सोमवार को केन्द्र सरकार ने किसानों की मुख्य मांग को मानते हुए तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए इन्हें निरस्त करने वाला विधेयक संसद में पारित कराया था। संयुक्त किसान मोर्चा 40 से अधिक किसान संगठनों की एक संस्था है। यह पिछले एक वर्ष से ज्यादा समय से एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी सहित तीन कृषि कानूनों और उनकी अन्य मांगों को लेकर आंदोलन का नेतृत्व कर रही है।
किसान नेता दर्शन पाल का कहना है कि चार दिसंबर को किसान नेता आगे की बैठक कर निर्णय लेंगे और इसी में पांच नामों पर भी विचार किया जाएगा। वहीं किसान नेता सतनाम सिंह का कहना है कि सरकार ने किसानों की सभी मांगे मान ली हैं। अब आगे आंदोलन जारी रखना जरूरत नहीं है।
केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने भी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज हुए मामले वापस लेने को कहा है। इस घटनाक्रम से संभावना व्यक्त की जा रही कि किसानों का आंदोलन अब समाप्त हो सकता है।
दूसरी ओर किसान आंदोलन का एक तरफ से नेतृत्व कर रहे भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि हम चाहते हैं कि भारत सरकार 4 दिसंबर को हमारी (एसकेएम) बैठक से पहले एमएसपी गारंटी और मरने वाले किसानों के मुद्दे पर हमारे साथ बैठक करे। किसान आंदोलन खत्म नहीं होने जा रहा है। सरकार ने अभी तक हमारी मांगों को स्वीकार नहीं किया है।
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