प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन, अखिलेश यादव को बहुत परेशान कर रहा है। हाल ही में एक प्रमुख हिंदी चैनल को दिए एक साक्षात्कार में, अखिलेश ने पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर यात्रा की और कई विरोधाभासी और झूठे दावे किए। 2017 से पहले पूर्वांचल उत्तर प्रदेश के उपेक्षित क्षेत्रों में से एक था। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने जो कुछ भी ध्यान केंद्र्रित किया, वह पहले से ही समृद्ध पश्चिमी क्षेत्र पर केंद्र्रित किया।
पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से को आर्थिक विकास और कनेक्टिविटी के एक नए स्तर पर ले जाएगा। 341 किलोमीटर लंबा पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे उत्तर प्रदेश के नौ जिलों – लखनऊ, बाराबंकी, अमेठी, सुल्तानपुर, अयोध्या, आंबेडकरनगर, आजमगढ़, मऊ और गाजीपुर को जोड़ेगा। अखिलेश यादव को जो बात चुभ रही है, वह यह है कि वे आजमगढ़ से सांसद हैं और उनके पिता मुलायम सिंह यादव ने भी पूर्वी उत्तर प्रदेश से बहुत राजनैतिक फायदा उठाया है। लेकिन आज यह योगी आदित्यनाथ सरकार है, जो कई मेडिकल कॉलेजों, एक्सप्रेस-वे और अन्य विकास परियोजनाओं के साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश का तेजी से विकास कर रही है।
पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे— किसकी परियोजना
एक तरफ अखिलेश यादव का दावा है कि पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे उनकी परियोजना है और समाजवादी पार्टी की सरकार ने ही पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे बनाया पर उसी वाक्य में वे खुद की ही बात में विरोधाभास उत्पन्न करते हुए कहते हैं कि योगी सरकार ने पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की गुणवत्ता से समझौता किया है। 2021 में अखिलेश यादव ने जीवन में पहली बार पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर गाड़ी चलाई, जिसे वे 2012-2017 की अपनी परियोजना कहते हैं।
हकीकत यह है कि पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे अखिलेश काल में मात्र कागजों पर था, जिसे योगी आदित्यनाथ सरकार ने जमीन पर उतारा। दरअसल, अखिलेश के समय की पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) ही पूरी तरह दोषपूर्ण थी और योगी सरकार को इस पर फिर से काम काम करना पड़ा। इस प्रक्रिया में करदाताओं के लगभग 3,000 करोड़ रुपये की बचत के लिए मार्ग संरेखण को अनुकूलित किया गया था। इतने बड़े ईपीसी अनुबंध में टेंडर जारी करने के लिए भी सरकार को पहले कम से कम 90% जमीन का अधिग्रहण करना होता है। अखिलेश यादव सरकार ने बमुश्किल 25 फीसदी जमीन का अधिग्रहण किया था और अपनी परियोजना घोषित कर दी थी।
एक्सप्रेस-वे की गुणवत्ता
अखिलेश यादव ने पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की गुणवत्ता पर टिप्पणी की। आइए, इसका विस्तृत विश्लेषण करें। विशेषज्ञों का भी मानना है कि योगी के शासन काल में निर्मित या निर्माणाधीन एक्सप्रेस-वे की शृंखला बेहतर इंजीनियरिंग डिजाइन के साथ चिह्नित है। अगर हम अखिलेश यादव के समय में बने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे और योगी आदित्यनाथ के शासन के पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की इंजीनियरिंग की तुलना करें तो अंतर स्पष्ट है। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे की औसत चौड़ाई 4.5 मीटर और सॉफ्ट शोल्डर चौड़ाई मार्ग के दोनों ओर 1.5 मीटर है, जबकि पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे में यह चौड़ाई क्रमश: 5.5 मीटर और 2.0 मीटर है। तो, पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का तटबंध आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे की तुलना में 2 मीटर चौड़ा है। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के मेडियन में दोनों तरफ वाहनों की सुरक्षा के लिए डब्ल्यू-बीम क्रैश बैरियर का प्रावधान है और 4,000 मीटर से कम त्रिज्या के मोड़ के लिए एंटी-ग्लेयर स्क्रीन भी बनाई गई है।
अखिलेश के अधूरे और गुणवत्ताहीन कार्य
अखिलेश यादव ने 2016 में आनन-फानन में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन किया था, जब यह केवल 80% पूर्ण था। स्पष्ट है कि अखिलेश सरकार द्वारा निर्माण की गुणवत्ता से समझौता करते हुए आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे को जल्दबाजी में बनाया गया था। इस एक्सप्रेस-वे पर जल्दबाजी में उद्घाटन के महज एक साल के भीतर एक एसयूवी कार सड़क टूटने के कारण 15-20 फुट नीचे गिर गई थी। मार्च 2017 में योगी सरकार के कार्यभार संभालने के बाद आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे के कई अधूरे काम पूरे हुए। इस एक्सप्रेस-वे पर अधूरे कार्यों की सूची लंबी है, जिन्हें योगी सरकार ने पूरा किया- 800 मीटर लंबा बिटुमिनस कंक्रीट, एक लंबा पुल, चार इंटरचेंज ब्रिज, 22.2 किमी लंबा क्रैश बैरियर, 37.5 किमी रोड मार्किंग, 200 किमी रोड साइनेज, 289 किमी मीडियम फेंसिंग और 178 किमी आरओडब्ल्यू।
क्या आप इस पहेली का उत्तर जानना चाहते हैं कि योगी सरकार द्वारा क्रियान्वित प्रत्येक परियोजना अखिलेश की परियोजना कैसे बन जाती है? मैं आपको समझाता हूं। 2016 के दिसंबर में, यानी 2017 के विधानसभा चुनावों से ठीक दो महीने पहले, अखिलेश यादव ने 60,000 करोड़ रुपये से अधिक की 300+ नई विकास परियोजनाओं की घोषणा की थी। पर यूपी के लोग जानते थे कि ये घोषणाएं कागजों तक सीमित हैं और उन्होंने 2017 में अखिलेश को सरकार से हटा दिया।
15 वर्ष बनाम 5 वर्ष
उत्तर प्रदेश के बुनियादी ढांचे पर किसी भी टीवी बहस में बहुजन समाज पार्टी के प्रवक्ता अपने समय में बने 165 किलोमीटर ग्रेटर नोएडा-आगरा एक्सप्रेस-वे की बात करते हैं और बसपा का कोई भी प्रवक्ता अपने समय में बने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के 302 किलोमीटर के बारे में बताता है। सपा+बसपा के पिछले 15 साल के शासन में उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए मात्र 467 किलोमीटर एक्सप्रेस-वे बनाए गए.
वह भी केवल पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक ही सीमित थे। इसके विपरीत, दिसंबर 2021 से पहले, योगी सरकार पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे और बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का संचालन करेगी और उत्तर प्रदेश में एक्सप्रेस-वे के जाल में 641 किलोमीटर का विस्तार करेगी। और यह 641 किलोमीटर योगी सरकार पांच साल में हासिल कर लेगी जबकि सपा+बसपा सरकार ने 15 साल में 467 किलोमीटर हासिल किया है। और, आगे आने वाले 91 किलोमीटर के गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे और 600 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेस-वे के साथ, उत्तर प्रदेश देश भर में उच्च गुणवत्ता वाले सड़क नेटवर्क की एक अलग ही लीग में प्रवेश कर जाएगा। इसलिए 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र्र मोदी ने भी मुख्यमंत्री की तारीफ की कि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ‘एक्सप्रेस स्टेट’ बनता जा रहा है।
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