दुनिया भर के मीडिया ने समय—समय पर ऐसे समाचार छापे हैं जिनसे पता चला कि पाकिस्तान की हुकूमत ने अपने सामरिक और रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण ग्वादर बंदरगाह पर अपने 'दोस्त' चीन को खुली छूट दे रखी है। पता यह भी चला था कि चीन वहां अपना सैन्य अड्डा स्थापित करने वाला है। कारण? ग्वादर में तमाम योजनाओं पर चीन ने अथाह पैसा लगाया हुआ है और वह इलाका पाकिस्तान से पट्टे पर ले लिया है। इन समाचारों से पाकिस्तान की मंशाओं पर सवाल खड़े हुए हैं। दुनिया भर में हो रही अपनी फजीहत के बीच अब पाकिस्तान की तरफ से सफाई आई है कि उसने ऐसा कोई प्रस्ताव चीन को नहीं दिया है जिसके तहत ड्रैगन वहां अपना सैन्य अड्डा बनाए।
पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोइद यूसुफ ने 9 दिसम्बर को कहा है कि पाकिस्तान ने चीन को ऐसा कोई प्रस्ताव ही नहीं दिया है कि वह सामरिक रूप से अहम ग्वादर बंदरगाह के आसपास अपना सैन्य अड्डा स्थापित करे। यूसुफ ने कहा कि दुनिया का कोई भी देश 'सीपीईसी' या 'सीपैक' परियोजना में पैसा लगा सकता है जिसकी अनुमानित लागत 60 अरब डालर है।
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को ऐसा बयान अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते देना पड़ा है। इसी लिए उन्होंने चीन पर जोर न देते हुए, 'सीपैक' योजना से जुड़ने के लिए सभी देशों का 'आह्वान' किया है। एनएसए यूसुफ ने यह आह्वान बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में किया है। उन्होंने कहा कि उनके देश में चीन के आर्थिक आधार हैं, जिनमें विश्व का कोई भी देश पैसा लगा सकता है। उनके हिसाब से उनकी ओर से अमेरिका, रूस तथा मध्य एशियाई देशों के सामने भी निवेश का प्रस्ताव रखा गया था। उनके अनुसार, पाकिस्तान में इस योजना के दरवाजे सभी देशों के लिए खुले हैं।
पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार यूसुफ को ऐसा बयान अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते देना पड़ा है। उन्होंने 'सीपैक' योजना से जुड़ने के लिए सभी देशों का 'आह्वान' किया है। उन्होंने कहा कि उनके देश में चीन के आर्थिक आधार हैं, जिनमें विश्व का कोई भी देश पैसा लगा सकता है।
चीन द्वारा सिंक्यांग में उइगर मुस्लिमों की प्रताड़ना करने और उस पर पाकिस्तान की चुप्पी के संदर्भ में यूसुफ का कहना था कि यह पश्चिमी देशों की सोच है कि सिंक्यांग में उइगर मुसलमानों पर अत्याचार हो रहा है। लेकिन पाकिस्तान पश्चिम की इस सोच से सहमत नहीं है। उनके अनुसार, उनके चीन के साथ भरोसे के संबंध हैं; उनके राजदूत तथा दूसरे प्रतिनिधिमंडल सिंक्यांग का दौरा कर चुके हैं।
यहां बता दें कि ग्वादर बंदरगाह चीन की सीपीईसी परियोजना के अंतर्गत ही आता है। यह अरबों डालर की बेल्ट एंड रोड परियोजना का प्रमुख अंग है। उल्लेखनीय है कि भारत सीपीईसी के विरुद्ध है और इस पर चीन के सामने अपना विरोध दर्ज करा चुका है। भारत का कहना है कि यह परियोजना पाकिस्तानी कब्जे वाले जम्मू—कश्मीर से गुजरती है, उस जम्मू—कश्मीर से जिसे भारत की संसद देश का अभिन्न अंग घोषित कर चुकी है।
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