बांग्लादेश में एक सर्वे की रिपोर्ट चौंकाने वाली है। 'ट्रांस्पेरेंसी इंटरनेशनल' की बांग्लादेश इकाई द्वारा किए गए इस ताजा सर्वे से खुलासा हुआ है कि इस्लामी मुल्क बांग्लादेश में महिला पत्रकारों की स्थिति पुरुष पत्रकारों से ज्यादा बदहाल है। रिपोर्ट बताती है कि इस देश की 85 फीसदी महिला पत्रकारों का कहना है कि उनके साथ दफ्तरों में यौन उत्पीड़न होता है जिसकी शिकायत करने पर कोई कान नहीं देता। उन्हें न्याय नहीं मिलता। इस संस्था ने इस रिपोर्ट को शीर्षक दिया है—‘इंवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म इन बांग्लादेश: इंस्टीट्यूशनल चैलेंजस ऑफ मास मीडिया’।
बांग्लादेश में पत्रकारों की खराब हालत की झलक देती यह रिपोर्ट बताती है कि इस्लामी मुल्क के 65 प्रतिशत पत्रकार काम की स्थिति अनुकूल नहीं पाते हैं इसलिए वे पत्रकारिता को ही छोड़ देना चाहते हैं। ऐसे असंतुष्ट पत्रकारों में अधिकांश रेडियो या टेलीविजन चैनलों में पत्रकारिता करते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, पत्रकारों की सबसे बड़ी शिकायत यही है कि मीडिया घराने उनसे पेशेवराना बर्ताव नहीं करते। मीडिया संस्थान इतने खराब तरीके से चलाए जा रहे हैं कि काम करना मुश्किल है। अधिकांश मीडिया समूहों में उचित मानव संसाधन नीति नहीं है, न ही प्रबंधन पेशेवराना है। ये ऐसे कारण हैं कि जिनके चलते मीडिया क्षेत्र का ठीक से विकास ही नहीं हो पाया है। सर्वे में देखा गया कि चायनीज वायरस कोरोना की महामारी के चलते मार्च 2020 से अब तक बांग्लादेश में 1,600 मीडियाकर्मियों की मृत्यु हो चुकी हैं।
'ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल' की बांग्लादेश इकाई की इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने के बाद से इस्लामी मुल्क बांग्लादेश में एक जबरदस्त बहस छिड़ गई है। कई जानकार मानते हैं कि यह देश में लोकतंत्र की असल हालात बयां करती है। उनका कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान 88 व्यंग्य चित्रकारों और पत्रकारों को डिजिटल सुरक्षा कानून के अंतर्गत गिरफ्तार किया गया था।
इन सब दिक्कतों के बीच अधिकांश पत्रकारोें ने बताया है कि अगर मौका मिले तो वे पत्रकारिता का काम छोड़ कर कोई और पेशा करने को प्राथमिकता देंगे। मीडिया में काम करने वालों की शिकायत है कि उनको ठीक से तनख्वाह तक नहीं दी जाती। नौकरी में कोई स्थिरता नहीं है। इन सब कारणों से उनका जीवन ठीक से नहीं चल पा रहा है, गुजर नहीं हो पा रही है।
उल्लेखनीय है कि 'ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल' की बांग्लादेश इकाई की इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने के बाद से इस्लामी मुल्क बांग्लादेश में एक जबरदस्त बहस छिड़ गई है। कई जानकार मानते हैं कि यह देश में लोकतंत्र की असल हालात बयां करती है। उनका कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान 88 व्यंग्य चित्रकारों और पत्रकारों को डिजिटल सुरक्षा कानून के अंतर्गत गिरफ्तार किया गया था।
यहां बता दें कि बांग्लादेश में अंदाजन 45 निजी टेलीविजन समाचार चैनल हैं, 28 एफएम रेडियो स्टेशन तथा 32 सामुदायिक रेडियो स्टेशन हैं। देश में करीब 1,248 अखबार छपते हैं। साथ ही, हजारों की तादाद में वेबसाइट हैं। इस सबमें पत्रकार काम करते हैं। दिलचस्प तथ्य है कि बांग्लादेश के 48 बड़े मीडिया समूहों के मालिक 32 कारोबारी घराने हैं।
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