झारखंड के युवाओं ने मांगी नौकरी, लेकिन उन्हें मिली लाठी

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रितेश कश्यप
इन दिनों झारखंड में बेरोजगार युवाओं को पुलिस द्वारा पीटने का मामला गर्म है। युवाओं को वह सरकार पिटवा रही है, जिसने चुनाव में बेरोजगारी को बड़ा मुद्दा बनाया था और सरकारी नौकरी देने का लंबा—चौड़ा वादा किया था।

झारखंड के युवाओं का आरोप है कि हेमंत सोरेन की सरकार लोगों को नौकरी देने में पूरी तरह विफल हो रही है। दो साल बीतने के बाद भी यह सरकार नियुक्ति प्रक्रिया को भी ठीक से शुरू नहीं कर पाई है। यही नहीं, अपनी विफलताओं को ढकने ​के लिए झारखंड सरकार ने पूर्व की सरकार में लाई गई नियुक्तियों को भी किसी न किसी तरह से रद्द कर रही है। इधर झारखण्ड लोकसेवा आयोग द्वारा कराई गई परीक्षा के परिणाम को लेकर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जा रहे हैं। जब युवाओं ने इसके विरोध में गत दिनों रांची में प्रदर्शन किया तो पुलिस ने उन्हें जमकर पीटा। यही नहीं, उन युवाओं का साथ देने पर भाजपा नेता भानु प्रताप शाही और नवीन जायसवाल को भी नहीं छोड़ा गया। दोनों को पीट कर घायल कर दिया गया है।

एक तरफ झारखण्ड सरकार 2021 को नियुक्ति वर्ष का नाम दे रही है, दूसरी तरफ रघुवर सरकार के कार्यकाल में शुरू की गई छह नियुक्ति प्रक्रिया को रद्द कर दिया है। सातवीं से दसवीं झारखण्ड लोकसेवा आयोग द्वारा कराई गई परीक्षा के परिणाम को लेकर भी भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं। इन्हीं आरोपों की वजह से अभ्यर्थियों ने प्रारंभिक परीक्षा परिणाम को रद्द करने की मांग की तो उन्हें पिटवा दिया गया। 

इस घटना के बाद पूरे राज्य में राजनीति तेज हो गई। पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने लाठीचार्ज को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि रांची में जेपीएससी सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम का विरोध करने वाले छात्रों पर लाठीचार्ज करना दुर्भाग्यपूर्ण है। इस घटना के बाद राज्यसभा सांसद और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दीपक प्रकाश तथा बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मिलकर प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम को रद्द करने तथा लाठीचार्ज के दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग की। इसके बाद राज्यपाल रमेश बैस ने जेपीएससी के अध्यक्ष अमिताभ चौधरी व एसएसपी सुरेंद्र झा को राजभवन बुलाकर उनसे सारे मामले की जानकारी ली। 

इसके बाद 25 नवंबर को झारखंड लोकसेवा आयोग ने सातवीं सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा का कटआफ मार्क्स जारी कर दिया। साथ ही असफल अभ्यर्थियों द्वारा लगाए गए अधिसंख्य आरोपों को निराधार बताकर परीक्षा परिणाम को रद्द करने से इनकार कर दिया। इसका छात्रों ने विरोध किया है। यही नहीं, छात्रों ने कहा है कि यदि आयोग का रवैया यही रहा तो आंदोलन और तेज होगा। छात्र नेता मनोज यादव ने कहा कि सरकार को अब सामने आना चाहिए क्योंकि जेपीएससी पूरी तरह से दिव्यांग है और उसने कटऑफ लिस्ट में भी गड़बड़ी की है। 

प्रदर्शन कर रहे देवेंद्र नाथ महतो ने कहा कि आंदोलन के 25 वें दिन आयोग द्वारा टालमटोल जवाब और शांतिपूर्ण तरीके से न्याय गुहार यात्रा करने वाले निहत्थे छात्रों पर लाठीचार्ज कराया गया। जो सरकार की नीति का विरोध करता है उसके खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज करा दी जाती है। उन्होंने कहा कि केस ही करना है तो प्रदेश के 2.48 लाख अभ्यर्थियों पर केस करना होगा। 

अब देखना यह है कि झारखंड सरकार इन मामलों पर अपनी चुप्पी कब तक तोड़ेगी। लेकिन अगर सरकार का यही रवैया रहा तो यह वर्ष नियुक्ति वर्ष की जगह बेरोजगारी वर्ष के रूप में जाना जाएगा। 

 

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