राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद हरिद्वार पतंजलि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल हुए, जहां उन्होंने कहा कि योग आयुर्वेद विज्ञान 18वीं शताब्दी में पहचान थी अब इसे पुनर्जीवित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि योग सबके लिए है, योग सबका है।
राष्ट्रपति ने कहा कि योग के बारे में कुछ साल पहले तक यही कहा जाता था कि ये तपस्या है, इसे सन्यासी ही कर सकते हैं, लेकिन बाबा रामदेव ने इस परिभाषा को बदलकर योग को वैश्विक पहचान दिलाई है। योग को 2015 में 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मान्यता मिली। योग को 2016 में यूनेस्को ने अपनी धरोहर सूची में शामिल किया। योग किसी पंथ किसी सम्प्रदाय के लिए नहीं है, ये शरीर को स्वस्थ्य रखने की पद्धति है। राष्ट्रपति ने सूरीनाम क्यूबा के अपनी यात्राओं के उल्लेख करते हुए कहा कि वहां के राष्ट्राध्यक्षों को योग करते हुए देखा है और अब अरब देशों में भी योग का प्रचार-प्रसार हो रहा है।
राष्ट्रपति ने कहा 18वीं शताब्दी में भारत मे योग, आयुर्वेद, विज्ञान पर शिक्षण संस्थान थे। हजारों गुरुकुल और श्रेष्ठ उच्च शिक्षण संस्थान थे। दुनियाभर के शिक्षण संस्थानों में अनेकों भारतीय विषयों में शोध हो रहे हैं। सिर्फ इसलिए क्योंकि हम शिक्षा में श्रेष्ठ रहे थे। उन्होंने कहा नई शिक्षा नीति के अनुरूप पतंजलि विश्वविद्यालय अपने विद्यार्थियों को शिक्षा दे रहा है। इस बात के लिए मैं विद्यार्थियों और इस गुरुकुल को बधाई देता हूं। इस अवसर पर उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बाबा रामदेव, कुलपति आचार्य बाल कृष्ण, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत आदि उपस्थित रहे।
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