चीन के आर्थिक गलियारे के केन्द्र ग्वादर में आम जनता बुरी तरह त्रस्त हो चुकी है। वहां लोगों को लगने लगा है कि कम्युनिस्ट ड्रैगन के इशारे पर उन्हें गुलामों का सा जीवन जीने को विवश कर रहा है। पूरे ग्वादर क्षेत्र में बिजली—पानी की भारी किल्लत देखने में आ रही है। पता चला है कि आम जनता के हिस्से के बिजली—पानी चीन की कंपनियों के लिए भेजा जा रहा है। पाकिस्तान की इमरान सरकार चीन के इशारे पर चीनियों की सुरक्षा की आड़ में अपने लोगों पर जुल्म ढा रही है। लोगों का घर से निकलना और खुलकर सांस लेना भी दूभर हो चला है।
उल्लेखनीय है कि ग्वादर में चीनी कंपनियां आर्थिक गलियारे का मुख्यालय बनाकर बड़ी तादाद में निर्माण कार्यों में जुटी हैं। इससे जहां इस इलाके के संसाधनों और रोजगार पर चीनी कब्जा हो गया है, वहीं स्थानीय लोगों का जीना भी मुहाल बना दिया गया है। इसीलिए ग्वादर के लोगों का आरोप है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान चीन की सहायता से वहां की जनता को गुलामों जैसा जीवन जीने को मजबूर कर रहे हैं। इन्हीं सब वजहों से बलूचिस्तान के साथ—साथ अब पूरे ग्वादर में चीन के इस आर्थिक गलियारे की आड़ में हो रहे दोहन का भयंकर विरोध हो रहा है। स्थानीयजन आरोप लगा रहे हैं कि आर्थिेक गलियारे की आड़ में उनकी आजादी छीनी जा रही है। उल्लेखनीय है कि ग्वादर क्षेत्र में चीन की परियोजनाओं की सुरक्षा के नाम पर जगह—जगह पाकिस्तान की पुलिस ने नाकेबंदी कर दी है। आने—जाने वालों की हर बार पूरी तलाशी ली जाती है।
दूसरे, बिजली-पानी की किल्लत पैदा कर दिए जाने पर भी लोग बौखलाए हुए हैं। इतना ही नहीं, मछलियों के अवैध शिकार से उनकी रोजी—रोटी छिन रही है, यह भी उनकी नाराजगी की एक बड़ी वजह बनती जा रही है। राजनीतिक दलों, नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं के साथ ही स्थानीय लोगों ने गत एक सप्ताह से ग्वादर की बंदरगाह रोड पर प्रदर्शन कर रहे हैं।
पाकिस्तान में चीन के इस आर्थिक गलियारे को लेकर बनी सीनेट की विशेष समिति को इमरान सरकार की तरफ से साफ कर दिया गया था कि चीन की इस परियोजना के लिए पैसा आना बंद होने की वजह से बहुुत सी ढांचागत परियोजनाएं लटकी हुई हैं।
ग्वादर में 'स्मार्ट सिटी' परियोजना के संदर्भ में कमेटी ने सरकार को काफी खरी—खोटी सुनाई थी। समिति के सदस्य कबीर अहमद शाही का कहना था कि आर्थिक गलियारे पर केवल कागजी काम किया गया है।
इसमें संदेह नहीं है कि बलूचिस्तान रणनीतिक तौर पर खासा महत्वपूर्ण स्थान है। पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांतों में गिने जाने वाले बलूचिस्तान की सरहदें अफगानिस्तान तथा ईरान से सटी हैं। यह पाकिस्तान का एक अशांत क्षेत्र माना जाता है और जनसामान्य के जीवन का स्तर बहुत बदहाल है। इसी बलूचिस्तान से सटा है ग्वादर बंदरगाह शहर।
बलूचिस्तान वाले आर्थिक गलियारा परियोजना के नाम से चिढ़ते हैं। जबकि चीन के आर्थिक गलियारे का एक बड़ा भाग इस प्रांत में से जाता है। यहां हालात इतनी तेजी से बदल दिए गए हैं कि जहां ग्वादर बंदरगाह पर कभी बलूचों का नियंत्रण था, अब वह लगाम पाकिस्तान ने चीन के हवाले कर दी है।
इसी जबरदस्त विरोध के कारण चीन के यह परियोजना गले की हड्डी बनती जा रही है। अरबों डालर निवेश करने के बावजूद चीन को इससे उतना लाभ नहीं मिल रहा है। राजनीति और भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे पाकिस्तान के सियासी नेता इस परियोजना के काम में अलग अड़ेंगे डाल रहे हैं। स्थिति यह हो गई है कि चीन की यह परियोजना कभी पूरी होगी या नहीं, इसको लेकर संदेह होने लगा है।
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