केरल के राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खान ने विश्वविद्यालयों में नियुक्ति के मुद्दे पर मुख्यमंत्री पिनरई विजयन और राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री आर. बिंदू को फटकार लगाई है। उन्होंने कहा कि वे ऐसे माहौल में काम नहीं कर सकते हैं, जहां विश्वविद्यालयों के कामकाज में बहुत अधिक राजनीतिक हस्तक्षेप किया जाता हो।
राज्यपाल ने कहा, ‘‘मैं ऐसे माहौल में काम नहीं कर सकता, जहां मुझे लगता है कि विश्वविद्यालय के कामकाज में बहुत अधिक राजनीतिक हस्तक्षेप है और विश्वविद्यालय की स्वायत्तता पूरी तरह खत्म हो रही है।’’ अपनी मांगों को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को एक अध्यादेश लाना चाहिए जिसमें कुलाधिपति खुद अपनी शक्तियां मुख्यमंत्री को सौंप सकें। आरिफ खान ने कहा, ‘‘टकराव तब होता है, जब आप किसी अन्य प्राधिकरण के खिलाफ अपने अधिकार का दावा करते हैं। मैंने अनुरोध किया है कि आप एक अध्यादेश लाएं, आप कुलाधिपति बनें, किसी को भी कुलाधिपति बनने दें, लेकिन मेरे लिए इस तरह का राजनीतिक हस्तक्षेप देखना संभव नहीं हे।’’
राज्यपाल ने राज्य के विश्वविद्यालयों में राजनीतिक नियुक्तियों पर नाराजगी व्यक्त करते हुए 8 दिसंबर को मुख्यमंत्री को एक पत्र भेजा था। इसमें उन्होंने लिखा था, ‘‘सब कुछ खत्म हो गया है। मंत्री (उच्च शिक्षा) ने मुझे पत्र लिखा है। नियम और कानून स्पष्ट रूप से कहा गया है कि एक चयन समिति होगी जो स्वतंत्र होगी। वे कुलपति के निर्देश के तहत भी काम नहीं करते हैं। यहां, मंत्री पत्र लिख रहे हैं कि अमुक-अमुक को नियुक्त किया जा सकता है।’’ इससे पहले राज्यपाल के पत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने कहा था, ‘‘कन्नूर विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति पर राज्यपाल द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे। हस्ताक्षर करने के बाद मुकरना सही नहीं था। हस्ताक्षरित आदेश की अस्वीकृति के पीछे हस्तक्षेप के अन्य कारण हो सकती है। दबाव के कारण राज्यपाल के पद में विचलन हो सकता है। हम विश्वविद्यालय के कुलाधिपति पद जैसी किसी चीज की इच्छा नहीं रखते हैं। हमारा ऐसा कोई इरादा नहीं है। सरकार ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है। सरकार बस यही चाहती है कि राज्यपाल उस पद पर बने रहें।’’
विपक्षी दल कांग्रेस और भाजपा ने भी विश्वविद्यालयों में भाई-भतीजावाद और राजनीतिक हस्तक्षेप के लिए मुख्यमंत्री और राज्य सरकार की आलोचना की है। विपक्षी दलों ने बीते छह वर्षों में वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार द्वारा विश्वविद्यालयों में की गई सभी नियुक्तियों की न्यायिक जांच की भी मांग की है।
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