देशव्यापी घर-वापसी अभियान चलाएंगे जिससे भय, लोभ-लालच, धोखे तथा षड्यंत्रपूर्वक कन्वर्ट हुए हिन्दू स्वेच्छा से अपने मूल की ओर लौटकर स्वधर्म की गौरवशाली परंपरा का निर्वहन कर सकेंगे।
आलोक कुमार ने यह भी कहा कि जूनागढ़ अपने पुरुषार्थ से स्वतंत्र हुआ था। जूनागढ़ पाकिस्तान के साथ रहेगा या भारत में, इस बात को लेकर जब नेहरू जी अधर में झूल में थे तब यहां के लोगों ने अपने प्रखर जनमत से न सिर्फ यहीं रहने का निर्णय दिया, अपितु जूनागढ़ के निजाम को पाकिस्तान भागने के लिए भी विवश कर दिया। माँ भारती की इन संतानों पर हमें गर्व है। विहिप कार्याध्यक्ष ने कहा कि भारत धार्मिक और आध्यात्मिक देश है। पांच अगस्त, 2020 को जब हमारे प्रधानमंत्री ने श्रीराम जन्मभूमि को दंडवत प्रणाम किया तो सम्पूर्ण विश्व ने इस बात का प्रत्यक्ष साक्षात्कार किया कि भारत वाकई धर्म का ही देश है। हमें अपने अनुसूचित समाज के बंधु-भगिनियों को आगे लाना होगा तभी देश प्रगति करेगा। उन्होंने कहा कि हम एक हजार नवयुवकों को समाज जागरण के लिए निकालेंगे।
विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ आर एन सिंह ने कहा कि हिंदू सहिष्णु है लेकिन कोई यह न सोचे कि कोई दूसरा आकर उसका दमन कर पाएगा। आज अपनी संस्कृति को, अपने धर्म को और अपने देश को बचाने के लिए हमें सक्रिय और सतर्क रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि देश में मुसलमान बढ़ रहा है क्रूरता से, और ईसाई बढ़ रहे हैं अपनी धूर्तता से। हमें इनसे निपटना है अपने कौशल और पुरुषार्थ से। साथ ही उन्होंने हलाल इकोनामिक्स से सावधान रहने के आहवान के साथ हलाल सर्टीफिकेशन वाले उत्पादों के बहिष्कार की सलाह भी दी।
गुजरात कृषि विश्वविद्यालय के प्रांगण में आयोजित इस आम सभा में विहिप के संयुक्त महामंत्री डॉ सुरेंद्र जैन, जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति नरेंद्र भाई गोटिया, जिला अध्यक्ष हरीश भाई सांवलिया, कार्यक्रम के विशेष अतिथि दीपेंद्र भाई यादव, जूनागढ़ के महापौर धीरू भाई गोहिल, जूनागढ़ महानगर अध्यक्ष विहिप भरत भाई मोदी, विहिप के सौराष्ट्र प्रांत के अध्यक्ष भरत भाई भिंडी तथा विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारी व जन समुदाय उपस्थित था। इससे पहले 25 दिसंबर को विश्व हिन्दू परिषद के प्रन्यासी मण्डल ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करके सरकार से मांग की कि वह संविधान में आवश्यक संशोधन कर मतांरित जनजातीय लोगों को जनजातियों की सूची से बाहर करे ताकि वास्तविक जनजातियों को उनके अधिकार मिल सकें। अनेक न्यायालयों के साथ सर्वोच्च न्यायालय भी इस बारे में अपनी व्यवस्था दे चुके हैं।
आलोक कुमार ने बताया कि अनुसूचित जन-जातियों के धर्मांतरित लोगों की संख्या केवल 18 प्रतिशत है पर आरक्षण का 80 प्रतिशत लाभ यही वर्ग ले जाता है। संविधान में जरूरी संशोधन के बाद आरक्षण के लाभ जनजातियों के योग्य लोगों को प्राप्त हो सकेंगे। लेकिन मतांरित होने के बाद भी वे दोनों प्रकार के लाभ उठा रहे हैं।
केरल बनाम मोहन के मामले में उच्चतम न्यायालय ने निर्णय देते हुए यह स्पष्ट कर दिया था कि यदि जनजाति का कोई व्यक्ति अपने मूल धर्म त्याग कर दूसरा धर्म अपना लेता है और अपनी परंपराएं, रीति—रिवाज, पूजा—पद्धति एवं संस्कारों को छोड़ देता है तो वह जनजाति नहीं माना जाएगा।
ईसाइयों के बढ़ते हुए षड्यंत्र और उनकी व्यापकता को देखते हुए विश्व हिंदू परिषद केंद्र सरकार से यह मांग करती है कि संविधान में आवश्यक संशोधन करके मतांतरित जनजातीय लोगों को जनजातियों की सूची से बाहर करना चाहिए ताकि वास्तविक जनजातियों को उनके अपने अधिकार मिल सकें। प्रेस वक्तव्य के माध्यम से विहिप कार्याध्यक्ष ने यह भी कहा कि वर्तमान वर्ष श्री गुरु तेग बहादुर जी का 400वां प्रकाश वर्ष है।
श्री गुरु तेग बहादुर जी का प्रकाश 1 अप्रैल, 1621 को श्री अमृतसर साहिब में श्री गुरु हरगोविंद जी के घर माता नानकी जी की कोख से हुआ था। उस समय औरंगजेब का अत्याचार पराकाष्ठा पर था। वह अनैतिक तरीके से लोगों का बलपूर्वक धर्म परिवर्तन कर रहा था। ऐसे समय में गुरु तेग बहादुर जी ने अपने सर्वोच्च बलिदान से धर्म की रक्षा की थी। उन्होंने मुगल शासक औरंगजेब की क्रूर कोशिशों के बावजूद इस्लाम नहीं अपनाया। इसीलिए, उन्हें ‘हिन्द की चादर-गुरु तेग बहादुर‘ कहा गया।
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