पाकिस्तान के आम लोग अब इमरान से खुश नहीं हैं। वे कहते हैं कि उनका देश इस सरकार के राज में गलत दिशा में बढ़ रहा है। आम जनता में अब कल के सुनहरे होने की आस टूटती जा रही है। यह खुलासा हुआ है पेरिस की एक कंपनी के हालिया सर्वे में। जबकि दो दिन पहले ही प्रधानमंत्री इमरान खान ने लोगों के भरोसे को और डगमगाते हुए बयान दिया है कि देश का व्यापार घाटा इतना ज्यादा हो गया है कि सरकार को आईएमएफ के सामने हाथ फैलाने पड़े हैं। प्रधानमंत्री का कहना है देश कारोबारी घाटा बढ़ता जा रहा है, हालांकि निर्यात बेशक बढ़ा है। व्यापार में घाटा बढ़ने से पाकिस्तानी रुपये की कीमत औंधे मुंह गिर चुकी है लिहाजा महंगाई बढ़ रही है।
लेकिन इमरान भले हालात की कितनी भी दुहाई दें, देश की जनता की नजर से अब वे उतरते जा रहे हैं। देश के ज्यादातर लोग यही मानते हैं कि उनका मुल्क गलत राह में जा रहा है। जहां एक तरफ वे कमरतोड़ महंगाई से पिस रहे हैं तो दूसरी तरफ सरकारी खजाना कंगाल हो चुका है। देश को दुनिया में अपमान सहना पड़ रहा है और कड़ी शर्तों पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से 50 खरब (पाकिस्तानी) रुपये का कर्जा लेना पड़ा है। इतना ही नहीं, देश में पेट्रोल पंप मालिकों की हड़ताल के बाद इमरान को मजबूरन उनकी मांगों के आगे झुकना पड़ा है।
इन हालात में पेरिस की मार्केट रिसर्च और सलाहकार कंपनी 'इप्सोस' ने पाकिस्तान में एक बड़ा सर्वे किया है। इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट से जो आंकड़ें सामने आए हैं, उन्हें देखकर खास हैरानी इसलिए नहीं होती क्योंकि आज दुनिया में पाकिस्तान की जो बदनामी है, उससे आम लोगों में मौजूदा सरकार की लोकप्रियता के प्रतिशत को लेकर खास शक नहीं था। पेरिस की कंपनी के इस सर्वे के अनुसार, पाकिस्तान के 87 प्रतिशत लोगों मानते हैं कि पाकिस्तान गलत तरफ जा रहा है। 'इप्सोस' ने यह सर्वे इसी महीने किया है। जबकि इससे पिछला सर्वे साल 2019 के अगस्त माह में किया गया था। तबसे 21 प्रतिशत ज्यादा लोगों ने इमरान सरकार के विरुद्ध राय रखी है।
इमरान भले हालात की कितनी भी दुहाई दें, देश की जनता की नजर से अब वे उतरते जा रहे हैं। देश के ज्यादातर लोग यही मानते हैं कि उनका मुल्क गलत राह में जा रहा है। जहां एक तरफ वे कमरतोड़ महंगाई से पिस रहे हैं तो दूसरी तरफ सरकारी खजाना कंगाल हो चुका है।
इप्सोस का कहना है कि पाकिस्तान में पहले कभी इतनी ज्यादा तादाद में लोगों की अपने मुल्क को लेकर ऐसी उलट राय नहीं थी। सर्वे के नतीजे देखें तो पाकिस्तान के लोग महंगाई से बेहद परेशान हो चले हैं। 43 प्रतिशत लोगों ने इसे सबसे ज्यादा चिंता का मुद्दा बताया है, जबकि 14 प्रतिशत के लिए बेरोजगारी तथा 12 प्रतिशत लोगों के लिए तेजी से बढ़ती गरीबी सबसे ज्यादा चिंता के विषय हैं। सर्वे में यह भी सामने आया है कि बढ़ते टैक्स तथा पाकिस्तानी रुपये की कीमत गिरने से पाकिस्तान वाले नाराज चल रहे हैं।
पाकिस्तान के जानकारों के अनुसार, गत दो वर्ष में देश में महंगाई तथा बेरोजगारी बहुत ज्यादा बढ़ी है। लेकिन इन मुश्किलों का सामना करना इमरान खान सरकार के बस की बात नहीं दिख रही है। इमरान खान ने इस हफ्ते ही यह माना था कि सरकारी खजाना खाली है, इसलिए उनकी सरकार लोगों की भलाई के कामों पर खर्च नहीं बढ़ा सकती। खजाना खाली होने पर पाकिस्तान सरकार ने आईएमएफ से कर्ज लिया है। परन्तु इस कर्ज की शर्तों को वे पूरा कर पाएंगे, इसे लेकर सब संदेह जता रहे हैं।
हाल ही में पता चला है कि पाकिस्तान में उपभोक्ता विश्वास सूचकांक में भारी गिरावट आई है। गत दो माह में यह आंकड़ा 12 प्वाइंट गिर गया है और फिलहाल 27.3 प्वाइंट पर है। ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका तुर्की जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले ये बेहद निचले स्तर पर है।
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