मीम अलिफ हाशमी
अरब के शेखों को खुश करने के चक्कर में पड़ोसी देश पाकिस्तान की हुकूमत अपने लोगों, अपनी प्राकृतिक संपदा और अपने राष्ट्रीय पक्षी की ही जान की दुश्मन बनी हुई है। इस मामले में पाकिस्तानी सरकार ने इस कदर आंखें मूंद रखी हैं कि तमाम कानूनों, विरोधों और प्रतिबंधों को दरकिनार कर इस बार भी मासूम से दिखने वाले विलुप्तप्राय पक्षी होउबारा बस्टर्ड, जिसे भारत में सोन चिरैया तथा पाकिस्तान में तल्लूर कहा जाता है, के आखेट के लिए परमिट जारी कर दिए गए हैं। मजे की बात है कि मौजूदा प्रधानमंत्री इमरान खान तल्लूर के शिकार के मुखर विरोधी रहे हैं। अब उनकी ही सरकार अरब राजशाही परिवारों को इसके शिकार के लिए विशेष लाइसेंस निर्गत करने में अव्वल है। एक रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष अब तक पाकिस्तान के केवल सिंध की प्रांतीय सरकार द्वारा अरब के 14 गणमान्य लोगों को परमिट जारी किया जा चुका है। इन शिकारियों में संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति, कतर के प्रधानमंत्री और बहरीन के किंग शामिल हैं। हालांकि पाकिस्तान के दूर-दराज के इलाके में तल्लूर के शिकार का विरोध होता रहा है, पर इस बार एक हत्या के बाद यह मामला कुछ ज्यादा गरमा गया है। लोग व्यापक तौर पर तल्लूर के शिकार और पाकिस्तान की इस ‘कूटनीति’ का मुखर विरोध कर रहे हैं।
सिंध की घटना
पूरा मामला यूं है- पाकिस्तान के सिंध प्रदेश के ग्रामीण इलाके के 27 वर्षीय नाजिम जोखियो का उसके गांव में तल्लूर का शिकार करने आए एक विदेशी काफिले से झगड़ा हो गया था। बात हाथापाई तक पहुंच गई। नाजिम ने इस घटना का वीडियो बनाया। बाद में उसे इसे डिलीट करने की धमकी दी गई। जिन लोगों के साथ नाजिम का झगड़ा हुआ था, वे एक अरब शेख के काफिले का हिस्सा थे तथा पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के प्रांतीय असेंबली के सदस्य जाम ओवैस के मेहमान थे। बात को आगे बढ़ने से रोकने के लिए नाजिम का भाई अफजल जोखियो नाजिम को वडेरे के फार्महाउस पर ले गया, जहां विदेशी मेहमान ठहरे थे। उसके मुताबिक, उसने भाई से कहा कि ‘तुम्हें एक या दो थप्पड़ मारेंगे, तो तुम चुपचाप खा लेना और माफी मांग लेना।’
अफजल ने बताया कि जब वह फार्महाउस पहुंचे तो उससे कहा गया कि अपने भाई को यहीं छोड़ जाओ और सुबह आना। जब वह सुबह पहुंचा तो बताया गया कि उसके भाई की मौत हो चुकी है। वह समझ नहीं पाया कि ऐसा कैसे हो गया। ‘कुछ ही देर बाद पुलिस ने उसी फार्म हाउस से नाजिम का क्षत-विक्षत शव बरामद किया। नाजिम की हत्या का मामला इस समय अदालत में विचाराधीन है और सिंध प्रांत के ज्यादातर हिस्सों में हत्या का विरोध हो रहा है। अफसोसनाक पहलू यह है कि आरोपियों के खिलाफ अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है और हत्यारोपी अरब शहजादे अभी भी तल्लूर का शिकार करते घूम रहे हैं।
अरब शेखों को खुश करने के मामले में पाकिस्तान सरकार इस कदर उदार है कि परमिट देते समय वह यह तक जांचना जरूरी नहीं समझती कि कहीं वह हत्यारा या अपराधी प्रवृत्ति का तो नहीं? सरकार ने गत वर्ष इसने कई ऐसे लोगों को परमिट जारी कर दिया था जिन पर पहले से ही शिकार की फीस की मोटी रकम हड़पने का आरोप है। कोरोना काल से एक वर्ष पहले सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों एवं अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध के बावजूद जिन लोगों को तल्लूर के शिकर के लिए परमिट दिया गया था, उनमें सउदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुल अजीज और सउदी अरब सरकार के दो राज्यपाल भी शामिल थे।
तल्लूर का शिकार, प्रतिबंध और मनोरंजन
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट तथा इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन आॅफ नेचर (आईयूएनसी) ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस लुप्तप्राय पक्षी तल्लूर (होउबारा बस्टर्ड) के शिकार पर प्रतिबंध लगा रखा है। आकार में यह मुर्गियों जैसा और स्वभाव से शर्मीला व मासूम होता है। मध्य एशिया के ठंडे इलाके में पाया जाने वाला यह परिंदा सर्दी के मौसम में अधिक ठंड पड़ने पर पलायन कर जान बचाने एवं चारे की तलाश में गर्म इलाके में पहुंचता है। सर्दियों में पाकिस्तान के पंजाब, पखतूनख्वा एवं बलूचिस्तान प्रांत में इसका खास ठिकाना होता है। चूंकि इसकी संख्या निरंतर घट रही है, इसलिए इसके संरक्षण तथा सर्दियों में इसके पलायन के मद्देनजर होउबारा फाउंडेशन इंटरनेशनल की पहल पर पाकिस्तान के पंजाब के बहावलपुर में ‘लाल शनरा राष्ट्रीय उद्यान’ स्थापित किया गया है।
