आलोक गोस्वामी/टी. सतीसन
केरल में पिछले एक दशक के दौरान 'जिहाद' एक जाना-पहचाना शब्द बन गया है। इसकी वजह हैं राज्य में चल रहीं आक्रामक मजहबी और कट्टर इस्लामिक गतिविधियां। यहां लगातार ऐसी घटनाएं देखने में आती रही हैं जिनमें कट्टर मजहबी तत्वों का हाथ पाया गया है। उदाहरण के लिए, प्रो. जोसेफ का हाथ काटना, रा.स्व.संघ के स्वयंसेवकों की हत्याएं, पाकिस्तानी झंडे लहराकर उग्र माहौल बनाना और जिहादी नारे लगाकर शांतिप्रिय हिन्दुओं में एक भय पैदा करना। जिहादी सोच वालों ने कई निर्दोष हिंदू कार्यकर्ताओं की हत्याएं की हैं। दिनदहाड़े हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं को हिंसा का शिकार बनाया गया है। इस्लामिक होटलों में मजहबी कारणों से 'हलाल' परोसना और खाने में थूकने की भी कई घटनाएं देखने में आई हैं।
राज्य में सत्तारूढ़ माकपा नीत वाममोर्चा सरकार से कथित शह प्राप्त जिहादी कट्टरपंथियों की ताजा हरकत 6 दिसंबर, 2021 को सामने आई जब पथनमथिट्टा जिले के कोट्टांगल में सेंट जॉर्ज हाई स्कूल के छोटे बच्चों की वर्दी पर 'आई एम बाबरी' मैं बाबरी हूं लिखे स्टीकर चिपकाये गए। याद रहे, 6 दिसम्बर 1992 को अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि मंदिर पर आतताई बाबर का बनाया बाबरी ढांचा ढहा था। ये स्टीकर उसी की बरसी पर शैतानी मानसिकता के साथ लगाए गए थे। मजहबी कट्टरपंथियों की हरकत पर भाजपा नेताओं का आरोप है कि यह उन्मादी गुटों पीएफआई, पॉपुलर फ्रंट और उनकी मूल संस्था एसडीपीआई की करतूत है। फ्रंट के प्रवक्ता का एक टीवी बहस में इस कट्टरपंथी मजहबी कार्रवाई को उचित ठहराना स्वाभाविक ही था।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने पथनमथिट्टा जिला पुलिस प्रमुख से भाजपा के वरिष्ठ नेता पी.के. कृष्णदास द्वारा इस संबंध में दर्ज की गई शिकायत के बारे में जवाब तलब किया है। शिकायत के आधार पर पुलिस ने एसडीपीआई कार्यकर्ता मुनीर इब्नु नज़ीर और दो अन्य के खिलाफ धारा 153 (ए), 341 और 34 के तहत मामला दर्ज किया है। प्राथमिकी में कहा गया है कि आरोपी सांप्रदायिक तनाव, सांप्रदायिक हिंसा और अराजकता पैदा करने की कोशिश कर रहे थे। भाजपा मंडल उपाध्यक्ष सुरेश के पिल्लई, चुंगप्पारा सेंट जॉर्ज स्कूल प्रबंधन और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने शिकायत दर्ज कराई है। स्कूल के प्रधानाध्यापक का कहना है कि बच्चों के स्कूल पहुंचने पर जब वर्दी पर ये स्टीकर लगे देखे तो उन्हें फौरन हटवा दिया गया था।
लेकिन, हैरानी की बात यह है कि इस मामले में इन पंक्तियों के लिखे जाने तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। पुलिस का दावा है कि आरोपियों के घरों पर छापेमारी की गई थी, लेकिन उनके बारे में कोई सुराग नहीं मिल पाया है।
पुलिस ने एसडीपीआई कार्यकर्ता मुनीर इब्नु नज़ीर और दो अन्य के खिलाफ धारा 153(ए), 341 और 34 के तहत मामला दर्ज किया है। प्राथमिकी में कहा गया है कि आरोपी सांप्रदायिक तनाव, सांप्रदायिक हिंसा और अराजकता पैदा करने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन, हैरानी की बात यह है कि इस मामले में इन पंक्तियों के लिखे जाने तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
एसडीपीआई (सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया) पीएफआई (पॉपलर फ्रंट ऑफ इंडिया) की राजनीतिक शाखा है। यह वही इस्लामिक कट्टरपंथी गुट है, जिसे अंतरराष्ट्रीय जिहादी संगठन आईएस का 'भारतीय स्वरूप' माना जाता है। केरल में यह कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ और माकपा के नेतृत्व वाले एलडीएफ, दोनों का चहेता गुट है। देशभक्ति की बात करने वाले हिन्दू संगठन इस गुट के निशाने पर रहते हैं। यही वजह थी जब कुछ साल पहले केरल में एबीवीपी के तीन कार्यकर्ताओं की कथित तौर पर पीएफआई के लोगों ने हत्या कर दी थी। विशाल, श्यामा प्रसाद और सचिन गोपाल हिंसक जिहादियों के शिकार बने थे।
संघ के स्वयंसेवकों और अन्य हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ताओं का मानना है कि माकपा के नेतृत्व वाले एलडीएफ और उसके शासन ने इस्लामिक कट्टरपंथियों को संघ और भाजपा के लोगों पर हमले करने की अघोषित छूट दी हुई है। यही वजह है कि हाल के इस 'स्टीकर जिहाद' के मामले में भी पुलिस एसडीपीआई का नाम लेने की हिम्मत नहीं कर रही है। यहां तक कि 2 जुलाई, 2018 को कोच्चि में एक एसएफआई कार्यकर्ता की हत्या के मुख्य आरोपी को अभी भी गिरफ्तार नहीं किया गया है।
गत 8 दिसम्बर को देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत तथा अन्य की हेलीकाप्टर दुर्घटना में मृत्यु होने पर केरल के जिहादी तत्वों ने सोशल मीडिया पर खुलकर उनका और भारत का अपमान किया है। उनमें से बहुत से तत्वों ने फेसबुक पर स्माइली के जरिए जनरल रावत की दुखद मृत्यु पर खुशी जाहिर की है, लेकिन केरल में उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जबकि सोशल मीडिया पर एलडीएफ के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन या उनके सहयोगियों की आलोचना भर करने वालों को कानूनी कार्रवाई आदि का सामना करना पड़ता है।
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