मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन पंचायत चुनावों में ओबीसी आरक्षण को लेकर मुख्य्मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पंचायत चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के नहीं होंगे। इसके लिए सरकार अदालत जाएगी और केंद्र सरकार भी इसमें राज्य की मदद करेगी। हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर रोक लगाते हुए ओबीसी सीटों को सामान्य वर्ग के लिए फिर से अधिसूचित करने का निर्देश दिया था।
इससे पहले, मंगलवार को विधानसभा में पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर कांग्रेस के स्थगन प्रस्ताव पर जोरदार बहस हुई। कांग्रेस का कहना था कि सर्वोच्च न्यायालय, संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) जैसी संस्थाओं में आरक्षण लागू होना चाहिए। इसके लिए सरकार को विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजना चाहिए। चर्चा के दौरान राज्य के नगरीय विकास और आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार ने नियम और प्रक्रिया के तहत ही पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी की थी। लेकिन चुनाव रद्द कराने के लिए कांग्रेस अदालत चली गई। अगर शीर्ष अदालत ने ओबीसी आरक्षण पर रोक लगाई है तो इसके लिए जिम्मेदार केवल कांग्रेस है। इस पर पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता कमलेश्वर पटेल कहा कि हम चुनाव के विरोध में नहीं हैं। कांग्रेस चुनाव प्रक्रिया में आरक्षण रोटेशन में अनियमितताओं और खामियों में सुधार के लिए अदालत गई थी।
चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सूबे में पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ कराए जाएंगे। ओबीसी कल्याण के मुद्दे पर राज्य सरकार ने कभी समझौता नहीं किया है। हम ओबीसी हित में काम करते रहेंगे। सूबे में 8800 पदों पर भर्ती निकाली गई, जिसमें ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया। उन्होंने कहा कि पंचायत चुनावों में ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से उनकी चर्चा हुई है। इसके अलावा, वे विधि विशेषज्ञों से भी चर्चा कर रहे हैं।
यह है मामला
दरअसल, मध्य प्रदेश सरकार ने 2019-20 में पंचायत चुनाव में आरक्षण निर्धारित कर अधिसूचना जारी थी। लेकिन पुरानी अधिसूचना को रद्द किए बिना ही सरकार ने नई अधिसूचना जारी कर दी। इसमें 2014 के आरक्षण रोस्टर के आधार पर पंचायत चुनाव कराने की घोषणा की गई। इसके खिलाफ कांग्रेस अदालत चली गई। लेकिन 9 दिसंबर को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया तो कांग्रेस ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर दी। 17 दिसंबर को सर्वोच्च न्यायालय ने पंचायत चुनाव पर रोक लगाते हुए कहा कि 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण की अनुमति नहीं दी जा सकती है। इसी के साथ शीर्ष अदालत ने राज्य निर्वाचन आयोग को ओबीसी सीटों को फिर से अधिसूचित कर सामान्य वर्ग के लिए अधिसूचित करने का आदेश दिया। इस पर अमल करते हुए राज्य निर्वाचन आयोग ने ओबीसी के लिए आरक्षित जिला पंचायत सदस्य, जनपद, सरपंच व पंच के पदों पर चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा दी। इस मामले में अगली सुनवाई 27 जनवरी को होनी है।
टिप्पणियाँ