पाकिस्तान स्थित बीबीसी के रिपोर्टर एम. इलियास खान कहते हैं कि तमाम तरह के प्रतिबंध के बावजूद यहां तल्लूर का बड़े पैमाने पर अवैध शिकार हो रहा है। रही-सही कसर सर्दियों में यहां आकर खाड़ी देशों के शाही खानदान पूरी कर देते हैं। सउदी राजघराने में तल्लूर के शिकार को बतौर खेल लिया जाता है। खेल के दौरान प्रशिक्षित बाज का इस्तेमाल किया जाता है, जो झपट्टा मार कर तल्लूर को दबोच लेता है। बाद में शिकारी इसका मांस पका कर खाते हैं। अरब देशों के लोगों के लिए जहां यह मनोरंजन का साधन है, वहीं उनके बीच यह भी धारणा है कि इसके मांस के सेवन से यौन शक्ति बढ़ती है। हालांकि अब तक ऐसी कोई वैज्ञानिक रिर्पोट सामने नहीं आई है।
भारत में इसके शिकार पर पूर्ण प्रतिबंध है। कहने को पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने भी तल्लूर के शिकार पर रोक लगा रखी है, पर प्रांतीय सरकारों के माध्यम से इसके आखेट के लिए हर साल परमिट जारी किए जाते हैं और बदले में मोटी रकम वसूली जाती हैं। अरब और खाड़ी देशों के पाकिस्तान पर इतने एहसान हैं कि पाकिस्तान में सरकार चाहे किसी की हो, उन्हें शिकार की इजाजत मिलने में कभी कठिनाई नहीं आई। बताते हैं कि प्रत्येक शिकारी को 100 तल्लूर के शिकार की इजाजत दी जाती है, पर वे शिकार करते हैं हजारों में।
इमरान का दुमुंहापन’
तल्लूर के शिकार की अनुमति देने पर प्रधानमंत्री इमरान खान का दोमुंहापन उजागर हो गया। पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने इसके शिकार पर पूर्ण प्रतिबंध लगा रखा है और सख्ती से इसके पालन की हिदायत भी दी हुई है। इसके बावजूद 2017 में जब तत्तकालीन मियां नवाज शरीफ सरकार ने खाड़ी के शाही खानदान के कुछ लोगों को शिकार की विशेष अनुमति दी तो तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी की नुमाइंदगी करते हुए इमरान खान ने इसे राष्ट्रीय शर्म बाते हुए इस कदर बवाल मचाया कि शरीफ सरकार को शिकार की के परमिट को निरस्त करना पड़ा। उनकी सरकार ने पख्तून ख्वा में तल्लूर के शिकार की अनुमति दी थी। इससे पहले बेनजीर भुट्टो, आसिफ अली जरदारी, परवेज मुशरर्फ की सरकारें सउदी के शाही मेहमानों को देशहित बताकर तल्लूर के शिकार की अनुमति भी देती रही हैं। इमरान खान के शिकार का मामला सुप्रीम कोर्ट में घसीटने पर शरीफ सरकार ने दलील दी थी कि शाही परिवारों को शिकार की इजाजत देना विदेश नीति का हिस्सा है। अब इमरान खान सरकार भी वही दलील दे रही है। |
घास नहीं डालते पाकिस्तानी हुक्मरानों कोशिकार के दौरान अरब शेखों का व्यवहार पाकिस्तानी हुक्मरानों के प्रति नौकर-मालिक जैसा होता है। वैसे ही जैसे मनोरंजन के समय कोई किसी तरह का खलल नहीं चाहता। |
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विदेश नीति और शिकार का महत्वसवाल है कि पाकिस्तान अपनी विदेश नीति में तल्लूर के शिकार को इतना महत्व क्यों देता है? इसके बारे में संयुक्त अरब अमीरात में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत का कहना है कि पाकिस्तान सद्भावना के तौर पर एक खेल या शौक को प्रमोट करता है, क्योंकि हमारे पास भारत की तरह नाइट क्लब नहीं हैं जहां हम इन खाड़ी देशों से आने वाले शाही परिवार के सदस्यों को लें जाएं। इसलिए तल्लूर के शिकार को प्रमोट करने में कोई हर्ज नहीं होना चाहिए। यह अरब संस्कृति का हिस्सा है और पाकिस्तान और इन देशों के बीच संबंधों को बेहतर रखने का भी एक तरीका है। |
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शिकार पर प्रतिबंध का मजाक
पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में तल्लूर के शिकार पर प्रतिबंध लगाया था। बावजूद इसके पाकिस्तान का विदेश मंत्रालय प्रत्येक वर्ष 25 से 35 विशेष परमिट जारी करता है। यहां तक कि मियां नवाज शरीफ के प्रधानमंत्रित्व काल में इस मुददे पर बवाल मचाने वाले इमरान खान भी अब इस पंक्ति में आ गए हैं। उन्हें लगता है कि उनके ऐसे ‘प्रयासों’ से न केवल खाड़ी देशों से रिश्ते मजबूत होंगे बल्कि तल्लूर के शिकार की मंजूरी देने से करीब दो करोड़ डॉलर की कमाई भी हो जाएगी। दो वर्ष पहले बहरीन के शाही परिवार के सात सदस्यों को 100-100 पक्षियों के शिकार की मंजूरी दी गई थी। इसके लिए विदेश मंत्रालय पंजाब, सिंध एवं बलूचिस्तान प्रांत सरकारों को शाही मेहमानों की खिदमत के लिए विशेष दिशानिर्देश जारी करता है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, तीनों राज्य सरकारों को शाही मेहमान का ‘खास ख्याल’ रखने को कहा जाता है।
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