आलोक गोस्वामी
सोलोमन द्वीप के लोग इन दिनों बहुत आक्रोशित हैं। वे अपनी सरकार के ताइवान से दशकों पुराने संबंध तोड़कर चीन के पाले में जाने को लेकर गुस्से में हैं। पूरे द्वीप पर सरकार के प्रति अपनी नाराजगी जताते हुए लोगों ने दंगे कर दिए हैं, जगह—जगह आगजनी देखने में आई है। हालात इतने बेकाबू हो गए हैं कि आस्ट्रेलिया को मदद के लिए वहां अपनी सेना भेजनी पड़ी है। सोलोमन के लोग नहीं चाहते कि उनकी सरकार ताइवान से दूरी बनाए। उधर सोलोमन द्वीप समूह के प्रधानमंत्री का आरोप है कि देश में हो रही हिंसा के पीछे विदेशी एजेंसियां हैं।
दरअसल सोलोमन द्वीप समूह और ताइवान के बीच एक लंबे वक्त से सौहार्दपूर्ण संबंध रहे हैं, लेकिन इधर वहां की सरकार ने ताइवान से नाता तोड़कर चीन के पाले में जाने का मन बनाया है, इसे लेकर वहां के लोग बहुत नाराज हैं। सरकार का यह कदम सोलोमन द्वीप को अराजकता में धकेल रहा है। लेकिन मुद्दे की गंभीरता समझकर अपने फैसले पर विचार करने की बजाय प्रधानमंत्री 'बाहरी ताकतों' पर दोष मढ़ रहे हैं।
आखिर सोलोमन द्वीप के लोग विस्तारवादी और साजिशी मंसूबों वाले ड्रैगन के साथ हाथ मिलाने की बात हजम नहीं पा रहे हैं। इन दिनों वहां जारी हिंसा के पीछे यही सबसे बड़ी वजह मानी जा रही है। प्रधानमंत्री मनास्सेह सोगावारे ने पिछले दिनों सोलोमन द्वीप समूह की राजधानी होनियारा में हुए सरकार विरोधी जलसे—जुलूसों, आगजनी तथा हिंसक कार्रवाइयों में विदेशी ताकतों का हाथ बताकर पल्ला झाड़ लिया।

उल्लेखनीय है 6 मुख्य द्वीपों और ओशनिया के 900 से ज्यादा द्वीपों का समूह, सोलोमन द्वीप एक संप्रभु राष्ट्र है। 2019 की बात है, प्रधानमंत्री मनास्सेह सोगावारे ने ताइवान के साथ अपने कूटनीतिक संबंध तोड़ लिए थे। इस कदम से विशेष रूप से यहां सबसे घनी आबादी वाले मलाइता प्रांत के नेता और आम लोग बेहद नाराज चल रहे थे। इस हफ्ते नाराजगी इतनी बढ़ी कि राजधानी सहित अन्य स्थानों पर सरकार विरोधी प्रदर्शन हुए, आगजनी की घटनाएं हुईं। गुस्साए लोगों ने संसद भवन तक को आग लगा दी। इन हालात में सरकार ने 36 घंटे का लॉकडाउन लगाया पर लोग शांत नहीं हुए।
सोलोमन द्वीप समूह के रक्षा मंत्री पीटर डटन के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया से पुलिस तथा राजनयिकों का एक दल होनियारा में है, जहां वह सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बीच शांति कायम करने में स्थानीय पुलिस की मदद कर रहे हैं।
इधर प्रधानमंत्री सोगावारे का कहना है कि वह चीन से राजनयिक रिश्ते बनाने के अपनी सरकार के फैसले से टस से मस नहीं होंगे। उनका कहना है, ‘मैं किसी के भी आगे नहीं झुकूंगा। हम अपनी बात पर तटस्थ रहने वाले हैं।’
उधर ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री मारिस पायने हालांकि प्रधानमंत्री की इस बात से सहमत नहीं हैं कि उपद्रवों के पीछे 'बाहरी ताकतें' जिम्मेदार हैं। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन चाहते हैं कि सोलोमल द्वीप समूह पर शांति—व्यवस्था बहाल हो, जिसके लिए उन्होंने स्थानीय पुलिस की मदद हेतु अपने सैनिक, पुलिस और राजनयिकों का एक दल भेजा है।
2019 की बात है, प्रधानमंत्री सोगावारे ने ताइवान के साथ अपने कूटनीतिक संबंध तोड़ लिए थे। इस कदम से विशेष रूप से यहां सबसे घनी आबादी वाले मलाइता प्रांत के नेता और आम लोग बेहद नाराज चल रहे थे। इस हफ्ते नाराजगी इतनी बढ़ी कि राजधानी सहित अन्य स्थानों पर सरकार विरोधी प्रदर्शन हुए, आगजनी की घटनाएं हुईं।
पता चला है कि सोलोमन द्वीप पर स्थित चीनी संस्थानों और नागरिकों के उपद्रव की चपेट में आने पर चीन ने चिंता व्यक्त की है। चीन के विदेश मंत्रालय का बयान है कि हमें भरोसा है कि प्रधानमंत्री सोगारवे सोलोमन द्वीप पर तत्काल सामाजिक व्यवस्था एवं स्थिरता बहाल कर सकते हैं।
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