झारखंड के स्वास्थ्य सचिव ने माना कि राज्य में कोरोना के नए रूप की रोकथाम के लिए अलग से कोई तैयारी नहीं की गई है
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झारखंड के स्वास्थ्य सचिव ने माना कि राज्य में कोरोना के नए रूप की रोकथाम के लिए अलग से कोई तैयारी नहीं की गई है

by रितेश कश्यप
Dec 2, 2021, 03:41 pm IST
in भारत, बिहार
कोरोना का टीका लगाता एक स्वास्थ्यकर्मी

कोरोना का टीका लगाता एक स्वास्थ्यकर्मी

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अपेक्षित गति से कोरोना का टीका लगवाने में विफल रही झारखंड सरकार कोरोना के नए रूप की रोकथाम के लिए बिल्कुल तैयार नहीं है। यह बात खुद राज्य के स्वास्थ्य सचिव ने कही है।  

एक रिपोर्ट के अनुसार कोरोना का टीका लगवाने में गैर—भाजपा शासित राज्य झारखंड, पंजाब, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान और पश्चिम बंगाल बहुत ही पीछे हैं। भाजपा शासित हिमाचल प्रदेश, गोवा, गुजरात, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा, असम और त्रिपुरा के मुकाबले ये राज्य कहीं नहीं टिकते हैं। सबसे बुरा हाल है झारखंड का। यहां अब तक केवल 66.2 प्रतिशत लोगों को ही कोरोना टीका की पहली खुराक लगी है, जबकि दूसरी खुराक 30.8 प्रतिशत लोगों को लगी है। झारखंड की राजधानी रांची में करीब 5.46 लाख लोगों को ही टीका लग पाया है। रांची और उसके आसपास 1420 गांव हैं। इनमें से केवल 14 गांव ऐसे हैं जहां टीका की दोनों खुराक लगाई गई है। 
पूरे देश में केवल झारखंड ही एक मात्र ऐसा राज्य है, जहां कोरोना का टीका अपेक्षित गति से नहीं लग रहा है। इसी से पता चलता है कि राज्य सरकार कोरोना को लेकर कितनी गंभीर है। राज्य सरकार की इस लापरवाही के कारण कोरोना के नए रूप ओमिक्रोन की चर्चा से ही झारखंड के लोग सिहर उठते हैं।  
एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार ओमिक्रोन को पहचानने के लिए लाई जाने वाली मशीन की फ़ाइल पिछले कई महीनों से लटकी हुई है। एंटीजन किट की कमी की वजह से कोरोना की जांच भी नहीं हो पा रही है। दिखावे के लिए राज्य सरकार की ओर से रेलवे स्टेशनों और हवाई अड्डे पर स्वास्थ्य कर्मचारियों की तैनाती तो कर दी गई है लेकिन उनके पास जांच करने के लिए उपकरण तक नहीं हैं। 
दूसरी लहर जब चरम पर थी उस दौरान राज्य सरकार ने जिनोम सीक्वेंसिंग मशीन की खरीदारी की बात कही थी। इसके लिए राशि भी स्वीकृत कर दी गई थी। अब 6 महीने बीत जाने के बाद भी झारखंड में जिनोम सीक्वेंसिंग की मशीन नहीं आ पाई है। कोरोना के नए रूप की जांच के लिए लोगों से लिए गए नमूनों को उड़ीसा भेजा जा रहा है। राज्य के पास अगर यह मशीन होती तो एक सप्ताह में ही इसकी जांच रिपोर्ट आ जाती और मरीजों का उचित इलाज शुरू हो जाता है। लेकिन अब उड़ीसा भेजे जाने की वजह से इसकी जांच रिपोर्ट आने में 30 दिन से अधिक का समय लग जाता है। 
स्वास्थ्य विभाग के सचिव अरुण कुमार के अनुसार नए वेरिएंट के लिए झारखंड सरकार में अलग से कोई तैयारी नहीं की गई है। जांच किट की कमी का अवलोकन किया जा रहा है। जिनोम सीक्वेंसिंग की राशि स्वीकृत कर दी गई है लेकिन उस पर आगे क्या कार्रवाई हो रही है, इसकी जानकारी उनके पास नहीं है। 
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश ने हेमंत सरकार पर कोरोना के प्रति लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि कोरोना की जांच और टीकाकरण में भी झारखंड सरकार पूरी तरह से लापरवाह दिखाई दे रही है। 

रितेश कश्यप
Correspondent at Panchjanya | Website

दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।

 

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