मजहबी कट्टरता की नींव पर खड़े पाकिस्तान की सोच भी अब खुलकर सामने आने लगी है। पहले तो वह वैश्विक मंच पर झूठ बोलकर यह दिखाने की कोशिश करता था कि उसके यहां सबकुछ ठीक है, लोकतंत्र भी बरकरार है। लेकिन, झूठ अधिक दिनों तक छिप नहीं सकता है। अब तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी पाकिस्तान की कट्टरता का आवरण खोलने लगे हैं। पाकिस्तान पर यह आरोप तो लगे ही हैं कि अफगानिस्तान को अस्थिर करने में उसका पूरा हाथ है। अफगानिस्तान में तालिबान पाकिस्तान की ही शह पर फला-फूला और तालिबान के कब्जे तक में उसकी अहम भूमिका रही। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अब इस्लामिक देशों के मंच पर तालिबान के रवैये का समर्थन किया है।
क्या कहा इमरान ने
इमरान खान ने महिलाओं के प्रति तालिबान के रवैये को सही ठहराया। यानी लड़कियां स्कूल न जाएं, महिलाएं ऑफिस में काम न करें, एटीएम में लाइन न लगाएं। बिना बुर्का के बाहर न निकलें। बहुत जरूरी हो तभी घर से बाहर निकलें। महिलाओं के साथ गुलाम की तरह से व्यवहार हो। इस तालिबानी सोच का समर्थन इमरान खान ने किया है। इस्लामिक देशों के संगठन की बैठक में इमरान खान ने अफगानिस्तान में महिलाओं के खिलाफ तालिबान के बर्ताव को सही ठहराया। उन्होंने कहा कि लड़कियों को शिक्षा न देना अफगान संस्कृति है। इमरान के खिलाफ अब अफगानिस्तान की महिला संगठनों ने मोर्चा खोला है। संगठनों ने इमरान खान को जमकर लताड़ लगाई है।
ये है पाकिस्तान की सोच
एक हिंदू महिला का उसके घर के बाहर से अपहरण किया गया, बलात्कार के बाद उसे इस्लाम में कन्वर्ट कर निकाह कर दिया गया। फैसलाबाद में चोरी के आरोप में भीड़ ने चार महिलाओं के कपड़े उतरवा लिए। उनकी निर्वस्त्र परेड निकलवाई। उन पर लाठियां बरसाईं। पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं का कहना था कि उन्हें प्यास लगी थी और वे दुकान में पानी मांगने गई थीं। दुष्कर्म की घटना पर इमरान खान ने निहायत शर्मनाक बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि दुष्कर्म के लिए महिलाओं के कपड़े जिम्मेदार है। पाकिस्तान की क्रिकेट टीम के भारत से जीतने पर वहां के मंत्री इसे इस्लाम की जीत बताते हैं। अब पाकिस्तान के मुखिया की तालिबानी सोच भी पूरी दुनिया जान गई है।
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