शिया मुसलमानों में यह परम्परा है कि कोई भी जीवित रहते हुए अपनी कब्र के लिए स्थान आवंटित करा सकता है ताकि वह अपनी जिन्दगी में निश्चिंत हो सके कि उसके द्वारा आवंटित कराई गई कब्र में ही उसे दफनाया जाएगा. इसी प्रकार वसीम रिजवी ने भी कब्र का आवंटन कराया था.
वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी ने वर्ष 2018 में अपने लिए हयाती कब्र खरीदी थी. इसके बदले में उन्होंने कर्बला के मुतवल्ली को रकम भी अदा की थी. कब्र का आवंटन कराते समय वसीम रिजवी ने कहा था कि उन्हें लगातार जान से मारने की धमकी मिल रही है.
कर्बला तालकटोरा के मुतवल्ली फैजी ने कहा कि वसीम रिजवी द्वारा अदा की गई रकम का चेक उनके परिवार के सदस्य को सौंप देंगे. वसीम रिजवी की वजह से मुस्लिम समुदाय की बदनामी हो रही है. जब वे इस्लाम छोड़ चुके हैं तो उनकी कब्र के आवंटन का कोई औचित्य नहीं रह जाता है.
उल्लेखनीय है कि नवम्बर महीने में वसीम रिजवी ने अपनी वसीयत में लिखा था कि उनके मरने के बाद उन्हें कब्रिस्तान में न दफनाया जाए बल्कि हिन्दुओं की भांति उनका अंतिम संस्कार श्मशान घाट पर किया जाए. वसीम रिजवी ने अपने बयान का एक वीडियो जारी करते हुए कहा था कि “कट्टरपंथियों ने ऐलान किया है कि मेरे मरने के बाद कब्रिस्तान में मुझे स्थान नहीं देंगे.
मेरे मरने के बाद देश में शांति व्यवस्था बनी रहे इसलिए मैंने वसीयतनामा लिखकर प्रशासन को भेज दिया है. मेरे प्राण निकलने के बाद हिंदू रीति रिवाज से मेरा अंतिम संस्कार किया जाए. डासना मंदिर के महंत नरसिम्हा नन्द सरस्वती मेरे मृत शरीर को मुखाग्नि देंगे."
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