अमेरिका ने एक बार फिर चीन की ठसक और साजिशी सोच को लताड़ते हुए उसकी आठ कंपनियों को काली सूची में डाल दिया है। अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि ये कंपनियां चीन की सेना की मदद कर रही थी। अमेरिका ने यह कदम इन चीनी कंपनियों सहित कुल 27 विदेशी कंपनियों के खिलाफ उठाया है। अमेरिका के इस निर्णय से चीन का चिढ़ना स्वाभाविक ही था। वाशिंगटन तथा बीजिंग के रिश्तों में तल्खी और बढ़ी है।
बाइडेन प्रशासन के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए वाशिंगटन स्थित चीनी दूतावास के प्रवक्ता ल्यू पेंग्यू का कहना है कि अमेरिका किसी न किसी तरह से चीन की कंपनियों को नियंत्रित करने हेतु अपनी शक्ति का दुरुपयोग करता रहा है। ल्यू ने कहा है कि अमेरिका को चीन से संबंध बिगाड़ने की बजाय उसके साथ मिलकर चलना चाहिए।
अमेरिका की वाणिज्य मंत्री जीना रायमोंडो ने बयान जारी करके कहा है कि इन कंपनियों को काली सूची में डालने से अमेरिकी तकनीकी के चीन और रूस के सैन्य विकास में सहायक होने से रोकने में सहायता मिलेगी। इतना ही नहीं, इससे पाकिस्तान की बेलगाम परमाणु गतिविधियों या बालिस्टिक मिसाइल कार्यक्रमों पर भी लगाम लगाई जा सकेगी।
उल्लेखनीय है कि अमेरिकी सरकार ने 24 नवम्बर को इन चीनी कंपनियों को काली सूची में डालते हुए बताया है कि ये कंपनियां चीन की सेना पीएलए की 'क्वांटम कंप्यूटिंग' की कोशिशों को उन्नत करने में मदद दे रही थीं। इन चीनी कंपनियों को चीन की सेना की मदद में उनकी 'भूमिका' और सैन्य एप्लिकेशन की सहायता के आरोप में अमेरिकी मूल की चीजें प्राप्त करने की कोशिश के चलते काली सूची में डाला गया है। इस संदर्भ में अमेरिका की वाणिज्य मंत्री जीना रायमोंडो ने बयान जारी करके कहा है कि इन कंपनियों को काली सूची में डालने से अमेरिकी तकनीकी के चीन और रूस के सैन्य विकास में सहायक होने से रोकने में सहायता मिलेगी। इतना ही नहीं, इससे पाकिस्तान की बेलगाम परमाणु गतिविधियों या बालिस्टिक मिसाइल कार्यक्रमों पर भी लगाम लगाई जा सकेगी।
यहां यह ध्यान देने की बात है कि चीनी कंपनियों पर यह फैसला ऐसे वक्त लिया गया है जब ताइवान को लेकर बीजिंग आएदिन अमेरिका को धमकता आ रहा है। दोनों देशों के संबंधों में जबरदस्त उतार—चढ़ाव देखने में आ रहे हैं।
इस नए निर्णय से जिन 27 विदेशी कंपनियों को काली सूची में डाला गया है, उनमें पाकिस्तान, सिंगापुर तथा जापान की कंपनियां भी शामिल हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि बाइडेन प्रशासन के इस कदम से बीजिंग के तेवर और तीखे होेने की संभावना है।
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