बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग से सत्तारूढ़ जदयू और भाजपा के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है। जदयू खुलकर कह रहा है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए, वहीं भाजपा का कहना है कि केंद्र की मोदी सरकार की ओर से बिहार को विशेष राज्य के दर्जे से अधिक आर्थिक पैकेज दिया जा रहा है। यह बात भाजपा नेता और उपमुख्यमंत्री रेणु देवी ने कही है। रेणु देवी का यह बयान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उस बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा है, ''बिहार अपने दम पर केंद्र की योजनाओं से आगे बढ़ रहा है। अगर राज्य को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाए तो हम बहुत आगे बढ़ जाएंगे।''
दूसरी ओर बिहार भाजपा के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने विशेष राज्य के दर्जे पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को घेरने के बहाने नीतीश कुमार और जदयू को साफ संदेश दिया है। उन्होंने कहा है कि राजग सरकार ने ही पहली बार बिहार के लिए विशेष दर्जे की मांग रखी थी, जिसका कांग्रेस और राजद ने विरोध किया था। संजय जायसवाल ने यह भी कहा कि तेजस्वी यादव को यह भी नहीं पता कि विशेष राज्य का दर्जा देना प्रधानमंत्री का काम नहीं है, बल्कि यह काम राष्ट्रीय विकास परिषद करती है और इसके सदस्य सभी राज्यों के मुख्यमंत्री होते हैं। इसलिए कोई भी मुख्यमंत्री अपने राज्य के बदले और किसी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा नहीं लेने देंगे।
उल्लेखनीय है कि विशेष राज्य का दर्जा पहाड़ी और सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थित राज्यों को दिया जाता है। इस समय असम, नागालैंड, जम्मू—कश्मीर, मणिपुर, मेघालय, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड को विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ है। विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त राज्यों को केंद्र सरकार से 90 प्रतिशत अनुदान मिलता है। शेष 10 प्रतिशत राशि बिना ब्याज दी जाती है। जिन राज्यों को विशेष दर्जा प्राप्त नहीं है, उन्हें केवल 30 प्रतिशत राशि अनुदान के रूप में मिलती है और 70 प्रतिशत राशि उन पर केंद्र का कर्ज होता है। इसके अलावा विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों को उत्पाद शुल्क, आयकर, सीमा शुल्क में भी छूट मिलती है।
नीतीश कुमार को पता है कि नियमानुसार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिल सकता है। इसके बावजूद वे जब—तब विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग करते हैं। दरअसल, इस मांग के पीछे उनकी मंशा है कि भाजपा को दबाव में रखना। बता दें कि भाजपा की कृपा से ही वे मुख्यमंत्री हैं। इसके बावजूद वे भाजपा के एजेंडे के विरुद्ध कार्य करते रहते हैं। वे मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति अभी भी करते हैं। इस पर भाजपा के नेता कुछ बोलें नहीं इसलिए वे विशेष राज्य की मांग करते रहते हैं। नीतीश कुमार को लग रहा है कि यदि भाजपा से संबंध बिगड़ा तो राजद से समर्थन लेकर वे मुख्यमंत्री बन जाएंगे। इसलिए वे कभी भी भाजपा की परवाह नहीं करते।
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