लोकसभा और राज्यसभा में तीन कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने के बाद केंद्र सरकार ने एक और पहल की है। न्यूेनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानून बनाने के लिए सरकार ने एमएसपी समिति गठित करने का फैसला लिया है। इसके लिए सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा से पांच किसान नेताओं के नाम मांगे हैं। इन्हें समिति में शामिल किया जाएगा। हालांकि सरकार ने कथित आंदोलन के दौरान मरने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की विपक्ष की मांग को मानने से इनकार कर दिया है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों से कथित किसान आंदोलन के दौरान दर्ज मामलों को वापस लेने को कहा है। हरियाणा सरकार पहले ही मुकदमा वापस लेने की बात कह चुकी है। इसे लेकर हरियाणा के किसान नेताओं की मुख्य मंत्री मनोहर लाल के साथ बैठक भी होने वाली है। किसान नेताओं के मुताबिक, हरियाणा और चंडीगढ़ के अलावा रेलवे ने भी मुकदमे दर्ज किए हैं।
इधर, संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष ने किसानों की मौत का मुद्दा उठाते हुए सरकार से उनके परिजनों को मुआवजा देने की मांग उठाई, जिसे सरकार ने खारिज कर दिया। विपक्ष और किसान नेताओं का कहना है कि कथित किसान आंदोलन के दौरान 700 से अधिक किसानों की मौत हुई। सरकार का कहना है कि कथित आंदोलन में हुई मौतों का रिकॉर्ड कृर्षि और किसान कल्याण मंत्रालय के पास नहीं है, इसलिए मुआवजा देने का सवाल ही नहीं उठता है।
इससे पहले मंगलवार शाम को पंजाब के 32 किसान संगठनों ने सिंघु बॉर्डर पर बैठक की। इसमें अधिकांश किसान संगठनों ने आंदोलन खत्म करने पर सहमति जताई, लेकिन राकेश टिकैत और गुरनाम सिंह चढ़नी इसके खिलाफ हैं। आंदोलन वापसी को लेकर 4 दिसंबर को संयुक्तठ किसान मोर्चा की बैठक बुलाई गई है।
पंजाब के किसान नेताओं का कहना है कि उनकी मुख्य मांग तीनों कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने की थी, जिसे केंद्र सरकार ने मान लिया और संसद के दोनों सदनों में प्रस्तािव भी पारित करा लिया। इसलिए अब आंदोलन जारी रखने का कोई मतलब नहीं है।
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