ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स के वैज्ञानिकों ने एशिया के लिए खतरे की घंटी बजाते हुए कहा है कि हिमालय के ग्लेशियर इसी तेजी से पिघलते रहे तो एशिया में लाखों लोगों केे लिए भूख—प्यास का संकट खड़ा हो जाएगा। उनका कहना है कि हिमालय के ग्लेशियरों में 400 से 700 वर्ष पहले बहुत बड़ा फैलाव हुआ था। उसकी तुलना में ग्लेशियर पिछले कुछ दशकों में दस गुना से ज्यादा तेजी से पिघलते जा रहे हैं।
तेजी से होते मौसमी परिवर्तन की वजह से धरती का ताप बढ़ने के कारण हिमालय के ग्लेशियर भी तेजी से पिघल रहे हैं। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स के वैज्ञानिकों ने 20 दिसम्बर को 'जर्नल साइंटिफिक' रिपोर्ट में प्रकाशित अपने शोध में यह दावा किया है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है हिमालय के ग्लेशियर इसी तेजी से पिघलते रहे तो एशिया में लाखों लोगों के लिए पीने के पानी की दिक्कत खड़ी हो जाएगी।
तेजी से होते मौसमी परिवर्तन की वजह से धरती का ताप बढ़ने के कारण हिमालय के ग्लेशियर भी तेजी से पिघल रहे हैं। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स के वैज्ञानिकों ने 20 दिसम्बर को 'जर्नल साइंटिफिक' रिपोर्ट में प्रकाशित अपने शोध में यह दावा किया है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है हिमालय के ग्लेशियर इसी तेजी से पिघलते रहे तो एशिया में लाखों लोगों के लिए पीने के पानी की दिक्कत खड़ी हो जाएगी।
हिमालय के ग्लेशियर अपने इलाके
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400 से 700 साल पहले एक वक्त था जब हिमालयी ग्लेशियर तेजी से बढ़ते गए थे
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40 प्रतिशत भाग गंवा चुके हैं हिमालयी ग्लेशियर
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28 हजार वर्ग किमी से घटकर 19,600 वर्ग किमी रह गया इनका दायरा
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0.92 मिमी से लेकर 1.38 मिमी तक की बढत, समुद्र के जलस्तर
वैज्ञानिकों का कहना है कि 400 से 700 साल पहले एक वक्त था जब हिमालयी ग्लेशियर तेजी से बढ़ते गए थे, उनकी भाषा में जिसे 'लिटिल आईस एज' कहते हैं। लेकिन आज उस जमाने के मुकाबले ग्लेशियर आश्चर्यजनक तेजी से पिघल रहे हैं। इतना ही नहीं, हिमालय के ग्लेशियर दुनिया में अन्य जगहों के मुकाबले तेजी से सिकुड़ते भी जा रहे हैं।
कह सकते हैं कि जहां लिटिल आईस एज के मुकाबले हिमालय के ग्लेशियर अपने इलाके का 40 प्रतिशत भाग गंवा चुके हैं। इनका दायरा 28 हजार वर्ग किमी से घटकर 19,600 वर्ग किमी ही रह गया है। वैज्ञानिक जोनाथन कारिविक बताते हैं कि ग्लेशियर के पिघलने से दुनियाभर में समुद्र के जलस्तर में 0.92 मिमी से लेकर 1.38 मिमी तक की बढत देखने में आई है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक पूर्वी नेपाल तथा उत्तरी भूटान में हालात नाजुक हैं। वैज्ञानिकों ने स्पष्ट कहा है कि हिमालयन पर्वतीय क्षेत्र दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ग्लेशियर क्षेत्र है। इससे पहले अंटार्टिक और आर्कटिक हैं।
A Delhi based journalist with over 25 years of experience, have traveled length & breadth of the country and been on foreign assignments too. Areas of interest include Foreign Relations, Defense, Socio-Economic issues, Diaspora, Indian Social scenarios, besides reading and watching documentaries on travel, history, geopolitics, wildlife etc.
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