केरल उच्च न्यायालय ने राज्य की शासन व्यवस्था पर तल्ख टिप्पणी की है। एक मामले की सुनवाई के दौरान हाल ही में केरल में हत्या की एक वीभत्स घटना का उल्लेख करते हुए अदालत ने कहा कि राज्य की स्थिति ‘डरावनी’ है। लोग किसी का भी पैर काट कर सड़क पर फेंक देते हैं।
राज्य में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को भूमि आवंटन से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने कहा, ‘‘लोग किसी का पैर काट कर सड़क पर फेंक देते हैं। यह डरावना है। संभवत: वे (हमलावर) मादक पदार्थों के आदी हैं और बहुत अधिक नशा करते हैं। हम इस तरह कहां जा रहे हैं?'' सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि सरकार कह रही थी कि वह इन लोगों को आवास मुहैया कराएगी, तो यह कैसे सुनिश्चित करेगी कि उनके पास आजीविका का साधन है? सरकार कहती है कि केरल में अन्य राज्यों के 50 लाख से अधिक लोग काम कर रहे थे, लेकिन यहां के लोगों के पास नौकरी नहीं है। इसलिए युवा पीढ़ी अपराध या ड्रग्स का सहारा ले रही है।
गौरतलब है कि तिरुवनंतपुरम जिले के पोथेनकोड इलाके में 11 दिसंबर को 12 हमलावरों ने हत्या के प्रयास के मामले में वांछित एक व्यक्ति की निर्ममता से हत्या कर दी थी। वह पोथेनकोड में अपने दूर के रिश्तेदार के घर में रह रहा था। हमलावरों को देख कर पीडि़त जान बचाने के लिए भागा और अपने रिश्तेदार के घर में घुस गया। लेकिन हमलावर जबरन घर में घुस गए और धारदार हथियारों से उस पर ताबड़तोड़ हमले किए और बच्चों सहित घर के लोगों के सामने उसका पैर काट कर अलग कर दिया। मकान मालिक के मुताबिक हमलावरों ने दोपहर में इस वारदात को अंजाम दिया। उसका कहना है कि पीडि़त उसकी पत्नी का दूर का रिश्तेदार था, जो काम की तलाश में उसके पास आया था। गंभीर हालत में उसे तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। पुलिस का कहना है कि अपराध को अंजाम देने के बाद भागते समय हमलावरों ने कटा हुआ पैर सड़क पर फेंक दिया था। इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
टिप्पणियाँ