बदरीनाथ धाम के कपाट बंद हो जाने के बाद भी तपस्वी साधुओं को वहां रुकने की इजाजत दो साल बाद प्रशासन ने दे दी है। कोविड के चलते हठयोगियों को वहां बर्फ में रुकने की अनुमति नहीं दी जा रही थी। जोशीमठ नगर प्रशासन द्वारा ऐसे 11 साधुओं हठयोगियों को बदरीनाथ धाम में रुकने की अनुमति दे दी है, जो बरसों से वहां तपस्या के लिए रुकते आये हैं। ये साधु बदरीनाथ में माइनस 20 डिग्री तापमान में भी वहां साधना करते आए हैं।
बदरीनाथ धाम में कपाट बंद होने के बाद किसी को वहां रुकने की इजाजत नहीं होती है। केवल मंदिर सुरक्षा में पुलिस और सेना के जवान वहां रहते हैं। मंदिर की सुरक्षा में माणा गांव के लोग भी वहां अपनी ड्यूटी करते हैं। शीतकाल में बदरीनाथ परिसर में 10 से 15 फुट तक बर्फ जम जाती है इसी बर्फ के बीच साधु तपस्या में लीन रहते हैं। |
भारी बर्फ के बीच साधना करने वाले इन साधुओं के अलावा 39 अन्य साधु-संतों ने आवेदन दिया हुआ है, जिनकी अभी जांच पड़ताल की जा रही है। उपजिलाधिकारी कुमकुम जोशी के मुताबिक जो साधु कोविड से पहले वहां रहते थे, उन्हें अनुमति दे दी गई है। शेष आवेदनों पर अभी विचार चल रहा है।
बदरीनाथ धाम में कपाट बंद होने के बाद किसी को वहां रुकने की इजाजत नहीं होती है। केवल मंदिर सुरक्षा में पुलिस और सेना के जवान वहां रहते हैं। मंदिर की सुरक्षा में माणा गांव के लोग भी वहां अपनी ड्यूटी करते हैं। शीतकाल में बदरीनाथ परिसर में 10 से 15 फुट तक बर्फ जम जाती है इसी बर्फ के बीच साधु तपस्या में लीन रहते हैं।
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