पाकिस्तान लगातार जम्मू—कश्मीर में विभिन्न तरीके से अराजकता फैलाने की साजिशें रचता रहा है। अब वह घाटी के युवाओं को नशे के दलदल में धकेल रहा है। एम्स और नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर (एनडीडीटीसी) के सर्वे में पाया गया कि कश्मीर के अनंतनाग और श्रीनगर जिले में ही 18-18 हजार लोग नशे के आदी हैं, जिनमें से 90 फीसदी हेरोइन का नशा करते हैं। इन दोनों जिलों में ही प्रतिदिन 3.5 करोड़ रुपये का नशा खरीदा जा रहा है। आंकड़ों की मानें तो प्रदेश में छह लाख लोग नशे के आदी हैं। इनमें 90 फीसदी युवा हैं।
गौरतलब है कि जीएमसी श्रीनगर के नशा मुक्ति केंद्र में हर साल छह हजार से ज्यादा नशे के आदी उपचार के लिए आते हैं। इनमें हेरोइन, कोकीन और ब्राउन शुगर लेने वालों की तादाद अधिक होती है, क्योंकि यह सब इन लोगों को आसानी से उपलब्ध हो जाता है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि उपचार केंद्र में 90 फीसदी लोग हेरोइन का सेवन करने वाले ही आते हैं। इनमें 60 फीसदी इसका इंजेक्शन ले रहे होते हैं, जो मौत का कारण बनते हैं।
नशा तस्करी
कोरोना के दौरान न केवल नशा तस्करी बढ़ी है बल्कि 15 से 30 साल के युवा इस दलदल में फंसते चले गए हैं। बता दें कि साल, 2020 में 36.08 किलो हेरोइन और 49.7 किलो ब्राउन शुगर बारामुला और कुपवाड़ा के सीमावर्ती जिलों से पकड़ी गई। 2021 में भी इन दो जिलों में ही सबसे ज्यादा नशा बरामद हुआ। नशे के इस खेल में नशीली दवाइयों का भी इस्तेमाल हो रहा है। अक्तूबर में पुलवामा जिले में नशीली दवाओं की बड़ी खेप पकड़ी गई।
आतंकी फंडिंग से जुड़ते तार
कुछ समय से नशीली दवाइयों से लेकर हेरोइन और कोकीन की तस्करी बढ़ी है। 2015 में इस धंधे से जुड़े 708 लोगों को राज्य में पकड़ा गया। 2020 में यह आंकड़ा 1,672 पहुंच गया। सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी यह आंकड़े चिंता बने हैं, क्योंकि इससे आतंकी फंडिंग के तार भी जुड़े हैं। खुफिया एजेंसियों के अनुसार पाकिस्तान से आने वाले नशे से 20 प्रतिशत कमाई टेरर फंडिंग में जाती है। पुलिस के अनुसार ज्यादातर नशा पाकिस्तान से आता है। पुंछ सेक्टर और एलओसी पर कई ड्रग्स की खेप पाकिस्तान ने ड्रोन से भी भेजीं।
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