जिहादियों ने बिहार के बोधगया में 19 जनवरी, 2018 को उस समय बम विस्फोट करने की योजना बनाई थी, जब वहां दलाई लामा, बिहार के तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक सहित अनेक विदेशी मेहमान उपस्थित थे। हालांकि सुरक्षा बलों की तत्परता से जिहादियों की मंशा पूरी नहीं हुई थी। षड्यंत्र में शामिल तीन जिहादियों को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के विशेष न्यायाधीश गुरविंदर सिंह मल्होत्रा की अदालत ने आजीवन कारावास की सजा दी है। ये तीन जिहादी हैं— अहमद अली उर्फ कालू, पैगंबर शेख और नूर आलम मोमिन। इसके अलावा दिलावर हुसैन, मुस्तफा रहमान उर्फ शाहीन उर्फ तूहीन, आरिफ हुसैन उर्फ अताकुर उर्फ सैयद उर्फ अनस उर्फ आलमगीर शेख, मोहम्मद आदिल शेख उर्फ अब्दुल्लाह और अब्दुल करीम उर्फ करीम शेख उर्फ इकबाल उर्फ फंटू शेख को 10-10 साल की सजा सुनाई गई है।
बता दें कि इन जिहादियों ने 10 दिसंबर,2021 को न्यायालय में आवेदन देकर अपने-अपने गुनाह को स्वीकार किया था। सभी जिहादी पश्चिम बंगाल के मालदा के निवासी हैं। न्यायालय ने उम्रकैद की सजा प्राप्त तीनों जिहादियों पर 39-39 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। अन्य दोषियों पर भी अर्थदंड लगाया गया है। एक अभियुक्त जहीदुल इस्लाम ने अपना अपराध स्वीकार नहीं किया है। इस कारण उस पर अभी मुकदमा चलता रहेगा।
उल्लेखनीय है कि 19 जनवरी, 2018 को बोधगया में दलाई लामा द्वारा एक पूजा की जा रही थी। इस अवसर पर बिहार के तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मल्लिक भी उपस्थित थे। जिहादियों ने इस कार्यक्रम में शामिल लोगों को बम से उड़ाने का षड्यंत्र रचा था। इसलिए उन लोगों ने कालचक्र मैदान के द्वार के सामने जनरेटर के नीचे बैग में बम रख दिया था। दक्षिणी प्रवेश द्वार के चबूतरे पर भी बैग रखा गया था। एक कम क्षमता वाले बम के फटने के बाद सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत सारे कदम उठाकर एक बड़ी आतंकवादी घटना को विफल कर दिया था।
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